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अंशु मलिक: वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर

अंशु मलिक

भारत की महिला रेसलर अंशु मलिक ने नॉर्वे के ओस्ले में चल रही वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में 57 किलोग्राम भार वर्ग में  सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। 

भारत की महिला रेसलर अंशु मलिक ने नॉर्वे के ओस्ले में चल रही वर्ल्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में 57 किलोग्राम भार वर्ग में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। अंशु मलिक वर्ल्ड चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतने वाली पहली भारतीय महिला रेसलर हैं। 

अंशु (57 किलोग्राम) इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के फाइनल में अमेरिका की हेलेन मारौलिस के हाथों हार का मुंह देखना पड़ा। हार के बाद अंशु दर्द से जूझती दिखीं और रो पड़ीं। हालांकि, उन्होंने एक रिकॉर्ड अपने नाम किया। अंशु इस प्रतिष्ठित टूर्नामेंट के  फाइनल में पहुंचने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बनीं थीं। 19 साल की अंशु ने सेमीफाइनल में जूनियर यूरोपीय चैंपियन सोलोमिया विंक को तकनीकी दक्षता के आधार पर हराया था और फाइनल में जगह बनाई थी। 

गौरतलब है कि अंशु से पहले भारत की चार महिला रेसलर ने वर्ल्ड चैंपियनशिप में मेडल जीता था लेकिन सभी को कांस्य मिला था। अंशु से पहले गीता फोगाट ने 2012 में, बबीता फोगाट ने 2012 में, पूजा ढांडा ने 2018 और विनेश फोगाट ने 2019 में कांस्य पदक अपने नाम किया था।

भारत की महिला पहलवान अंशु मलिक ने नॉर्वे के ओस्ले में चल रही विश्व कुश्ती चैंपियनशिप में सिल्वर मेडल जीतकर इतिहास रच दिया है। वे ऐसा करने वाली पहली भारतीय महिला पहलवान बन गई हैं। 57 किलोग्राम भार वर्ग में अंशु को फाइनल में हार का सामना करना पड़ा। अंशु फाइनल में अमेरिका की हेलेन मारौलिस के हाथों 4-1 से हार गईं। । 

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 वहीं भारत की दिग्गज पहलवान सरिता मोर ने कांस्य पदक जीता। 59 किग्रा वर्ग के ब्रॉन्ज मेडल मैच में सरिता ने स्वीडन की सारा लिंडबोर्ग को 8-2 से हराया। विश्व चैंपियनशिप 2021 में वह मेडल जीतने वाली दूसरी महिला पहलवान बनीं। ओवरऑल पदक जीतने वाली वह छठी महिला पहलवान हैं।

अंशु और सरिता के अलावा भारत की चार महिला पहलवानों ने विश्व चैंपियनशिप में मेडल जीता था, लेकिन सभी को कांस्य पदक मिला था। अंशु से पहले गीता फोगाट और बबीता फोगाट ने 2012 में, पूजा ढांडा ने 2018 और विनेश फोगाट ने 2019 में कांस्य पदक अपने नाम किया था। 

अंशु विश्व चैंपियनशिप फाइनल में पहुंचने वाली तीसरी भारतीय (पुरुष और महिला समेत) भी हैं। उनसे पहले सुशील कुमार (2010) और बजरंग पूनिया (2018) यह कमाल कर चुके हैं। इनमें से सिर्फ सुशील ही स्वर्ण जीतने में कामयाब हो सके हैं।

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