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नवरात्रि का पहला दिन, यहाँ पढ़िये मां शैलपुत्री की पूजा विधि, भोग, मंत्र और आरती

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 नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। .शैल का अर्थ होता है हिमालय। 

Maa Shailputri: हर भक्तों की मनोकामना को पूरा करने वाली माँ दुर्गा के शारदीय  नवरात्रों की शुरुवात आज से है। 9 दिनों तक चलने वाले इन नवरात्रों में माता के नौ रूपों की पूजा की जाती है। नवरात्रि (Navratri) में दुर्गा पूजा (Durga Puja 2024) के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।  पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा विधि और घटस्थापना का विशेष महत्व है। मां शैलपुत्री की आराधना से जीवन में स्थिरता और वैवाहिक जीवन में सुख शांति आती है। 

 

  मां शैलपुत्री की पूजा का महत्व :-  नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की उपासना की जाती है। शैल का अर्थ होता है हिमालय, पर्वतराज हिमालय के घर पुत्री के रूप में जन्म लेने की वजह से मां दुर्गा के इस रूप को शैलपुत्री कहा जाता है  माता शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है, जबकि मां के बाएं हाथ में कमल का फूल है. मां शैलपुत्री की सवारी बैल है।

मां शैलपुत्री का यह रूप अत्यंत ही दिव्य और महमोहक है और इनके माथे पर चंद्रमा सुशोभ‍ित होता है। मां को सफेद रंग से लगाव है। मान्यता है कि श्रद्धा पूर्वक विधि-विधान के साथ मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा उपासना की जाती है, उसी सभी मनोकामानएं पूरी होती हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इनकी आरधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। मान्यता है कि श्रद्धा पूर्वक विधि-विधान के साथ मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा उपासना की जाती है, उसी सभी मनोकामानएं पूरी होती हैं और कष्टों से मुक्ति मिलती है। इनकी आरधना करने से मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

 

माता शैलपुत्री का भोग:- .माता शैलपुत्री की पूजा और भोग में सफेद रंग की चीजों का प्रयोग ज्यादा करना चाहिए। माता को सफेद फूल, सफेद वस्त्र, सफेद मिष्ठान  ज्यादा पसंद है,यही माता को अर्पित करें।जैसे खीर, रसगुल्ले, पताशे आदि. बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु के लिए मां शैलपुत्री को गाय के घी का भोग लगाएं या गाय के घी से बनी मिठाईयों का भोग लगाएं।  माता शैलपुत्री की पूजा करने से कुंवारी कन्याओं को सुयोग्य वर की प्राप्ति होती है और घर में धन-धान्य की कमी कभी नहीं होती है।  

मां शैलपुत्री का उपासना मंत्र:- वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम् , वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्

अर्थात्- देवी वृषभ पर विराजित हैं. शैलपुत्री के दाहिने हाथ में त्रिशूल है और बाएं हाथ में कमल पुष्प सुशोभित है. यही नवदुर्गाओं में प्रथम दुर्गा हैं. नवरात्रि के प्रथम दिन देवी उपासना के अंतर्गत शैलपुत्री का पूजन करना चाहिए. इसके अलावा ऊं ऐं ह्नीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ॐ शैलपुत्री देव्यै नम: मंत्र का जाप भी आप लोग कर सकते हैं.। 

 

 माँ शैलपुत्री जी की आरती  (Maa Shailputri Ki Aarti)

शैलपुत्री माँ बैल असवार। करें देवता जय जय कार॥

शिव-शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने न जानी॥

पार्वती तू उमा कहलावें। जो तुझे सुमिरे सो सुख पावें॥

रिद्धि सिद्धि परवान करें तू। दया करें धनवान करें तू॥

प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी॥

उसकी सगरी आस पुजा दो। सगरे दुःख तकलीफ मिटा दो॥

घी का सुन्दर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के॥

श्रद्धा भाव से मन्त्र जपायें। प्रेम सहित फिर शीश झुकायें॥

जय गिरराज किशोरी अम्बे। शिव मुख चन्द्र चकोरी अम्बे॥

मनोकामना पूर्ण कर दो। चमन सदा सुख सम्पत्ति भर दो॥

 

 

 

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