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पैंडोरा पेपर्स : 380 भारतीयों के नाम उजागर, सीबीडीटी, आरबीआई और ईडी को व्यापक जांच का जिम्मा

PENDORA PAPER

बताया गया है कि पैंडोरा पेपर्स करीब 1 करोड़ 19 लाख गुप्त फाइलों का जत्था हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें भारत की नागरिकता रखने वाले 380 नामों का भी खुलासा हुआ है इनमें उद्योगपति से लेकर भगोड़ा कारोबारी भी शामिल है।

 पत्रकारों की अंतरराष्ट्रीय संस्था इंटरनेशनल कंसोर्शियम ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिस्ट्स (ICIJ) और दुनियाभर के मीडिया संस्थानों ने बड़े अमीरों के गुप्त लेनदेन को लेकर अहम खुलासे किए हैं। इनमें 35 देशों के मौजूदा और पूर्व राष्ट्राध्यक्षों से लेकर सैकड़ों उद्योगपति, खिलाड़ी, सिलेब्रिटी, नेता और अन्य लोगों के अपनी संपत्ति और पैसे के लेन-देन को छिपाने और उनके हथकंडों का जिक्र है। इस लीक डेटा को पैंडोरा पेपर्स नाम दिया गया है। बताया गया है कि पैंडोरा पेपर्स करीब 1 करोड़ 19 लाख गुप्त फाइलों का जत्था हैं। चौंकाने वाली बात यह है कि इसमें भारत की नागरिकता रखने वाले 380 नामों का भी खुलासा हुआ है। 


क्या है पैंडोरा पेपर्स?


पैंडोरा पेपर्स 14 कॉरपोरेट सर्विस फर्म्स की ओर से लीक हुईं 1.19 करोड़ गुप्त फाइलें हैं। फाइलों में इन 14 सर्विस फर्म्स की ओर से खड़ी की गई 29,000 ऑफ-द-शेल्फ कंपनियों और प्राइवेट ट्रस्टों के नाम हैं, जिन्हें टैक्स बचाने के लिए ही बनाया गया था। इन ऑफ-द-शेल्फ कंपनियों को रिकॉर्ड छिपाने के लिए सिर्फ टैक्स हेवन देशों (जिन देशों में टैक्स न लगता हो) में ही नहीं, बल्कि सिंगापुर, न्यूजीलैंड और अमेरिका जैसे देशों में भी खड़ा किया गया था। जो दस्तावेज सामने आए हैं, उनमें अमीरों की प्राइवेट ट्रस्टों के जरिए विदेशों में जमा संपत्ति और निवेश से जुड़े खुलासे किए गए हैं। इनमें कैश, शेयर्स और रियल एस्टेट में किए गए निवेश की भी जानकारी शामिल है। पैंडोरा पेपर्स में जिन 380 भारतीयों के नाम हैं, उनमें से 60 प्रमुख व्यक्तियों और कंपनियों के दस्तावेजों के सत्यापन द इंडियन एक्सप्रेस मीडिया ग्रुप की ओर से किए गए हैं।

अमीरों ने ट्रस्ट्स के जरिए क्यों छिपाए अपने पैसे?


पैंडोरा पेपर्स की जांच के बाद यह सामने आया है कि अमीरों ने ट्रस्ट्स के जरिए विदेश में अपनी वित्तीय लेनदेने की जानकारियां छिपाईं। इसकी दो मुख्य वजहें रहीं...

1. बाहरी देश में निवेश के दौरान अपनी असल पहचान छिपाने और विदेशी संस्थाओं (खासकर कंपनियों) से खुद का नाम दूर रखने के लिए, ताकि टैक्स अधिकारियों के लिए उन तक पहुंचना नामुमकिन हो जाए।

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2. अपने नकद, शेयर होल्डिंग, रियल एस्टेट, एयरक्राफ्ट्स, यॉट और अन्य निवेशों को लेनदारों और कानूनी एजेंसियों से बचाने के लिए।

भारत में कौन-कौन से बड़े नाम उजागर?

पैंडोरा पेपर्स में उद्योगपति अनिल अंबानी से लेकर भगोड़ा कारोबारी नीरव मोदी और किरण मजूमदार शॉ के नाम प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष तौर पर सामने आए हैं। इसके अलावा भारत रत्न और राज्यसभा सांसद सचिन तेंदुलकर का नाम भी इस लिस्ट का हिस्सा है। जिन अन्य लोगों के नाम इस लिस्ट में शामिल हैं, उनमें बॉलीवुड अभिनेता जैकी श्रॉफ और गांधी परिवार से जुड़े सतीश शर्मा के नाम भी शामिल हैं। इसके अलावा नीरा राडिया का भी नाम इस लिस्ट का हिस्सा है।


1. पैंडोरा पेपर्स में अनिल अंबानी का नाम है, जिन्होंने कुछ समय पहले ही चीन के तीन बैंकों की ओर से 70 करोड़ डॉलर (करीब 5200 करोड़ रुपये) वापस मांगे जाने पर ब्रिटेन की एक कोर्ट में खुद को दिवालिया घोषित किया। लीक दस्तावेजों में सामने आया है कि उनके पास 18 संपत्तियां हैं।

2. पीएनबी घोटाले के बाद जनवरी 2018 में भारत छोड़कर भागने वाले नीरव मोदी ने अपनी बहन पूर्वी के जरिए ब्रिटेन के वर्जिन आइलैंड्स में एक फर्म तैयार करवाई थी, जो कि सिंगापुर की ट्राइडेंट ट्रस्ट कंपनी की कॉरपोरेट प्रोटेक्टर के तौर पर काम कर रही है।

3. इसी रिपोर्ट के मुताबिक, बायोकॉन की प्रमोटर किरण मजूमदार शॉ के पति ने एक ट्रस्ट खड़ा करवाया था, जिसकी जिम्मेदारी इनसाइडर ट्रेडिंग के लिए सेबी द्वारा प्रतिबंधित किए गए एक व्यक्ति को दी गई थी। हालांकि, शॉ ने सोमवार को कहा कि उनके ऑफशोर ट्रस्ट में किए गए निवेश पूरी तरह प्रामाणिक और वैध हैं। उन्होंने ट्वीट में कहा, "पैंडोरा पेपर्स में मेरे पति के ट्रस्ट पर गलत तरह से रिपोर्टिंग की जा रही है। उनका ट्रस्ट पूरी तरह से स्वतंत्र ट्रस्टियों द्वारा मैनेज किया जाता है और जैसा कि इन रिपोर्ट्स में आरोप लगाया गया है कोई भी भारतीय नागरिक इस ट्रस्ट में ऊंचा कद नहीं रखता।"

4. इसके अलावा 2016 में ब्रिटेन के वर्जिन आइलैंड में स्थापित एक कंपनी के बिकने पर सचिन तेंदुलकर, उनकी पत्नी अंजलि और उनके ससुर को भी फायदा पहुंचने का मामला सामने आया है। हालांकि, तेंदुलकर के वकील का दावा है कि उनके सारे निवेश वैध हैं और इनका खुलासा टैक्स लेने वाले अफसरों को दिया जा चुका है।

सीबीडीटी, आरबीआई और ईडी को व्यापक जांच का जिम्मा

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने कहा है कि पैंडोरा पेपर्स से संबंधित मामलों की जांच की जाएगी। सरकार ने सोमवार को निर्देश दिया कि पैंडोरा पेपर लीक मामलों की जांच की निगरानी सीबीडीटी अध्यक्ष की अध्यक्षता में की जाएगी। इसमें सीबीडीटी, प्रवर्तन निदेशालय, भारतीय रिजर्व बैंक और वित्तीय खुफिया इकाई के प्रतिनिधि होंगे। सीबीडीटी ने एक बयान में कहा कि सरकार ने इस पर ध्यान दिया है और बहुस्तरीय एजेंसियां इन मामलों की जांच करेंगी और कानून के अनुसार उचित कार्रवाई की जाएगी। बता दें कि दुनियाभर में अमीर व्यक्तियों की वित्तीय संपत्ति का खुलासा करने वाले पैंडोरा पेपर्स में व्यवसायियों सहित 300 से अधिक धनी भारतीयों के नाम शामिल हैं। हालांकि कई भारतीयों ने इन आरोपों को खारिज कर दिया है। 

विदेशी संस्थाओं के साथ मिलकर काम करेंगी भारतीय एजेंसियां

सीबीडीटी के मुताबिक, इन मामलों की प्रभावी जांच सुनिश्चित करने के लिए सरकार विदेशी संस्थाओं के साथ भी सक्रिय रूप से जुड़कर काम करेगी। सीबीडीटी ने कहा कि भारत सरकार भी एक अंतर-सरकारी समूह का हिस्सा है, जिसके तहत इस तरह के लीक से जुड़े कर जोखिमों से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए सहयोग और अनुभव साझा किए जाते हैं। वहीं, केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने कहा कि अब तक कुछ भारतीयों के नाम मीडिया में आए हैं।

 
मजूमदार शॉ और तेंदुलकर ने दी सफाई 
इसे लेकर बायोकॉन की प्रमुख मजूमदार शॉ ने ट्विटर पर लिखा- पैंडोरा पेपर्स से जुड़ी मीडिया की खबरों में मेरे पति के विदेशी ट्रस्ट का नाम गलत तरीके से शामिल किया जा रहा है जो एक वैध ट्रस्ट है और स्वतंत्र ट्रस्टियों द्वारा प्रबंधित किया जाता है। भारत में रहने किसी भी व्यक्ति के पास ट्रस्ट की महत्वपूर्ण जिम्मेदारी नहीं है, जैसा कि इन खबरों में आरोप लगाया गया है। जबकि तेंदुलकर के वकील ने कहा कि उनका निवेश वैध है और कर अधिकारियों को इसकी जानकारी दी गई है। 


पैंडोरा पेपर्सें में सचिन तेंदुलकर, अनिल अंबानी, विनोद अडाणी, नीरा राडिया, सतीश शर्मा, जैकी श्रॉफ, नीरव मोदी और किरण मजूमदार-शॉ समेत 300 भारतीय लोगों के नाम हैं। बता दें कि दुनिया भर की 14 कंपनियों से मिले लगभग एक करोड़ 20 लाख दस्तावेजों की पड़ताल से भारत सहित 91 देशों और क्षेत्रों के सैकड़ों नेताओं, अरबपतियों, मशहूर हस्तियों, धार्मिक नेताओं और नशीले पदार्थों के कारोबार में शामिल लोगों के गुप्त निवेशों का खुलासा हुआ है।

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