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Ganga Dussehra 2024: मां गंगा का धरती पर आगमन, जानिए गंगा दशहरा तिथि, मुहूर्त व महत्व

Ganga Dussehra 2024: मां गंगा का धरती पर आगमन, जानिए गंगा दशहरा तिथि, मुहूर्त व महत्व

गंगा दशहरा। 16 जून 2024 को गंगा दशहरा पर्व है। भारतीय पञ्चांग के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष में दशमी तिथि हस्त नक्षत्र में गंगा दशहरा मनाया जायेगा। इसलिए इसे ज्येष्ठ दशहरा भी कहते हैं। हमारे शास्त्रों के अनुसार इसी दिन स्वर्ग से मोक्षदायिनी गंगा पृथ्वी पर अवतरित हुई। मां गंगा के महात्म्य का वर्णन ऋग्वेद के नदीसूक्त से लेकर स्कन्द पुराण, पद्म पुराण, वाराह पुराण, अग्नि पुराण, विष्णु पुराण, मत्स्य पुराण, कूर्म पुराण, रामायण, महाभारत आदि सभी धर्म ग्रंथों में मिलता है। देवनदी, भागीरथी,विष्णुपदा, शिवशीशधारिणी, जान्हवी आदि अनेकानेक नामों से जाने वाली गंगा मात्र नदी नहीं, बल्कि भारतीय संस्कृति की गौरवशाली सरिता है। गंगा में मात्र जल प्रवाह ही नहीं होता बल्कि भारत की चेतना प्रवाहित होती है। विश्व बंधुत्व की भावना को समेटे हुए भारत देश में गंगा का पौराणिक, धार्मिक,सांस्कृतिक, ऐतिहासिक, भौगोलिक, आर्थिक सर्वत्र महत्व है।


गंगा के पृथ्वी पर अवतरित होने की सबसे प्रचलित पौराणिक कथा है कि राजा सगर के साठ हजार पुत्र अपने कुकर्मों के फलस्वरूप अग्नि से जल रहे थे। उनकी कष्ट निवृति गंगा जल से ही हो सकती थी। सगर के वंशज भागीरथ ने दृढ़ संकल्प लिया कि वो गंगा को स्वर्ग से पृथ्वी पर लायेंगे। कठोर तप साधना के फलस्वरूप तीव्र प्रवाह वाली गंगा पहले शिव की जटाओं में धारण की गई तत्पश्चात पृथ्वी पर अवतरित हुईं। तब से सगर के साठ हजार पुत्रों का उद्धार करने के साथ साथ समस्त प्राणियों का अनवरत लोकमंगल कर रहीं हैं।
मनुस्मृति में भी गंगा दशहरा पर्व को दस पापों को हरने वाला पर्व कहा गया है। यह पर्व हमें महत्वपूर्ण प्रेरणाएं देता है। स्वर्ग से उतरकर धरती पर अवतरण, हिमालय की सुख सुविधाओं का त्याग करके कष्टसाध्य लोकमंगल की प्रवृति, लघुता को महानता में परिणित करने वाला समुद्र मिलन का लक्ष्य, इसके लिए यात्रा द्वारा अपनी पात्रता सिद्ध करने के लिए सुदूर प्रदेशों का सिंचन करने की तप साधना। गंगोत्री से चलने वाली तनिक सी धारा लोकमंगल करने का उद्देश्य पूरा करने के लिए हजार धाराओं में विस्तार कर लेती है। यही महानता ही तो गंगा अवतरण की प्रक्रिया है। 
गीता के दसवें अध्याय के 31 वें श्लोक में स्वयं भगवान कृष्ण कहते हैं -

पवनः पवतामस्मि रामः शस्त्रभृतामहम्।
झषाणां मकरश्चास्मि स्रोतसामस्मि जाह्नवी।

अर्थात् मैं पवित्र करने वालों में वायु हूँ और शस्त्रधारियों में राम हूँ; तथा मत्स्यों (जलचरों) में मैं मगरमच्छ और नदियों में मैं गंगा हूँ।
तो आइए मोक्षदायिनी मां गंगा के अवतरण दिवस पर गंगा स्नान, ध्यान, पूजन करके अपने व्यक्तित्व में मां गंगा की लोककल्याणकारी प्रकृति को भी समाहित करने का प्रयास करें!!

पंडित सौरभ दुबे
(Astrological Consultant)
काशी /बनारस/ वाराणसी
Whatsaap - 9198818164

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