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एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने किया नामांकन, पीएम नरेंद्र मोदी खुद बने प्रस्तावक

एनडीए की राष्ट्रपति उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने किया नामांकन, पीएम नरेंद्र मोदी खुद बने प्रस्तावक

भाजपा के नेतृत्व वाले एनडीए गठबंधन की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने नामांकन दाखिल कर दिया है। नामांकन के दौरान उनके साथ पीएम नरेंद्र मोदी भी मौजूद थे। द्रौपदी मुर्मू की ओर से 4 सेटों में नाम किया गया। पहले सेट में पीएम नरेंद्र मोदी खुद प्रस्ताव बने।

इसके अलावा अमित शाह, राजनाथ सिंह समेत भाजपा संसदीय दल के सदस्यों ने उनके नाम का अनुमोदन किया। नामांकन की प्रक्रिया के दौरान जेपी नड्डा, अमित शाह और केंद्र सरकार के कई मंत्री भी मौजूद थे।


यही नहीं योगी आदित्यनाथ समेत भाजपा शासित राज्यों के कई मुख्यमंत्री भी पहुंचे थे। महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करने के बाद वह नामांकन के लिए गईं। 1997 में भाजपा में शामिल हुईं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा विधानसभा की सदस्य रहीं हैं और नवीन पटनायक की सरकार में मंत्री के तौर पर भी काम कर चुकी हैं। यही नहीं वह झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी थीं। 

द्रौपदी मुर्मू के नाम के ऐलान के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने कहा था कि यह बेहतर होता कि वह निर्विरोध ही चुन ली जातीं। द्रौपदी मुर्मू के नाम के ऐलान के बाद से अब तक नवीन पटनायक, वाईएसआर कांग्रेस के नेता जगन मोहन रेड्डी ने समर्थन का ऐलान किया है। इसके अलावा झारखंड मुक्ति मोर्चा भी अदिवासी महिला के नाम पर समर्थन कर सकती है। ऐसे में उनकी जीत तय मानी जा रही है।

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इस मौके पर बीजू जनता दल और वाईएसआर कांग्रेस के कई सांसद भी मौजूद थे। इससे माना जा रहा है कि एनडीए ने द्रौपदी मुर्मू के नामांकन के साथ ही शक्ति प्रदर्शन भी किया। बीजेडी और वाईएसआर कांग्रेस समेत कई दलों के नेताओं की मौजूदगी से साफ है कि नामांकन के साथ ही जीत का दम भी एनडीए ने भरा है।


झारखंड की राज्यपाल रह चुकी मुर्मू

द्रौपदी मुर्मू का जन्म ओडिशा आदिवासी जिले मयूरभंज के रायरंगपुर गांव में हुआ। द्रौपदी मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल भी रह चुकी हैं। 18 मई 2015 से 12 जुलाई 2021 तक झारखंड के राज्यपाल पद पर रहीं द्रौपदी मुर्मू ओडिशा की पहली महिला और आदिवासी नेता हैं, जिन्हें राज्यपाल नियुक्त किया गया था. मुर्मू 2013 में बीजेपी की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में एसटी मोर्चे की सदस्य रहीं। 

 10 अप्रैल 2015 तक उन्होंने यह पद संभाला था. वह 2013 में ओडिशा के मयूरभंज की जिला अध्यक्ष निर्वाचित हुईं थी। वह 2010 में भी जिला अध्यक्ष निर्वाचित हुई थीं।

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