Parakram Diwas 2023: नेताजी सुभाष चंद्र बोस की जयंती आज, जानिए क्यों मनाया जात हैं पराक्रम दिवस?

Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti-Parakram Diwas 2023नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर हम उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में जानते हैं।
Netaji Subhash Chandra Bose Jayanti 2023: देश के वीर सपूत नेताजी सुभाष चंद्र बोस की आज 126वी जयंती है। साल 1897 में आज के ही दिन उड़ीसा के कटक में सुभाष चंद्र बोस का जन्म हुआ था।
नेताजी ने आजाद हिंद फौज का नेतृत्व किया था और 'चलो दिल्ली' और 'तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा' का नारा दिया था। भारत सरकार द्वारा साल 2021 से 23 जनवरी को हर साल पराक्रम दिवस के तौर पर मनाने का फैसला किया था। नेताजी सुभाष चंद्र बोस का देश के स्वाधीनता संग्राम में अग्रणी योगदान था।
उन्होंने आईसीएस (अब आईएएस) की परीक्षा को पास किया था। हालांकि, देश सेवा के लिए वह आईसीएस की नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता संग्राम में कूद गए थे। नेताजी कई साल तक कांग्रेस के सदस्य रहे थे। साल 1930 से लेकर 1931 तक वह कलकत्ता के मेयर रहे। वहीं, 1938 से 1939 तक वह कांग्रेस के अध्यक्ष भी रहे थे।
साल 1939 में कांग्रेस से अलग होकर उन्होंने ऑल इंडिया फॉरवर्ड ब्लॉक की स्थापना की थी। साल 1945 में प्लेन क्रेश में नेताजी का निधन हो गया था। पराक्रम दिवस के मौके पर आप अपने करीबियों को बधाई संदेश दे सकते हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने 23 जनवरी साल 2021 में नेताजी की जन्म जयंती पर अपने स्टेटमेंट में इस बात को कहा था कि साल 2022 से इस दिन को पराक्रम दिवस के तहत ही सेलिब्रेट किया जाएगा।
लिख रहा हूं मैं अजांम जिसका कल आगाज आएगा
मेरे लहू का हर एक कतरा इकंलाब लाएगा
नेताजी सुभाष चंद्र बोस जयंती पर हम उनके जीवन से जुड़े कुछ किस्सों के बारे में जानते हैं-
महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी नेताजी सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। इनके पिता की नाम जानकीनाथ बोस और माता का नाम प्रभावती था। जानकीनाथ बोल कटक के मशहूर वकील थे।
सुभाष चंद्र बोस की प्रारंभिक पढ़ाई कटक के रेवेंशॉव कॉलेजिएट स्कूल में हुई थी। इसके बाद उनकी आगे की शिक्षा कलकत्ता के प्रेजिडेंसी कॉलेज और स्कॉटिश चर्च कॉलेज से हुई। इसके बाद उन्होंने इंडियन सिविल सर्विस की तैयारी की। बता थे कि आपको जानकर हैरानी होगी उन्होंने सिविल सर्विस की परीक्षा में चौथा स्थान प्राप्त किया था।
1921 में भारत में उठती आजादी की मांग को देखते हुए वे भारत लौट आए तो क्रांग्रेस के साथ जुड़ गए। सुभाष चंद्र ने सबसे पहले गांधी जी को राष्ट्रपिता कहकर बुलाया था।
ऑस्ट्रियन लड़की से की थी शादी
बोस का मानना था कि अंग्रेजो को हराने के लिए उनके दुश्मनों का साथ लेना बेहद जरूरी है। उनके इन सभी विचारों की भनक अंग्रेजी हुकुमत को लग गई इसके बाद उन्हें कलकत्ता में नजरबंद कर लिया गया।
लेकिन यहां ये सुभाष चंद्र बोस भाग निकले और सोवियत संघ होते हुए वे जर्मनी पहुंच गए। सुभाष चंद्र बोस ने 1937 में अपनी सेक्रेटरी और ऑस्ट्रियन लड़की से शादी की। बोस की एक बेटी भी है इनका नाम अनिता बोस है, वे अभी जर्मनी में ही रहती हैं।
रानी झांसी रेजिमेंट का किया था गठन
नेतीजी हिटलर से मिले। नेता जी ने 1943 में जर्मनी छोड़ी और जापान होते हुए सिंगापुर पहुंचे। यहां उन्होंने कैप्टन मोहन सिंह द्वारा स्थापित आजाद हिंद फौज की कमान अपने हाथों में ली।
उन्होंने आजाद हिंद फौज को ताकतवर बनाया। नेता जी ने महिलाओं के लिए रानी झांसी रेजिमेंट का गठन किया जिसकी कैप्टन लक्ष्मी सहगल को बनाया। नेताजी अपनी फौज के साथ 1944 में बर्मी पहुंचे। यहीं पर उन्होंने अपना फेमस नारा दिया कि तुम मुझे खून दो, मैं तुम्हें आजादी दूंगा।
नेता जी की मौत
18 अगस्त 1945 को टोक्यो जाते समय नेता जी के प्लेन क्रैश हो गया। लेकिन उनका शव बरामद नहीं हुआ। जिस कारण उनकी मौत का कारण काफी विवाद में रहा। और उनकी मौत को लेकर तरह-तरह चर्चाएं होती रहीं। कुछ लोगों ने उनके जिंदा होने तक का दावा कर दिया। जबकि कुछ लोगों का मानना है कि उसी प्लेन क्रैश में उनकी मौत हो गई थी।