पारंपरिक दातुन से लेकर आधुनिक टूथपेस्ट तक,सही टूथपेस्ट का कैसे करें चयन ? जाने सही ब्रशिंग का तरीका...
 
                      
                    दांतों की सफाई और उनकी देखभाल का सफर काफी पुराना और दिलचस्प है। एक समय था जब लोग दातुन और प्राकृतिक उत्पादों से दांतों की देखभाल करते थे, लेकिन आजकल टूथपेस्ट के आधुनिक फॉर्मूले ने इस पारंपरिक पद्धति को काफी हद तक पीछे छोड़ दिया है। अब बाजार में कई तरह के टूथपेस्ट उपलब्ध हैं जो सिर्फ सफाई ही नहीं बल्कि दांतों की संवेदनशीलता, प्लाक, और कैविटी जैसी समस्याओं से भी बचाव करने का दावा करते हैं।
पारंपरिक देखभाल- दातुन का महत्व
पुराने समय में दातुन का उपयोग आम था, विशेषकर भारत में। दातुन के रूप में नीम, बबूल, अर्जुन जैसे पेड़ों की टहनियों का इस्तेमाल किया जाता था, जो न केवल दांतों को साफ रखते थे बल्कि मुंह की विभिन्न समस्याओं को भी दूर करने में मददगार होते थे। हर दातुन की अपनी विशेषता होती है, जैसे:
- नीम की दातुन: मसूड़ों की सूजन, पायरिया और दांतों में कीड़ा लगने से बचाती है।
- बबूल की दातुन: मसूड़ों को मजबूत करती है और प्रेग्नेंसी से जुड़ी समस्याओं में भी लाभकारी है।
- अर्जुन की दातुन: हृदय के रोगियों के लिए फायदेमंद मानी जाती है और उच्च रक्तचाप को नियंत्रित करने में सहायक है।
आधुनिक दंत देखभाल: टूथपेस्ट और ब्रश
जैसे-जैसे विज्ञान और तकनीक का विकास हुआ, टूथपेस्ट और ब्रश ने दातुन की जगह लेना शुरू कर दिया। 19वीं सदी के अंत में टूथपेस्ट को पहली बार व्यावसायिक रूप से ट्यूब में बेचा गया, और तब से इसे लगातार विकसित किया गया है। आजकल टूथपेस्ट में फ्लोराइड, पुदीना, नमक और कई अन्य तत्व मिलाए जाते हैं, जो दांतों की सुरक्षा और सफाई में मदद करते हैं।
- फ्लोराइड युक्त टूथपेस्ट: यह कैविटी से बचाव करता है और दांतों की मजबूती को बढ़ाता है।
- सेंसिटिविटी टूथपेस्ट: जिन लोगों के दांत संवेदनशील होते हैं, उनके लिए विशेष रूप से तैयार किए गए होते हैं।
- वाइटनिंग टूथपेस्ट: दांतों का पीलापन दूर कर उन्हें चमकदार बनाने में सहायक होते हैं।
कैविटी और अन्य समस्याएं
दांतों में कैविटी का होना आज की सबसे आम समस्याओं में से एक है। यह तब होती है जब प्लाक में मौजूद बैक्टीरिया दांतों की सतह पर मौजूद खनिजों को नुकसान पहुंचाते हैं। कैविटी के मुख्य कारण होते हैं:
चिपचिपे और शक्कर युक्त खाद्य पदार्थों का सेवन। दांतों की सही तरीके से सफाई न करना। मुंह में लार की कमी।
दांतों की अन्य समस्याओं में मसूड़ों की सूजन (पायरिया), मुंह से दुर्गंध (हैलिटोसिस), और दांतों की कमजोर संरचना शामिल हैं। इन समस्याओं से बचने के लिए नियमित रूप से दांतों की देखभाल और सही टूथपेस्ट का चयन करना बेहद जरूरी है।
टूथपेस्ट का इतिहास: कैसे हुआ विकास?
अगर टूथपेस्ट के इतिहास की बात करें, तो इसका सबसे पहला उल्लेख मिस्र में मिलता है, जहां लोग 5000 ईसा पूर्व में नमक, पुदीना और फूलों के मिश्रण से दांत साफ करते थे। भारत और चीन में 500 ईसा पूर्व से टूथपेस्ट का इस्तेमाल होने लगा था, जिसमें जानवरों की हड्डियों और प्राकृतिक अवयवों का प्रयोग होता था। धीरे-धीरे टूथपेस्ट में बदलाव आया, और 1873 में कोलगेट ने इसे पहली बार ट्यूब में बेचना शुरू किया।
सही टूथपेस्ट का चयन कैसे करें?
टूथपेस्ट चुनते समय उसके ट्यूब पर बने कलर कोड्स को ध्यान में रखना चाहिए, जो इस बात की जानकारी देते हैं कि टूथपेस्ट में कौन-कौन से तत्व हैं:
काला रंग: इसका मतलब है कि टूथपेस्ट में केवल केमिकल्स का प्रयोग हुआ है।
 नीला रंग: यह इंगित करता है कि टूथपेस्ट में प्राकृतिक और कुछ केमिकल्स का मिश्रण है।
 लाल रंग: यह केमिकल्स और प्राकृतिक अवयवों के मिश्रण से बना होता है।
 हरा रंग: पूरी तरह से प्राकृतिक अवयवों से बना टूथपेस्ट होता है, जो दांतों के लिए सबसे सुरक्षित माना जाता है।
सही ब्रशिंग तकनीक
सिर्फ सही टूथपेस्ट ही नहीं, ब्रश करने का सही तरीका भी महत्वपूर्ण है। ब्रश को हल्के हाथों से 2 मिनट तक करना चाहिए और मटर के दाने जितना टूथपेस्ट लगाना चाहिए। अधिक पेस्ट लगाने से कोई अतिरिक्त लाभ नहीं मिलता, बल्कि यह नुकसानदायक भी हो सकता है।
दांतों के लिए प्राकृतिक उपाय
अगर आप दांतों की देखभाल के लिए प्राकृतिक उपाय अपनाना चाहते हैं, तो हाइड्रोजन पेरोक्साइड और बेकिंग सोडा का प्रयोग कर सकते हैं। यह दांतों की सफेदी और प्लाक से बचाव में मददगार होते हैं।
दांतों की देखभाल का सफर चाहे प्राचीन काल से हो या आज की आधुनिक तकनीकों से, इसका महत्व कभी कम नहीं हुआ। सही देखभाल और सावधानियों से न केवल आप अपने दांतों को स्वस्थ रख सकते हैं बल्कि अपने मुस्कान को भी बेदाग बना सकते हैं।
 
                          