×

Jawan Movie: जवान फिल्म में शाहरुख खान ने किया कमाल, फिल्म के सभी शो हाउसफूल टूटेंगे सभी रेकॉर्ड

Jawan Movie: Shahrukh Khan did wonders in the film Jawan, all the shows of the film Housefull will break all records

Jawan Movie: शाहरुख खान की जवान थिएटर में रिलीज हो चुकी है और लगभग हर जगह थिएटर के बाहर लगे हाउसफुल के बोर्ड इस बात की गवाही दे रहे हैं कि बॉलीवुड के बादशाह असल में ‘जिंदा बंदा’ हैं। एटली के डायरेक्शन में बनी ‘जवान’ में वो सब कुछ है जो एक ब्लॉकबस्टर फिल्म में होनी चाहिए।

मॉर्निंग शो देखने वालों की नींद उड़ाने वाली इस फिल्म में एक्शन के साथ-साथ रोमांस का तड़का दिया गया है और स्वादानुसार इस फिल्म में सोशल मैसेज भी शामिल किया गया है। हमने साउथ फिल्मों के कई हिंदी रीमेक देखे हैं, लेकिन एटली ने शाहरुख खान को ही साउथ, खासकर तमिल स्टाइल में ऑडियंस के सामने पेश किया है।

जवान के बारे में बात करें तो इस फिल्म की बेसिक कहानी हमने कई साउथ फिल्मों में देखी है। फिर वो एक्टर का डबल रोल हो, उसकी रॉबिनहुड वाली इमेज हो या फिर फ्लैशबैक और वर्तमान में घूम रही कहानी हो। डबल रोल में एटली माहिर हैं, लेकिन शाहरुख को इस अंदाज में बड़े पर्दे पर देखना शानदार अनुभव है।

ये फिल्म 100 प्रतिशत शाहरुख खान स्टाइल वाली फिल्म है। 57 साल की उम्र में वो जिस तरह से लोगों का मनोरंजन कर रहे हैं उससे ये साबित होता है कि उम्र महज एक नंबर है।

राइटिंग और डायरेक्शन

इस तरह की कहानी साउथ की हर 10वीं फिल्म में होती है, लेकिन एटली का डायरेक्शन हमें इस बात को नजरअंदाज करने के लिए मजबूर कर देता है।एटली कहीं पर भी बॉलीवुड टेस्ट के मुताबिक अपना निर्देशन बदलने की कोशिश नहीं करते और उनकी यही आदत उन्हें इस फिल्म का ‘हीरो’ बनाती है।सुमित अरोड़ा ने इस फिल्म के डायलॉग लिखे हैं। ‘बेटे को हाथ लगाने से पहले बाप से बात कर’ महज इस की एक झलक है।

‘चाहिए तो आलिया भट्ट लेकिन उम्र में वो थोड़ी छोटी है’, ‘राठौड़…विक्रम राठौड़’ जैसे डायलॉग ने थिएटर में खूब धमाल मचाया। हालांकि लॉजिक के मामले फिल्म कई जगह पर कमजोर है। शाहरुख खान की हाल ही में रिलीज हुई पठान से जवान की तुलना की जाए तो कैरेक्टराइजेशन और स्क्रीनप्ले के मामले में पठान जवान को पीछे छोड़ देती है।

एटली की फिल्म में ये समझ में नहीं आता कि नार्थईस्ट में रहने वाला विक्रम राठौड़, तमिलियन की तरह बड़ी बड़ी मूंछे क्यों रखता है या फिर काली गायकवाड़ की हिंदी में साउथ का एक्सेंट क्यों है। एक सीन में संजय दत्त का किरदार ये कहते हुए नजर आ रहा है कि मेरी बीवी का ओणम है, जहां उसका खुद का उपनाम नायक है (नायक मलयाली उपनाम है) अगर इन पर थोड़ा काम किया जाता तो फिल्म देखने का मजा और दुगना हो जाता, क्योंकि कहीं न कहीं फिल्म के कैरेक्टर के नाम यूट्यूब पर अपलोड होने वाले हिंदी डब साउथ फिल्मों की याद दिलाते हैं।

कहानी

ये कहानी है प्रतिशोध की। अपने पिता विक्रम राठौड़ को इन्साफ दिलाने के लिए भीलवाड़ी जेल का जनरल आजाद (शाहरुख खान) अपनी गर्ल गैंग के साथ मिलकर कुछ ऐसा काम करता है, जो देखने में तो क्राइम लगता है लेकिन क्राइम के जरिए वो देश की व्यवस्था में कुछ ऐसे सुधार लाता है, जिससे देश का आम आदमी उससे नफरत करने के बजाए उसे प्यार करने लगता है।

अब ये जनता का ‘हीरो’ क्या चाहता है और उसके इस मिशन में क्या पुलिस अफसर नर्मदा राय (नयनतारा) उसका साथ देगी? काली (विजय सेतुपति) के साथ उसकी क्या दुश्मनी है, इन सवालों के जवाब जानने के लिए आपको थिएटर में जाकर शाहरुख खान की फिल्म ‘जवान’ देखनी होगी।

एक्शन, म्यूजिक और टेक्निकल

एटली की फिल्म में कुछ धमाकेदार एक्शन सीक्वेंस हैं, जो बिल्कुल ओरिजिनल है. चाहे बाइक को सिगार से आग लगाना हो और उसकी मदद से दुश्मनों की गाड़ियों को उड़ाना हो, या फिर खंबे जैसे इंसान से फाइट करते हुए किया हुआ सिलेंडर का इस्तेमाल हो, एटली ने कहीं पर भी फाइट एक्शन रिपीट नहीं किया है।

फिल्म के गाने ठीक ठाक हैं, लेकिन बैकग्राउंड म्यूजिक कई जगह पर बेहद लाउड हो जाता है, जिसके चलते डायलॉग सुनने में मुश्किल होती है। फिल्म में फ्लैशबैक के कुछ सीन दिखाते हुए ब्लैक एंड व्हाइट, डार्क टोन का इस्तेमाल किया गया है, जो एक अलग असर छोड़ता है। सिनेमेटोग्राफी और एडिटिंग ने फिल्म को परफेक्ट बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।

हालांकि शाहरुख खान का बतौर आजाद मेकअप इस फिल्म की बहुत बड़ी कमी है। 57 साल की उम्र में भी शाहरुख हर किरदार आसानी से निभाते हैं, जिससे देखने वाले को लगे ये उनके लिए ही बना है। लेकिन आजाद के किरदार में उनका किया गया मेकअप बार बार इस बात का एहसास दिलाता है कि उनकी उम्र छुपाने की कोशिश की जा रही है। हेयरस्टाइल और बियर्ड पर अलग तरह से काम हो सकता था।

एक्टिंग

फिल्म में कैरेक्टराइजेशन भले ही कमजोर हो, लेकिन सभी कलाकारों की एक्टिंग बेमिसाल है। शाहरुख खान फिर एक बार दिल जीत लेते हैं। इस फिल्म में उन्होंने बाप और बेटे दोनों का किरदार निभाया है। दोनों एक दूसरे को टक्कर देते हैं। यानी बेस्ट परफॉर्मेंस के लिए आजाद और विक्रम दोनों किरदारों को नॉमिनेट किया जा सकता है। पठान में नजर आए शाहरुख का स्वैग इस फिल्म में भी बरकरार है। दो अलग-अलग किरदार, अलग-अलग बॉडी लैंग्वेंज को शाहरुख ने बखूबी पर्दे पर पेश किया है।

स्पेशल टास्क पुलिस अफसर के किरदार में नयनतारा पूरी तरह से छा जाती हैं। शाहरुख के साथ उनका फाइट सीक्वेंस हो या फिर रोमांस दोनों फायर है।एक्टिंग के साथ साथ अपनी एक्शन और फिटनेस का जादू फिल्म में बिखेरने वाली नयनतारा ‘आई एम हिअर टू स्टे’ का एक स्ट्रांग मैसेज देती हैं। शाहरुख और दीपिका को देखना हमेशा की तरह एक शानदार अनुभव है।

रिद्धि डोगरा, सान्या मल्होत्रा, प्रियमणि अपने किरदार को न्याय तो देती हैं, लेकिन उनके लिए फिल्म में कुछ खास स्क्रीन स्पेस नहीं है। संजय दत्त की एंट्री सरप्राइजिंग है। विजय सेतुपति एक एंटरटेनिंग विलेन है। जिस तरह से सिंघम में ऑडियंस ने जयकांत शिकरे को पसंद किया था, ठीक उसी तरह से लोग काली को भी पसंद करेंगे।

विलन का कॉमेडी करना साउथ फिल्मों में आम बात है। लेकिन बहुत कम एक्टर इसे न्याय दे पाते हैं, विजय सेतुपति ने इससे पहले विक्रम वेधा में भी निगेटिव किरदार निभाया था, पर काली की बात कुछ अलग है।

Share this story