सीजेआई और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे के मंच साझा करने पर एमवीए दलों ने जताई आपत्ति
मुंबई। महा विकास आघाड़ी (एमवीए) में शामिल दलों ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और भारत के प्रधान न्यायाधीश (सीजेआई) यू. यू. ललित के ऐसे समय में मंच साझा करने पर आपत्ति जतायी जब उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना और शिंदे गुट की याचिकाओं पर सुनवाई उच्चतम न्यायालय में चल रही है।
शिवसेना और कांग्रेस के साथ एमवीए में शामिल राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की प्रदेश इकाई अध्यक्ष जयंत पाटिल ने ट्वीट किया, “उच्चतम न्यायालय की संवैधानिक पीठ एकनाथ शिंदे सरकार की वैधता को चुनौती देने के एक गंभीर मामले पर सुनवाई कर रही है। ऐसे में, शिंदे का भारत के प्रधान न्यायाधीश के साथ मंच साझा करना अनुचित है। यह प्रोटोकॉल के अनुरूप नहीं है।”
सीजेआई ललित को शनिवार को मुंबई में एक कार्यक्रम में सम्मानित किया गया, जहां केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजीजू भी मौजूद थे। कार्यक्रम में मौजूद रहे महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री शिंदे ने कहा था कि यह राज्य के लिए गर्व का पल है क्योंकि इसका “बेटा” भारत का प्रधान न्यायाधीश बना है।
कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने शनिवार के कार्यक्रम की तस्वीरें साझा करते हुए ट्वीट किया, “ऐसे समय में जब माननीय उच्चतम न्यायालय शिंदे-फडणवीस सरकार की वैधता की जांच कर रहा है और न केवल वर्तमान राज्य सरकार बल्कि इसका नेतृत्व करने वाले व्यक्ति को भी अयोग्य घोषित किया जा सकता है, तो इस तरह मंच साझा करना ठीक नहीं है।”
शिवसेना प्रवक्ता अरविंद सावंत ने दावा किया कि इन दिनों नियम और कानून के मुताबिक कुछ नहीं हो रहा है। उन्होंने कहा, “यही कारण है कि हम कहते हैं कि लोकतंत्र खतरे में है।”
उल्लेखनीय है कि इस साल जून में शिंदे के नेतृत्व में शिवसेना में बगावत हुई थी, जिसके चलते ठाकरे की अगुवाई वाली एमवीए सरकार गिर गई थी। इसके बाद 30 जून को शिंदे ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ली थी जबकि फडणवीस उपमुख्यमंत्री बने थे।
उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में शिवसेना और मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे के गुटों द्वारा दायर याचिकाओं को पांच-न्यायाधीशों की पीठ के पास भेज दिया था। इन याचिकाओं में दलबदल, विलय और अयोग्यता से संबंधित कई संवैधानिक प्रश्न उठाए गए थे।