Waqf Amendment Bill: संसद में तीखी बहस के बाद वक्फ संशोधन विधेयक पारित

नई दिल्ली। लोकसभा में बुधवार देर रात वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 को तीखी बहस के बाद पारित कर दिया गया। 12 घंटे तक चली चर्चा के बाद यह बिल 288 वोटों के समर्थन और 232 विरोधी मतों के साथ रात 2 बजे मंजूर हुआ। इस विधेयक में वक्फ संपत्तियों के प्रबंधन से जुड़े कई अहम बदलाव किए गए हैं, जिससे सरकार और विपक्ष के बीच जोरदार टकराव देखने को मिला।
विवादित प्रावधानों में बड़ा बदलाव
विधेयक में सबसे अधिक बहस उस प्रावधान को हटाने को लेकर हुई, जो वक्फ बोर्ड को किसी भी संपत्ति को वक्फ घोषित करने और उस पर अधिकार जताने का अधिकार देता था (धारा 40)। सरकार का कहना है कि इस प्रावधान का दुरुपयोग हो रहा था और इसे हटाना आवश्यक था ताकि अनावश्यक विवाद और अवैध दावों को रोका जा सके। वहीं, विपक्ष का मानना है कि इस बदलाव से वक्फ संपत्तियों की कानूनी स्थिति कमजोर हो सकती है।
इसके अलावा, केंद्रीय वक्फ परिषद और राज्य वक्फ बोर्डों में अब गैर-मुस्लिम सदस्य भी शामिल किए जाएंगे, जिसे सरकार पारदर्शिता बढ़ाने का प्रयास बता रही है। एक और महत्वपूर्ण बदलाव यह है कि अब वक्फ बोर्ड को किसी संपत्ति पर दावा करने से पहले जिला प्रशासन से अनुमति लेनी होगी।
सरकार बनाम विपक्ष
भाजपा सरकार का कहना है कि यह संशोधन वक्फ संपत्तियों के बेहतर प्रबंधन और भूमि के दुरुपयोग को रोकने के लिए जरूरी है। केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, "यह संशोधन पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देता है, ताकि वक्फ संपत्तियां अपने असली उद्देश्य के लिए उपयोग में लाई जा सकें।"
वहीं, कांग्रेस, एआईएमआईएम और ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड (AIMPLB) समेत विपक्षी दलों ने इस विधेयक को वक्फ की स्वायत्तता पर हमला बताया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इसे "अल्पसंख्यक अधिकारों पर सीधा प्रहार" करार दिया, जबकि AIMPLB ने चेतावनी दी कि इस संशोधन को अदालत में चुनौती दी जा सकती है।
वक्फ (संशोधन) विधेयक, 2024 का पारित होना भारत में धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन में एक बड़ा बदलाव माना जा रहा है। जहां सरकार इसे सुधारवादी कदम बता रही है, वहीं विपक्ष और धार्मिक संगठनों के लिए यह अल्पसंख्यकों के अधिकारों में कटौती का संकेत है। आने वाले महीनों में इस कानून के कानूनी और राजनीतिक प्रभाव स्पष्ट होंगे, जिससे देश में धार्मिक संपत्तियों के प्रबंधन पर नई बहस छिड़ सकती है।
रिपोर्ट - प्रशांत कुमार दुबे