बटेश्वर पहाड़ी पर स्थित मंदिर की अनोखी कहानी, कैसे डकैत और मुस्लिम आर्कियोलॉजिस्ट ने सहेजा प्राचीन मंदिर

मुरैना जिले के बटेश्वर मंदिर की कहानी अनोखी है और एएसआई ने कड़ी मेहनत से मलबे को बनाया मंदिर साथ मिला खूंखार डकैत निर्भय सिंह गुर्जर ने की।
मुरैना/ग्वालियर: मध्य प्रदेश के मुरैना में स्थित ‘बटेश्वर मंदिर’ जितना अनोखा है, उतनी ही अनोखी इसे सहेजने की कहानी भी है।
दरअसल, इस मंदिर को उस वक्त के खूंखार-निर्दयी डकैत निर्भय सिंह गुर्जर और आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया के केके मुहम्मद ने सहेजा।
आर्कियोलॉजिस्ट केके मुहम्मद ने हाल ही में अपने भाषण में बटेश्वर को सजाने और संवारने का किस्सा याद किया. साल 2000 के आसपास उन्हें मध्य प्रदेश में पोस्टिंग दी गई थी।
यहां आकर केके मुहम्मद को यह तो पता चल गया था कि अगर चंबल के इलाके का प्राचीन बटेश्वर मंदिर सहेजना है तो डकैतों से बात करनी ही पड़ेगी.
क्योंकि उस वक्त चंबल पूरी तरह डकैतों के कब्जे में ही था। खासकर निर्भय गुर्जर के आतंक की कहानियां उन दिनों देशभर में फैली हुई थीं।
यह जानने के बाद केके मुहम्मद ने बिचौलियों और खबरियों के माध्यम से निर्भय सिंह गुर्जर तक यह पैगाम पहुंचाना शुरू कर दिया कि उनका इरादा केवल प्राचीन मंदिरों के पुनरुत्थान का है और कुछ नहीं।
हर जगह फैला था पत्थर का मलबा
इसके बाद गुर्जर ने जैसे-तैसे कुछ समय के लिए वह जगह खाली कर दी और अपना ठिकाना कहीं और बना लिया। उसने एएसआई टीम को बिना किसी असुरक्षा के वहां काम करने की अनुमति दे दी।
केके मुहम्मद ने बताया कि जब वह बटेश्वर पहुंते तो यहां चारों ओर पत्थरों का मलबा फैला हुआ था। पूरे परिसर में कुछ ही छोटे मंदिर सुरक्षित दिख रहे थे। इस परिसर के मध्य में एक पेड़ बहुत बड़ा हो गया था। उसकी वजह से उसने मंदिर को तहस-नहस कर दिया था।
बिना मुश्किल के चला काम
यह संकेत था कि इस जगह कभी आलीशान मंदिर हुआ करता था। मुहम्मद के अनुसार, इस तरह की जगह उन्होंने कम ही देखी थी। इस मंदिर परिसर को सहेजने में बहुत मेहनत चाहिए थी. निर्भय सिंह गुर्जर की शय मिलने के बाद इस प्राचीन मंदिर परिसर का काम साल 2005 तक जबरदस्त रफ्तार में बिना किसी मुश्किल के चला।
इस तरह मिला निर्भय गुर्जर
केके मुहम्मद ने बताया कि उन्होंने निर्भय सिंह गुर्जर से मिलने की कोई पहल नहीं की इस दौरान उसके दुर्दांत अपराध की खबरें उन तक जरूर पहुंच रही थीं।
उन्होंने बताया, एक शाम को वह मंदिर परिसर के काम का जायजा ले रहे थे। इतने में उन्होंने देखा कि एक शख्स मंदिर के बाहर खड़ा बीड़ी पी रहा है। वह बहुत नाराज हुए और उस शख्स को यह कहकर डांटने लगे कि वह मंदिर का अपमान कर रहा है।
इस बीच मोहम्मद के साथ काम कर रहा स्थानीय युवक बेतहाशा दौड़ते हुए आया और चुप रहने के लिए कहा इससे मुहम्मद समझ गए कि उनके सामने कोई और नहीं, बल्कि निर्भय सिंह गुर्जर है।
इस तरह समझाया डकैत को
केके मुहम्मद के अनुसार, उन्होंने निर्भय सिंह गुर्जर को यह कहकर इंप्रेस किया कि जो कुछ भी काम यहां हुआ वह उसी की वजह से हुआ है। अभी भी बहुत काम बाकी है। इस पर गुर्जर ने उनसे पूछ लिया कि आप चाहते क्या हैं?
इसके बाद मुहम्मद ने उन्हें बताया कि यह मंदिर गुर्जर प्रतिहार वंश ने बनाया था। उन्होंने निर्भय को बताया कि उसके नाम में लगा गुर्जर इस बात का संकेत है कि वह गुर्जर प्रतिहार वंश का वंशज है।
यह बात रही टर्निंग पॉइंट
केके मुहम्मद की माने तो यह बात इस मामले की टर्निंग पॉइंट यही थी और निर्भय अपनी गैंग को लेकर यहां से जाने के लिए तैयार हो गया। हालांकि, उसकी यह शर्त थी कि उसकी गैंग यहां हनुमान भगवान की प्रार्थना करते रहेंगे क्योंकि पूजा-पाठ का यह सिलसिला यहां सालों से चल रहा है।