Haryana Election Result: हरियाणा में तीसरी बार लगातार, भाजपा की सरकार, हरियाणा में उत्तराखंड वाली रणनीति
Haryana Election Result: हरियाणा विधानसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदें एक बार फिर धराशायी हो गईं, जबकि भाजपा ने चुनावी रणनीति में महत्वपूर्ण बदलाव किए। एग्जिट पोल भले ही कांग्रेस की जीत की भविष्यवाणी कर रहे थे, लेकिन भाजपा की अंदरूनी रणनीतियों ने स्थिति को बदल दिया। धर्मेंद्र प्रधान, बिप्लब देव, और सुरेंद्र जैसे भाजपा के नेताओं ने चुनावी माहौल को अपने पक्ष में करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। धर्मेंद्र प्रधान ने न सिर्फ टिकट वितरण के बाद की रणनीति में सक्रियता दिखाई, बल्कि उन्होंने अपनी पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को एकजुट करने में भी प्रयास किए। उन्होंने छोटे-छोटे बैठकें आयोजित कर, रूठे नेताओं को मनाने और उनके मुद्दों को समझने का काम किया।
इस प्रकार, भाजपा की जीत का श्रेय इन नेताओं की मेहनत और रणनीति को जाता है, जिन्होंने चुनाव के दौरान गहराई से काम किया और पार्टी को एक मजबूत स्थिति में लाने में मदद की। यह साबित करता है कि चुनावी राजनीति में न सिर्फ बड़े मुद्दे, बल्कि पार्टी के अंदर की एकता और समर्पण भी बेहद महत्वपूर्ण होते हैं।
हरियाणा में उत्तराखंड वाली रणनीति
हरियाणा विधानसभा चुनाव परिणामों ने भारतीय जनता पार्टी की रणनीतियों में बदलाव की दिशा को स्पष्ट कर दिया है। उत्तराखंड विधानसभा चुनाव 2022 में जो परिवर्तन हुए, उनका भी इस संदर्भ में महत्वपूर्ण योगदान रहा है। जब चुनाव की घोषणा हुई, उससे पहले ही पार्टी ने प्रदेश नेतृत्व में बदलाव किया। तीरथ सिंह रावत को हटाकर पुष्कर सिंह धामी को चुना गया, जो युवा नेता थे और जिन्होंने अपनी कार्यशैली से लोगों को आकर्षित किया। उनकी नेतृत्व में पार्टी ने समान नागरिक संहिता लागू करने का वादा किया, जिससे उन्होंने एंटी इनकंबेंसी फैक्टर को सफलतापूर्वक मात दी।
इस रणनीति के तहत, भाजपा ने 70 में से 47 सीटों पर विजय प्राप्त की, जो उनकी चुनावी सफलता को दर्शाता है। यह रणनीति हरियाणा में भी लागू होती दिख रही है, जहां भाजपा ने स्थानीय मुद्दों और नेतृत्व में परिवर्तन पर ध्यान केंद्रित किया है। इससे न केवल पार्टी की छवि को सुधारने में मदद मिली, बल्कि चुनावी मैदान में भी मजबूत स्थिति बनाने में सहायता मिली।
वहीं, जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस-एनसी गठबंधन की सरकार ने स्थिति को बदल दिया है। दोनों राज्यों में विधानसभा की 90-90 सीटें हैं, और यहां कांग्रेस का बहुमत बनाने का प्रयास था, लेकिन चुनाव परिणामों ने उनकी उम्मीदों को तोड़ दिया। हरियाणा में जहां भाजपा ने पहले कांग्रेस को पीछे छोड़कर बहुमत हासिल किया, वहीं जम्मू-कश्मीर में गठबंधन ने नई राजनीतिक स्थिति उत्पन्न की है। ये परिणाम दर्शाते हैं कि भारतीय राजनीति में एक राज्य की स्थिति दूसरी राज्य पर प्रभाव डाल सकती है। भाजपा की जीत और कांग्रेस-एनसी गठबंधन की सरकार बनने से दोनों राज्यों में राजनीतिक गतिशीलता में बदलाव आएगा।