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सहारा इंडिया ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का निधन, मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में ली अंतिम सांस, अब क्या होगा सहारा निवेसकों का?

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मुंबई. सहारा इंडिया ग्रुप के प्रमुख सुब्रत रॉय का मंगलवार देर रात मुंबई के कोकिला बेन अस्पताल में निधन हो गया. वे लंबे समय से बीमार चल रहे थे. 75 साल के सुब्रत रॉय देश के प्रमुख कारोबारी और सहारा इंडिया के फाउंडर थे.

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सुब्रत रॉय का जन्म 10 जून 1948 को बिहार के अररिया में हुआ था. उन्होंने गोरखपुर से मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई के बाद बिजनेस की शुरुआत गोरखपुर से ही की थी. 1992 में सहारा ग्रुप ने राष्ट्रीय सहारा नाम का अखबार निकाला. साथ ही कंपनी ने सहारा टीवी नाम से टीवी चैनल शुरू किया था. बता दें कि सहारा ग्रुप मीडिया, रियल एस्टेट, फाइनेंस सहित कई सेक्टर में काम करती हैं.

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सुब्रत रॉय के निधन पर सहारा ग्रुप ने बयान जारी कर कहा कि सहारा इंडिया परिवार के प्रमुख सुब्रत रॉय सहारा का कार्डियो अरेस्ट के बाद मंगलवार रात 10.30 बजे निधन हो गया. वह हाइपरटेंशन और डायबिटीज जैसी बीमारियों से जूझ रहे थे. उनका स्वास्थ्य लगातार खराब था, जिसकी वजह से उन्हें 12 नवंबर को कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी अस्पताल में भर्ती कराया गया था. सहारा इंडिया परिवार सहाराश्री के निधन पर शोकसंतप्त है.

समूह ने बयान में कहा, ‘सहारा इंडिया परिवार अत्यंत दुख के साथ हमारे सहारा इंडिया परिवार के प्रबंध कार्यकर्ता और अध्यक्ष माननीय ‘सहाराश्री’ सुब्रत रॉय सहारा के निधन की सूचना दे रहा है.’ बयान में उन्हें एक प्रेरणादायक नेता और दूरदर्शी बताते हुए कहा गया है, ‘उनके निधन से हुई क्षति को संपूर्ण सहारा इंडिया परिवार गहराई से महसूस करेगा. सहाराश्री जी उन सभी के लिए एक मार्गदर्शक शक्ति, एक संरक्षक और प्रेरणा के स्रोत थे, जिन्हें उनके साथ काम करने का सौभाग्य मिला.’

बयान के अनुसार, सहारा इंडिया परिवार रॉय की विरासत को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और संगठन को आगे बढ़ाने में उनके दृष्टिकोण का सम्मान करना जारी रखेगा.

रॉय के निधन पर सपा सुप्रीमाे अखिलेश यादव ने शोक जताते हुए कहा कि उनका जाना उत्तर प्रदेश और देश के लिए भावात्मक क्षति है.

सेबी ने 2011 में सहारा इंडिया रियल एस्टेट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SIRECL) और सहारा हाउसिंग इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन लिमिटेड (SHICL) को निवेशकों से जुटाए गए धन को वापस करने का आदेश दिया था. नियामक ने फैसला दिया था कि दोनों कंपनियों ने उसके नियमों और विनियमों का उल्लंघन करके धन जुटाया था.

सुप्रीम कोर्ट ने 31 अगस्त 2012 को सेबी के निर्देशों को बरकरार रखा था, जिसमें दोनों कंपनियों को निवेशकों से लिए गए धन को 15 प्रतिशत ब्याज के साथ वापस करने के लिए कहा गया था. अंततः सहारा को निवेशकों को रिफंड के लिए सेबी के पास अनुमानित 24,000 करोड़ रुपये जमा करने के लिए कहा गया. हालांकि समूह ने हमेशा कहा कि यह ‘दोहरा भुगतान’ है, क्योंकि वह पहले ही 95 प्रतिशत से अधिक निवेशकों को रकम सीधे वापस कर चुका है.

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