Commonwealth Games 2022 Day 2 : कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत की बेटियो ने दूसरे दिन दिलाए दो पदक, पीएम मोदी ने भी दी बधाई
CWG 2022: Two medals given to daughters in Commonwealth Games on the second day, the country was happy, PM Modi also congratulated
बर्मिंघम राष्ट्रमंडल खेलों के दूसरे दिन भारत ने चार पदक जीते। इनमें से दो पदक बेटियों ने दिलाए। दिन में संकेत ने रजत पदक जीतकर देश को पहला पदक दिलाया फिर गुरुराजा ने कांस्य पदक जीता।
इसके बाद रात में मीरीबाई चानू ने स्वर्ण पदक हासिल किया और देर रात बिंदियारानी ने रजत पदक अपने नाम किया। देश की बेटियों ने दो पदक जीते और भारत अब तक कुल चार पदक जीत चुका है,
जिसमें एक स्वर्ण, दो रजत और एक कांस्य पदक शामिल है। मीराबाई चानू और बिंदियारानी के पदक जीतने के बाद देश में खुशी की लहर है। प्रधानमंत्री मोदी ने भी दोनों बेटियों को जीत की बधाई दी है।
महिलाओं के 49 किग्रा भार वर्ग में स्वर्ण पदक जीतने वाली मीराबाई चानू के लिए प्रधानमंत्री मोदी ने लिखा "असाधारण मीराबाई चानू ने भारत को एक बार फिर गौरवान्वित किया!
हर भारतीय इस बात से खुश है कि उन्होंने बर्मिंघम खेलों में एक स्वर्ण पदक जीता और एक नया राष्ट्रमंडल रिकॉर्ड बनाया। उनकी सफलता कई भारतीयों को प्रेरित करती है, विशेषकर युवा एथलीटों को।"
The exceptional @mirabai_chanu makes India proud once again! Every Indian is delighted that she’s won a Gold and set a new Commonwealth record at the Birmingham Games. Her success inspires several Indians, especially budding athletes. pic.twitter.com/e1vtmKnD65
— Narendra Modi (@narendramodi) July 30, 2022
वहीं, महिलाओं के 55 किलोग्राम भारवर्ग में रजत पदक जीतने वाली बिंदिया रानी के लिए प्रधानमंत्री ने लिखा "कॉमनवेल्थ गेम्स, बर्मिंघम में रजत पदक जीतने पर बिंदियारानी देवी को बधाई।
यह उपलब्धि उनकी मेहनत का नतीजा है और इसने हर भारतीय को बहुत प्रसन्न किया है। मैं उनके भविष्य के लिए उन्हें शुभकामनाएं देता हूं।"
Congratulations to Bindyarani Devi for winning a Silver medal at CWG, Birmingham. This accomplishment is a manifestation of her tenacity and it has made every Indian very happy. I wish her the very best for her future endeavours. pic.twitter.com/4Z3cgVYZvv
— Narendra Modi (@narendramodi) July 31, 2022
देश की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने लिखा "मीराबाई चानू ने कॉमनवेल्थ गेम्स में वेटलिफ्टिंग में गोल्ड मेडल जीतकर नया रिकॉर्ड बनाया है।
भारत के लिए उनके पहले स्वर्ण पदक ने पूरे देश में खुशी और उत्सव की लहर पैदा कर दी है। शानदार, मीराबाई! भारत को आप पर और आपके पदकों पर गर्व है।"
Mirabai Chanu scripts history by winning weightlifting gold medal, setting a new record in #CommonwealthGames. Her first gold medal for India in the ongoing Games has created a wave of joy & celebration across the country. Well done, Mirabai! India is proud of you & your medals.
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 30, 2022
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बिंदियारानी के लिए लिखा "कॉमनवेल्थ गेम्स में भारोत्तोलन में रजत जीतने के लिए बिंदियारानी देवी को बधाई।
आपने खेलों में अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया है। आपकी सफलता पर हर भारतीय खुश है!"
Congratulations to Bindyarani Devi for winning Silver in Weightlifting at #CommonwealthGames. You have put up your best ever performance at the Games and demonstrated the zeal to raise the bar. Every Indian shares the joy of your success!
— President of India (@rashtrapatibhvn) July 31, 2022
रजत जीतने वाली बिंदियारानी के पास नहीं थे जूते खरीदने के पैसे, मीराबाई चानू ने की थी मदद
कॉमनवेल्थ गेम्स 2022 में भारत को चार पदक मिल चुके हैं। सभी पदक वेटलिफ्टिंग में आए हैं। टोक्यो ओलंपिक में देश को पहला पदक दिलाने वाली मीराबाई चानू से सभी को पहले ही स्वर्ण की उम्मीद थी और उन्होंने ऐसा ही किया।
हालांकि, उनके अलावा संकेत, गुरुराजा और बिंदियारानी ने भी देश को पदक दिलाया। गुरुराज पहले भी कॉमनवेल्थ गेम्स में पदक जीत चुके थे, लेकिन संकेत और बिंदियारानी ने पहली बार देश को पदक दिलाया है।
बिदिंयारानी की कहानी भी बहुत हद तक मीराबाई चानू से मिलती है। एक गरीब परिवार में जन्मी बिदिंया के लिए कॉमनवेल्थ पोडियम तक का सफर करना आसान नहीं था। उन्होंने पदक जीतने के बाद बताया कि एक समय पर उनके पास जूते खरीदने के लिए भी पैसे नहीं थे।
ऐसे में मीराबाई चानू ने उन्हें जूते तोहफे के रूप में दिए थे। अब बिंदिया ने रजत पदक जीतकर देश का मान बढ़ाया है तो इसमें मीराबाई चानू का भी योगदान है।
बिंदिया ने आगे कहा कि वो अमीर परिवार से नहीं आती हैं। इस वजह से उनके लिए नौकरी जरूरी है।
हालांकि, कॉमनवेल्थ में देश के लिए पदक जीतने के बाद बिंदिया को आगे भी काफी मौके मिलेंगे और अगर वो ऐसा ही प्रदर्शन बरकरार रखती हैं तो उन्हें नौकरी की जरूरत नहीं होगी।
बिंदिया ने रजत पदक जीतने के बाद कहा "मैं अपने प्रदर्शन से बहुत खुश हूं। मैं अपने करियर के पहले गेम में खेल रही थी और मुझे बहुत खुशी है कि मैंने इसमें रजत पदक जीता। मैं पहली बार कॉमनवेल्थ गेम्स खेली और सिल्वर पाकर बहुत खुश हूं।
आज मेरे जीवन का सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन था... सोना मेरे हाथ से फिसल गया। जब मैं पोडियम पर थी, तो मैं केंद्र में नहीं थी, अगली बार बेहतर करूंगी।
मेरा अगला लक्ष्य राष्ट्रीय खेल, विश्व चैम्पियनशिप, एशियाई खेल और फिर 2024 पेरिस ओलंपिक हैं। मैं उनमें बेहतर प्रदर्शन करूंगी।"
मीराबाई चानू ने भी गरीब परिवार में बड़े होकर सफलता का शिखर छुआ है। वो बचपन में जलावन के लिए लकड़ियां लेने जाती थीं और उस समय उनका सपना तीरंदाज बनने का था।
आठवीं में उन्होंने वेटलिफ्टिंग के बारे में पढ़ा और उन्होंने वेटलिफ्टिंग में अपना करियर बनाने के बारे में सोचा।
वो ट्रक में लिफ्ट लेकर अपनी प्रैक्टिस के लिए जाती थीं और टोक्यो ओलंपिक में रजत पदक जीतने के बाद उन ट्रक ड्राइवरों को घर बुलाकर खाना भी खिलाया था।
अब मीराबाई सफल हो चुकी हैं, लेकिन संघर्ष कर रहे खिलाड़ियों की हालत समझती हैं। इसी वजह से उन्होंने बिंदियारानी की मदद की।