उत्तर प्रदेश समेत पांच राज्यों में आचार संहिता लागू, जाने किन चीजों पर लगा रोक?
लोकतंत्र में सबसे अहम माने जाने वाले त्योहार यानी चुनावों को लेकर तारीखों का ऐलान (Election Dates) हो चुका है. बता दें कि 5 राज्यों में विधान सभा चुनाव होने हैं. इन 5 राज्यों में उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, पंजाब, गोवा और मणिपुर शामिल हैं. चुनाव आयोग ने पहले ही स्पष्ट कर दिया था कि कोरोना के चलते चुनावों को टाला नहीं जाएगा. शनिवार को चुनाव आयोग ने प्रेस कॉन्फ्रेंस करके इन पांचों राज्यों में आचार संहिता की घोषणा की.
5 राज्यों में आचार संहिता लागू
आपको बता दें, भारत निर्वाचन आयोग के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा करते ही इन राज्यों में आचार संहिता (Model Code of Conduct) लागू हो गई है. इस दौरान सरकारी मशीनरी एक तरह से चुनाव आयोग के नियंत्रण में रहेगी. मतदान और मतगणना के बाद नतीजों की आधिकारिक घोषणा के साथ ही आचार संहिता हट जाती है. आदर्श चुनाव आचार संहिता क्या है और इसके क्या नियम-कायदे हैं, आइए बताते हैं.
क्या है आचार संहिता ?
देश में स्वतंत्र और निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग कुछ नियम बनाता है. चुनाव आयोग के इन्हीं नियमों को आचार संहिता कहते हैं. लोक सभा/विधान सभा चुनाव के दौरान इन नियमों का पालन करना सरकार, नेता और राजनीतिक दलों की जिम्मेदारी होती है.
कब लागू होती है आचार संहिता?
आचार संहिता चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही लागू हो जाती है. देश में लोकसभा के चुनाव हर पांच साल पर होते हैं. अलग-अलग राज्यों की विधानसभा के चुनाव अलग-अलग समय पर होते रहते हैं. चुनाव आयोग के चुनाव कार्यक्रमों का ऐलान करते ही आचार संहिता लागू हो जाती है.
https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2953008738960898" crossorigin="anonymous">कब तक रहेगी आचार संहिता?
आचार संहिता चुनाव प्रक्रिया के संपन्न होने तक लागू रहती है. चुनाव की तारीख की घोषणा के साथ ही आचार संहिता देश में लगती है और वोटों की गिनती होने तक जारी रहती है.
आचार संहिता के मुख्य नियम?
- - चुनाव आचार संहिता की अवहेलना कोई भी राजनीतिक दल या राजनेता नहीं कर सकता.
- - आचार संहिता लागू होने के बाद सार्वजनिक धन के प्रयोग पर रोक लगा दी जाती है, जिससे किसी राजनीतिक दल या राजनेता को चुनावी लाभ न प्राप्त हो सके.
- - चुनाव प्रचार के लिए सरकारी गाड़ी, सरकारी विमान या सरकारी बंगले का प्रयोग नहीं किया जा सकता है.
- - मतदाताओं को अपनी तरफ आकर्षित करने के लिए किसी भी तरह की सरकारी घोषणाओं, लोकार्पण, शिलान्यास पर रोक लगा दी जाती है.
- - पुलिस की अनुमति के बिना कोई भी राजनीतिक रैली नहीं की जा सकती है.
- - धर्म या जाति के नाम पर वोट की मांग नहीं की जा सकती है.
- - इस दौरान सरकारी खर्च से किसी भी प्रकार का ऐसा आयोजन नहीं किया जाता है, जिससे किसी भी दल विशेष को लाभ प्राप्त हो सके.
- - राजनीतिक दलों के आचरण और क्रियाकलापों पर नजर रखने के लिए चुनाव आयोग पर्यवेक्षक (Observer) नियुक्त करता है.
उल्लंघन पर सख्त कार्रवाई
- - अगर कोई भी प्रत्याशी आचार संहिता का उल्लंघन करता है तो उसके प्रचार करने पर रोक लगाई जा सकती है.
- - उल्लंघन करने पर प्रत्याशी के खिलाफ आपराधिक मुकदमा भी दर्ज किया जा सकता है. इतना ही नहीं, जेल जाने का प्रावधान भी है.