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Ganesh Chaturthi 2023: यहां पढ़ें गणेश चौथ व्रत की कथा, जानिए क्या हैं चंद्रोदय का समय? जानिए पूजा सामग्री से लेकर पूजन-विधि

गणेश चतुर्थी 2023:  गणेश चौथ व्रत कथा जानिए क्या हैं चंद्रोदय का समय? गणेश चौथ व्रत की पूजा कैसे करते हैं, किन सामग्री की होती है जरूरत सबकुछ जानें यहां  ganaish chhaturthi 2023: yahaan padhen ganesh chauth vrat kee katha, jaanie kya hain chandroday ka samay? jaanie pooja saamagree se lekar poojan-vidhi sakat chauth 2023,sakat chauth 2023 date,sakat chauth date january 2023,sakat chauth 2023 date time,sakat chauth pooja vidhi,sakat chauth vrat katha,sakat chauth,sankashti chaturthi 2023,sakat chauth 2023 puja vidhi,sakat chauth 2023 chandra darshan time,sakat chauth puja vidhi,sakat chauth vrat 2023,sakat chauth kab hai,sankat chauth kab hai,sakat chauth ki kahani,ganesh chauth 2023 dates,til chauth kab hai 2023,sakat chauth 2023 date january

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Ganesh chauth vrat katha in Hindi: सकट चौथ वाले दिन प्रथम पूजनीय देवता भगवान गणेश की पूजा होती है। वैसे तो हर महीने में दो चतुर्थी पड़ती है लेकिन माघ महीने के कृष्ण पक्ष में आने वाली ये चतुर्थी खास है। कहते हैं इस दिन व्रत करने से व्यक्ति की सारी मनोकामनाएं पू्र्ण हो जाती हैं।

 

खासतौर से ये व्रत महिलाओं द्वारा संतान की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। इस दिन शाम के समय इस व्रत कथा को पढ़ना जरूरी होता है। व्रत करने वाले लोग इस दिन लाल रंग के वस्त्र धारण करें। यह बेहद शुभ माना जाता है।

 

यह भी कहा जाता है कि ऐसा करने से व्रत सफल होता है। साल में कुछ चतुर्थी बेहद खास मानी जाती है। जिनमें से एक है माघ कृष्ण पक्ष की चतुर्थी जिसे सकट चौथ, तिलकुट चतुर्थी (Tilkut Vrat 2023), तिल चतुर्थी, वक्रतुंड चतुर्थी आदि नामों से जाना जाता है।

 

गणेश चौथ व्रत कथा (Ganesh Chauth Vrat Katha)

पौराणिक मान्यताओं अनुसार सकट चौथ के दिन भगवान गणेश पर सबसे बड़ा संकट आकर टला था, इसलिए इस दिन का नाम सकट चौथ पड़ा है। कथा के अनुसार एक दिन मां पार्वती स्नान करने के लिए जा रही थी। तब उन्होंने अपने पुत्र गणेश को दरवाजे के बाहर पहरा देने का आदेश दिया और बोली कि जबतक मैं स्नान करके ना लौटी किसी को भी अंदर मत आने देना। भगवान गणेश भी मां की आज्ञा का पालन करते हुए बाहर खड़े होकर पहरा देने लगे।

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ठीक उसी वक्त भगवान शिव अंदर आने की कोशिश करने लगे। परंतु गणेश जी ने भगवान शिव को रोक दिया। ये देखकर भगवान शिव क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश जी की गर्दन धड़ से अलग कर दी।

अपने पुत्र गणेश की आवाज सुनते ही माता पार्वती भागती हुई बाहर आईं, पुत्र गणेश की कटी हुई गर्दन देख वो विलाप करने लगीं और शिव जी से अपने बेटे के प्राण वापस लाने की गुहार की। शिव जी ने माता पार्वती की आज्ञा मानते हुए, गणेश जी पर एक हाथी के बच्चे का सिर लगाकर उन्हें पुनः जीवन दान दे दिया।

 इस बात से खुश होकर माता पार्वती ने कहा कि इस दिन जो भी माता अपनी संतान के लिए व्रत रखेंगी भगवान गणेश की कृपा से उसकी संतान को दीर्घायु मिलेगी। कहा जाता है वह दिन माघ माह की चतुर्थी का था । तभी से माताएं अपनी संतान की लंबी आयु के लिए व्रत रखने लगी।

 

 

गणेश चौथ का महत्व 

चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। माघ महीने की सकट चौथ व्रत मुख्य रूप से महिलाएं संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। ऐसी मान्यता है इस दिन व्रत रखने से सभी तरह के संकट खत्म हो जाते हैं और जीवन में सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। ऐसे मान्यता है भगवान गणेश ने माता पार्वती और भगवान शिव की परिक्रमा सकट चौथ के ही दिन की थी जिस कारण से इस व्रत का विशेष महत्व होता है।

 

 

गणेश चौथ में पुजा करने की विधि 

गणेश चौथ के दिन लोटे में शुद्ध जल भरकर उसमें लाल चन्दन, कुश, पुष्प, अक्षत आदि डालकर चंद्रमा को अर्घ्य दिया जाता है। भगवान गणपति जी की पूजा करते समय दिशा का विशेष ध्यान रखना चाहिए। इस दौरान मुंह पूर्व या उत्तर दिशा की ओर रखना चाहिए। पूजा में आप तिल, गुड़, लड्डू, फूल, तांबे के कलश में पानी, धूप, चन्दन, प्रसाद के तौर पर केला या नारियल रखें।

शाम के समय चंद्रमा के निकलने से पहले संकष्टी व्रत कथा का पाठ कर भगवान गणेश जी की पूजा करें। पूजा समाप्त होने के बाद सबको प्रसाद बांटें। रात को चांद देखने के बाद व्रत खोला जाता है और इस प्रकार संकष्टी चतुर्थी का व्रत पूर्ण होता है। 

 

गणेश जी के समक्ष धूप व दीप जला कर इस मंत्र का जाप करें:

गजाननं भूत गणादि सेवितं, कपित्थ जम्बू फल चारू भक्षणम्।
उमासुतं शोक विनाशकारकम्, नमामि विघ्नेश्वर पाद पंकजम्।।

 

 

गणेश चौथ पर कब कहा दिखाई देगा चांद

  • नई दिल्ली-08:41 पी एम
  • मुम्बई-09:13 पी एम
  • चेन्नई-08:50 पी एम
  • अहमदाबाद-09:08 पी एम
  • हैदराबाद-08:52 पी एम
  • कोलकाता-08:04 पी एम
  • जयपुर-08:50 पी एम
  • कानपुर-08:31 पी एम
  • लखनऊ-08:28 पी एम
  • पुणे-09:09 पी एम
  • पटना-08:13 पी एम
  • लुधियाना-08:43 पी एम
  • वाराणसी-08:22 पी एम
  • श्रीनगर-08:42 पी एम

गणेश चौथ पूजा मंत्र (Sakat Chauth Puja Mantra)

  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . ॐ सिद्धि विनायकाय नमः आवाहयामि 
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . आसनं समर्पयामि (अक्षत चढ़ाएं) 
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अर्घ्यं समर्पयामि (जल चढ़ाएं)
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पाद्यं समर्पयामि (जल चढ़ाएं)
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पंचामृत स्नानं समर्पयामि (पंचामृत चढ़ाए)
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः वस्त्र युग्मं समर्पयामि (वस्त्र या मौली चढ़ाएं)
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . यज्ञोपवीतं धारयामि (जनेउ चढ़ाएं
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . गंधं धारयामि (सुगंधित पूजा सामग्री चढ़ाएं)
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . अक्षतान् समर्पयामि (चावल चढ़ाएं)
  • ॐ सिद्धि विनायकाय नमः . पुष्पैः पूजयामि (फूल चढ़ाएं)

गणेश  चौथ पर सुबह करें गणेश जी की आरती (Ganesh Ji Ki Aarti)

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

एक दंत दयावंत,

चार भुजा धारी ।

माथे सिंदूर सोहे,

मूसे की सवारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

पान चढ़े फल चढ़े,

और चढ़े मेवा ।

लड्डुअन का भोग लगे,

संत करें सेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

अंधन को आंख देत,

कोढ़िन को काया ।

बांझन को पुत्र देत,

निर्धन को माया ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

'सूर' श्याम शरण आए,

सफल कीजे सेवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

दीनन की लाज रखो,

शंभु सुतकारी ।

कामना को पूर्ण करो,

जाऊं बलिहारी ॥

जय गणेश जय गणेश,

जय गणेश देवा ।

माता जाकी पार्वती,

पिता महादेवा ॥

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