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चमत्कारों और आश्चर्यों से भरी है देवरहा बाबा की कहानी, इंदिरा गांधी तक थीं उनके चमत्कारों से प्रभावित

चमत्कारों और आश्चर्यों से भरी है देवरहा बाबा की कहानी, इंदिरा गांधी तक थीं उनके चमत्कारों से प्रभावित

इन दिनों बागेश्वर धाम और राम कथावाचक पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री चर्चा में हैं। दरअसल कुछ दिनों पहले बागेश्वर धाम सरकार में पंडित धीरेंद्र शास्त्री के खिलाफ नागपुर की जादू-टोना विरोधी नियम जनजागृति प्रचार-प्रसार समिति ने वहां होने वाली कथा, जादू-टोना के खिलाफ आपत्ति जताते हुए पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। आपको बता दें बागेश्वर धाम में कई बड़े नेताओं आना-जाना भी है और पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री से आशीर्वाद लेते रहें।

 

बागेश्वर धाम और पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री पर आरोप है कि वे राम कथा के नाम पर दिव्य दरबार, जादू-टोना और भूत-प्रेत की कहानियां सुनाकर लोगों को ठगने का काम करते हैं। वहीं बागेश्वर धाम और खुद पर लगे आरोपों को पंडित धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री सिरे से खारिज करते हुए आरोप लगाने वालों पर तीखा प्रहार कर रहे हैं। देश में समय-समय पर कई ऐसे बाबा और साधु संत हुए हैं जिनकी चर्चा होती रही है।

 

इन साधु-संतों के पास न सिर्फ आम लोगों की श्रद्धा रही है बल्कि राजनेताओं, बड़े व्यापारी और बालीवुड के सितारे भी इनके दरबार में आते रहे है और आशीर्वाद लिया है। इन्हीं में से एक सिद्ध पुरूष देवरहा बाबा भी हुए जिनकी ख्याति न सिर्फ देश में फैली बल्कि विदेशों में चर्चा के केंद्र रहे हैं। देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए इंदिरा गांधी से लेकर जॉर्ज पंचम भी आए थे।

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जानिए कौन थे देवरहा बाबा


उत्तर प्रदेश के देवरिया जिले में एक ऐसे सिद्ध योगी का जन्म हुआ था जिनकी सिद्धियों की चर्चा दूर-दूर तक फैली हुई थी। इस सिद्ध योगी को लोग देवरहा बाबा के नाम से जानते हैं। देवरहा बाबा के बारे में कहा जाता है कि इनको अनेक तरह की सिद्धियां प्राप्त थी। इनके पास आने वाले लोगों के मन की बात बिना बताए ही जान लेते थे। इनके अंदर पानी के ऊपर चलने की क्षमता हासिल थी। इनके सिद्ध योग और चमत्कारों की अनेकों कहानियों के चलते देश-विदेश के कई बड़े राजनेता,नौकरशाह, फिल्मी सितारे इनके पास आशीर्वाद लेने के लिए आते थे।

इंदिरा गांधी से लेकर जॉर्ज पंचम तक सरयू नदी के किनारे बने आश्रम में दर्शन करने के लिए आए थे। देवरहा बाबा हमेशा लोगों को मचान के ऊपर बैठकर दर्शन देते थे। देवरहा बाबा की काया और वेशभूषा कुछ ऐसी थी, दुबला पतला शरीर, लंबे बालों की जटा, शरीर पर यज्ञोपवीत और कमर में मृग छाला।

देवरहा बाबा के पास उनका आशीर्वाद लेने के लिए कई जानी मानी हस्तियां आई थी जिसमें पूर्व राष्ट्पति डॉ. राजेंद्र प्रसाद, पंडित मदन मोहन मालवीय, पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू, इंदिरा गांधी, चंद्रशेखर, विश्वनाथ प्रताप सिंह समेत कई जाने माने राजनेता शामिल थे।



देवरहा बाबा ने दिया कांग्रेस पार्टी का चुनाव चिन्ह

इंदिरा गांधी ने जब देशभर आपातकाल लगाया था तब उनकी आलोचना पूरे देश में हुई थी। आपातकाल के बाद साल 1977 में हुए आम चुनाव में इंदिरा गांधी को बुरी तरह से हार का सामना करना पड़ा था।

इस हार के बाद  इंदिरा गांधी ने देवरहा बाबा का आशीर्वाद लेने के लिए उनके आश्रम में आयी थीं। तब देवरहा बाबा ने इंदिरा गांधी को हाथ उठाकर पंचे से आशीर्वाद दिया था। इसके बाद कांग्रेस ने अपनी पार्टी का चुनाव निशान हाथ का पंचा कर लिया था। पंचे के चुनाव निशान पर तब कांग्रेस पार्टी ने 1980 के चुनाव में प्रचंड बहुमत हासिल कर के देश में सरकार बनाई थी। 


एक बार देवरहा बाबा से मिलने तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी को आना था। आला अफसरों ने हैलीपैड बनाने के लिए वहां लगे एक बबूल के पेड़ की डाल काटने के निर्देश दिए। पता लगते ही बाबा ने एक बड़े अफसर को बुलाया और पूछा कि पेड़ क्यों काटना चाहते हो? अफसर ने कहा, 'प्रधानमंत्री आ रहे हैं, इसलिए जरूरी है।' बाबा बोले, 'तुम यहां प्रधानमंत्री को लाओगे, प्रशंसा पाओगे, प्रधानमंत्री का नाम भी होगा।

लेकिन दंड तो बेचारे पेड़ को भुगतना पड़ेगा। वह इस बारे में पूछेगा, तो क्या जवाब दूंगा? नहीं! यह पेड़ नहीं काटा जाएगा।' अफसरों ने अपनी मजबूरी बताई पर बाबा जरा भी राजी नहीं हुए। उनका कहना था कि 'यह पेड़ होगा तुम्हारी निगाह में, मेरा तो साथी है, पेड़ नहीं कट सकता।' बाबा ने तसल्ली दी और कहा कि घबराओ मत, प्रधानमंत्री का कार्यक्रम टल जाएगा। दो घंटे बाद ही प्रधानमंत्री कार्यालय से रेडियोग्राम आ गया कि प्रोग्राम स्थगित हो गया है।


सैकड़ों साल तक बाबा जिंदा रहें, देवरहा बाबा करते थे पेड़ों और पशु-पक्षियों से बात


लोगों के अनुसार देवरहा बाबा के पास कई तरह की सिद्धियां और चमत्कारी शक्तियां थी। देवरहा बाबा पानी पर बड़े ही आसानी के साथ चलते थे हालांकि बाबा को ऐसा करते हुए किसी ने कभी देखा नहीं था। देवरहा बाबा अपनी सिद्धि के बल पर जहां चाहते थे मन की गति से वहां पर पहुंच जाते थे। देवरहा बाबा पेड़-पौधे और जानवरों की भाषा का आसानी से समझने की क्षमता थी। बाबा ने कभी भी अपने जीवन में अन्न नहीं खाया था बल्कि वे दूध और शहद का ही सेवन करते थे।

देवरहा बाबा अपने आश्रम में केवल 8 महीने ही रहा करते थे जबकि बाकी का समय काशी, प्रयाग, मथूरा और हिमालय की वादिया में एकांत में रहते थे। देवरहा बाबा की आयु का अंदाजा किसी को भी नहीं है। कई लोगों का मनाना है कि देवरहा बाबा 250 सालों तक जिंदा रहे। वहीं कुछ भक्तों का मानना है की देवरहा बाबा करीब 900 सालों तक जिंदा रहे।


 

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