ज्योतिष का हमारे शरीर के रोगों से है गहरा संबंध - ज्योतिषाचार्य पंडित सौरभ दुबे
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ज्योतिष का हमारे शरीर के रोगों से गहरा संबंध है। यही कारण है कि प्राचीन काल के हमारे वैद्य ज्योतिष का ज्ञान अवश्य रखते थे। हम मानें या न माने ज्योतिष से हमारा जीवन प्रभावित होता है। ये ठीक उसी प्रकार है जैसे कि हम न्यूटन के गुरूत्वाकर्षण नियम को मानें या न मानें परन्तु हम छत से कूदेंगे तो नीचे ही गिरेंगे और अपने हाथ पैर तोड़ लेंगे।
प्रकृति के शाश्वत नियमों की अवहेलना नहीं की जा सकती है। चूंकि मनुष्य भी इसी ब्रह्मांड का अंग है तो फिर हम ग्रहों नक्षत्रों की सकारात्मक या नकारात्मक ऊर्जाओं से प्रभावित हुए बिना कैसे रह सकते हैं।
मित्रों मेरा तो मानना है कि जहां अज्ञान है, वहीं अंधविश्वास है। इसलिए अपने शरीर के किसी रोग का आधुनिक चिकित्सा विज्ञान से उपचार कराने के साथ साथ ज्योतिषीय दृष्टिकोण से समझने का प्रयास भी करें। आपको आश्चर्य होगा कि अमुक रोग की जानकारी आपकी कुंडली शत प्रतिशत दे रही है।
आज बात पेट की एक सामान्य बीमारी "अम्लपित्त या एसिडिटी" नामक बीमारी की, जिसे डॉक्टर गैस्ट्रोइसोफेजियल रिफलक्स डिजीज (GERD) कहते हैं। पेट संबंधी किसी समस्या के लिए मुख्य रूप से कुंडली के पंचम भाव, पंचमेश और उसका अन्य ग्रहों से संबंध को गौर करना चाहिए। इसके साथ-साथ पेट संबंधित रोगों के लिए देव गुरु बृहस्पति को कारक माना जाता है। भोजन पचाने के लिए सूर्य ग्रह सहायता करते हैं। आंतों की प्रक्रिया को राहु संचालित करते है।
अतः अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में गुरु की स्थिति कमजोर है या फिर पंचमेश सूर्य, शनि,राहु या केतु से दृष्ट है या फिर पंचमेश की सूर्य, शनि राहु,केतु से युति है तो एसिडिटी रोग की सम्भावना है। यहां तक कि पूरी कुंडली का अवलोकन करने के पश्चात रोग का प्रारंभ, उसकी अवधि और रोग की गम्भीरता का शत प्रतिशत सटीक विश्लेषण किया जा सकता है।
हां एक बात और..! मैं किसी भी प्रकार की चिकित्सा पद्धति के विरोध में नहीं हूं। लेकिन अगर आप ज्योतिष में विश्वास रखते हैं तो ज्योतिष न सिर्फ आपके रोग के निदान में आपकी मदद कर सकता है बल्कि रोगी होने से भी बचाया जा सकता है। हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना होगा ताकि हम ऋषियों द्वारा प्रदत्त ज्ञान की मदद से अपनी स्वास्थ्य संबंधी की समस्याओं का समाधान कर सकें। प्राचीन विधाओं और आधुनिक चिकित्सा पद्धतियों के तालमेल से गंभीर रोगों को भी काबू किया जा सकता है और स्वस्थ समाज का निर्माण किया जा सकता है।
पंडित सौरभ दुबे (Astrological Consultant)
काशी/बनारस/वाराणसी
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