शारदीय नवरात्रि का छठा दिन, यहाँ पढ़िये माँ कात्यायनी माता की पूजा विधि, भोग, मंत्र और आरती

शारदीय नवरात्रि का आज छठा दिन है। नवरात्रि के छठे दिन माँ कात्यायनी की पूजा की जाती हैं। माँ कात्यायनी को ज्ञान ,शक्ति और बुद्धि की देवी माना जाता है। माँ कात्यायनी ऋषि कात्यायन की तपस्या से प्रसन्न होकर उनकी पुत्री रुप मे प्रकट हुईं थीं। इनके नाम का अर्थ है पिता कात्यायनी की पुत्री। मान्यता है कि माँ कात्यायनी की मन से पूजा की जाए तो वैवाहिक जीवन मे सुख-शान्ति बनी रहती हैं।माता कात्यायनी का रूप सबसे सुंदर है|बिहार, उत्तरप्रदेश और झारखंड में इन्हें छठ मइया के नाम से भी जाना जाता है।माँ कात्यायनी का स्वरूप बहुत ही भव्य और दिव्य है। माता की चार भुजाएं हैं।माता कात्यायनी के दाहिने हाथों में स्वस्तिक व आशीर्वाद की मुद्रा अंकित हैं और इनके बायें हाथों में कमल और तलवार हैं। माँ कात्यायनी की सवारी सिंह है।
माता कात्यायनी की पूजा विधि:- (Maa Katyayani Ki Puja Vidhi) नवरात्रि के छठे दिन सुबह स्नान करने के बाद माता कात्यायनी का ध्यान करें। जहां आपने कलश स्थापना की है, वहां साफ-सफाई करके माता कात्यायनी की मूर्ति या फोटो को लाल या पीले कपड़े पर रख दें। अब माता कात्यायनी को कुमकुम और अक्षत से तिलक करें। माता कात्यायनी को धूप दिखाकर मां की विधिवत पूजा करें। माता कात्यायनी को सफेद रंग बेहद पसंद है, अतः उन्हें सफेद रंग के फूल और भोग अवश्य चढ़ाएं। पूजा के समापन के पहले माता कात्यायनी की आराधना मंत्रों का पाठ करें। उसके बाद आप दुर्गा सप्तशती और माता कात्यायनी की आरती का पाठ करें।
माता कात्यायनी को लगाएं इसका भोग:-
नवरात्रि के छठे दिन देवी की पूजा में शहद यानी मधु का काफी महत्व बताया गया है। इस दिन माता के प्रसाद में शहद का प्रयोग करना चाहिए। पान में शहद मिलाकर माता को भेंट करना उत्तम फलदायी होता है। माता को मालपुआ का भोग भी अत्यंत प्रिय है।
माँ कात्यायनी मंत्र:-
"कात्यायनी महामाये , महायोगिन्यधीश्वरी।
नन्दगोपसुतं देवी, पति मे कुरु ते नमः।।"
माता कात्यायनी की आरती:-
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जग माता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।