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कोरोना वैक्सीन के सेकंड डोज पर सख्ती, सेकंड डोज नहीं तो राशन नहीं

कोरोना वैक्सीन के सेकंड डोज पर सख्ती, सेकंड डोज नहीं तो राशन नहीं

मध्यप्रदेश में कोरोना वैक्सीन के सेकंड डोज को लेकर सख्ती बढ़ती जा रही है। अब खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति विभाग ने भी सरकारी उचित मूल्य दुकानों से राशन लेने वाले हितग्राहियों के लिए दोनों डोज अनिवार्य कर दिए हैं। यानी अगर दोनों डोज नहीं लगे होंगे तो फ्री राशन भी नहीं मिलेगा। इसी तरह रतलाम में वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट के बिना सेव नहीं मिलेगी। इंदौर में बगीचों में टहलने और उज्जैन में होटलों में रुकने नहीं दिया जाएगा। 

खाद्य, नागरिक आपूर्ति एवं उपभोक्ता संरक्षण विभाग के प्रमुख सचिव फैज अहमद किदवई ने पिछले हफ्ते यह आदेश जारी किया था। यह आदेश कहता है कि राज्य सरकार ने कोविड-19 टीकाकरण के तहत 18 वर्ष से अधिक उम्र के सभी नागरिकों के लिए फ्री टीकाकरण की व्यवस्था की है। प्रदेश में 1.15 करोड़ परिवारों के 4.90 करोड़ हितग्राहियों को सरकारी उचित मूल्य दुकानों से राशन दिया जाता है। आदेश के अनुसार राशन दुकान संचालकों को ही यह ब्यौरा रखना होगा कि किसने दूसरा डोज लगवाया है और किसने नहीं। इसके आधार पर नजदीकी अस्पताल को उन्हें स्लिप भी भेजनी होगी। यह भी सुनिश्चित करना होगा कि टीके के दोनों डोज लगवाने वाले को ही राशन दिया जाए। 

मध्यप्रदेश के जिलों में सख्ती की होड़ चली है। इंदौर में कलेक्टर मनीष सिंह के निर्देश पर अस्पतालों में इलाज से लेकर सरकारी योजनाओं का लाभ उठाने तक के लिए सेकंड डोज अनिवार्य कर दिया है। 56 दुकान पर स्वाद लेना भी दोनों डोज के बिना मुमकिन नहीं होगा। अब रतलाम के सेव कारोबारियों ने तय किया है कि वे सर्टिफिकेट देखकर ही सेव बेचेंगे।  इंदौर में दूसरा डोज नहीं लगवाने वालों को चिड़ियाघर और बगीचों में एंट्री पर रोक लगा दी है। इंटरसिट और इंट्रासिटी बसों में सफर नहीं कर सकते। एक दिसंबर से बिल्डर और ठेकेदार उन्हीं मजदूरों को काम देंगे, जिन्होंने दोनों डोज लगवाए हों। शॉपिंग मॉल में एंट्री में आनाकानी शुरू कर दी गई है। उज्जैन में होटल, लॉज और धर्मशाला में बिना वैक्सीनेशन प्रवेश नहीं मिलेगा।  

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 ग्वालियर में सेकंड डोज के बिना पेट्रोल-डीजल नहीं मिलेगा। शादियों में मेहमानों को एंट्री तभी मिलेगी जब वैक्सीनेशन सर्टिफिकेट दिखाएंगे। गुना में मॉल से सामान नहीं मिलेगा। इसके बाद भी भोपाल समेत कुछ जिले ऐसे हैं, जहां सेकंड डोज को लेकर सख्ती कम ही है। इसी वजह से कई जिले वैक्सीनेशन के सेकंड डोज में पिछड़ रहे हैं।

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