अफगानिस्तान में अमेरिका के छोड़े हथियारों से हम पर हमले कर रहे आतंकी

अमेरकी सैनिकों की पिछले साल अफगानिस्तान से वापसी हो गई थी। अमेरिकी सैनिक अपने पीछे लगभग सात अरब डॉलर के सैन्य उपकरण छोड़ गए थे। यह जानकारी अमेरिका के रक्षा विभाग ने खुद साझा की थी। हालांकि, इसे लेकर रक्षा विभाग का तर्क था कि ये हथियार इस्तेमाल करने की स्थिति में नहीं थे।
पाकिस्तान: पाकिस्तान के एक शीर्ष पुलिस अधिकारी ने दावा किया है कि 2021 में अफगानिस्तान की धरती से अमेरिकी सेनाओं की वापसी के बाद से पाकिस्तानी सुरक्षाबलों पर हमले बढ़े हैं।
उन्होंने कहा कि आतंकी अफगानिस्तान में अमेरिकी सेनाओं के छोड़े गए आधुनिक हथियारों से हमला कर रहे हैं।
पाकिस्तान के खैबर पख्तूनख्वा प्रांत में सुरक्षाबलों पर इन्हीं हथियारों से हमले किए जा रहे हैं। अमेरिकी फौजें लगभग 20 सालों तक अफगानिस्तान में मोर्चा संभाले हुई थी। लेकिन अगस्त 2021 तक सभी अमेरिकी सैनिकों की अफगानिस्तान से वापसी हो गई थी।
इसके बाद से अफगानिस्तान में तालिबान का शासन जारी है। खैबर पख्तूनख्वा प्रांत के इंस्पेक्टर जनरल मोआज्जिम जेह अंसारी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर बताया कि 2021 में अफगानिस्तान से अमेरिकी फौजों की रवानगी के दौरान उन्होंने जो हथियार छोड़े थे, उन्हीं आधुनिक हथियारों का इस्तेमाल खैबर पख्तूनख्वा में आतंकी गतिविधियों में किया जा रहा है।
रिपोर्ट के मुताबक, आतंकियों ने अमेरिकी सेनाओं द्वारा छोड़े गए आधुनिक हथियारों से खैबर पख्तूनख्वा पुलिस के खिलाफ जंग छेड़ दी है। उनका बयान सुरक्षाबलों पर आतंकियों के लगातार बढ़ रहे हमलों के बीच आया है।
अमेरिका ने सात अरब डॉलर के सैन्य उपकरण अफगानिस्तान में छोड़े
अमेरकी सैनिकों की पिछले साल अफगानिस्तान से वापसी हो गई थी। अमेरिकी सैनिक अपने पीछे लगभग सात अरब डॉलर के सैन्य उपकरण छोड़ गए थे। यह जानकारी अमेरिका के रक्षा विभाग ने खुद साझा की थी।
हालांकि, इसे लेकर रक्षा विभाग का तर्क था कि ये हथियार इस्तेमाल करने की स्थिति में नहीं थे। रिपोर्ट के मुताबिक, इंस्पेक्टर जनरल ने कहा है कि जब अफगानिस्तान में तालिबान का कब्जा हो गया तो अफगानिस्तान की जेलों में बंद कई आतंकियों को रिहा कर दिया गया।
अंसारी ने युद्धग्रस्त अफगानिस्तान से सटे खैबर पख्तूनख्वाह के आतंकवाद का सफाया करने की भी प्रतिबद्धता जताई है। खैबर पख्तूनख्वा में पुलिस वैन पर आतंकियों की गोलीबारी की घटना में गुरुवार को छह पुलिसकर्मियों की मौत हो गई।
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सऊदी अरब सरकार की ओर से भारतीयों को लेकर बड़ा फैसला किया गया है। अब किसी भी भारतीय को सऊदी अरब का वीजा अप्लाई करते समय पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पुलिस निकासी प्रमाणपत्र) जमा कराना अनिवार्य नहीं होगा। इससे काफी संख्या में भारतीयों को राहत मिलेगी।
सऊदी अरब: सरकार ने भारतीयों को लेकर बड़ा फैसला किया है। अब सऊदी अरब जाने के लिए भारतीय लोगों को वीजा अप्लाई करते समय पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट (पुलिस निकासी प्रमाणपत्र) की जरूरत नहीं होगी।
नई दिल्ली में सऊदी अरब दूतावास के अनुसार, किसी भी शख्स को सऊदी जाने के लिए वीजा लेते समय पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट जमा कराना अनिवार्य नहीं है।
सऊदी अरब दूतावास ने इस बारे में ट्वीट करते हुए कहा कि सऊदी अरब और भारत के बीच मजबूत संबंधों और रणनीतिक साझेदारी के मद्देनजर, किंगडम ने भारतीय नागरिकों को पुलिस निकासी प्रमाणपत्र (PCC) जमा करने से छूट देने का फैसला किया है।
वहीं बयान में दूतावास की ओर से सऊदी अरब में शांति से रहने वाले 20 लाख से ज्यादा भारतीय नागरिकों के योगदान की सराहना भी की गई है।
सऊदी अरब के फैसले पर भारत बोला- थैंक्यूसऊदी अरब सरकार के इस फैसले का भारत सरकार ने स्वागत किया है। सऊदी अरब में भारतीय दूतावास ने सऊदी सरकार के इस फैसले को लेकर धन्यवाद किया। भारत की ओर से कहा गया कि सऊदी अरब सरकार का इस फैसले किंगडम में रहने वाले 20 लाख से ज्यादा भारतीय लोगों को राहत मिलेगी।
सऊदी अरब सरकार के फैसले से भारतीयों को मिलेगी राहत दरअसल, किसी भी देश का वीजा लेना आसान काम नहीं होता है। उसके लिए काफी तरह के डॉक्यूमेंट्स जमा कराने पड़ते हैं। जिसके बाद जांच-पड़ताल होती है और सभी कानूनी प्रक्रिया पूरी होने के बाद वीजा दिया जाता है।
ऐसे में पुलिस क्लीयरेंस सर्टिफिकेट भी इसी प्रक्रिया का एक हिस्सा है। इस वजह से काफी संख्या में लोगों का समय भी बर्बाद होता है।लेकिन सख्त नियमों की वजह से यह जमा करवाना पड़ता है।
हालांकि, अब लोगों को सऊदी सरकार के इस फैसले से काफी राहत मिलेगी। भारत और सऊदी अरब के मजबूत हो रहे रिश्ते पिछले कुछ सालों में भारत और सऊदी अरब के बीच रिश्ते मजबूत हुए हैं।
खासतौर पर मोहम्मद बिन सलमान के सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस बनने के बाद सऊदी अरब का झुकाव भारत की ओर बढ़ता हुआ नजर आया है। खास बात है कि ना सिर्फ ऊर्जा बल्कि हेल्थ, डिफेंस जैसे सेक्टरों में दोनों देशों की साझेदारी में मजबूती आई है।
कोरोना काल में भी भारत और सऊदी अरब का नेतृत्व एक दूसरे के संपर्क में था। सितंबर महीने में भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर भी दौरे पर सऊदी अरब पहुंचे थे, जहां उनकी दोनों देशों के संबंधों को और ज्यादा मजबूत करने पर चर्चा भी हुई थी।