×

वाराणसी के इस स्कूल में रहना, खाना सब है फ्री, 14 दिन में ही लोग बोलने लगते हैं संस्कृत

Unique School of Sanskrit: इस स्कूल में रहना और खाना सब फ्री, 14 दिन में सीखें संस्कृत

Unique School of Sanskrit: संस्कृत भारती से जुड़े अनुज तिवारी ने बताया कि इस संवादशाला में एक महीने में दो सत्र चलाए जाते हैं। यहां एडमिशन के बाद कैंपस में 14 दिनों के क्लास के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल पूरी तरीके से बैन होता है

 

Unique School of Sanskrit: वाराणसी, देव भाषा संस्कृत को बोलने और सीखने की चाह रखने वालों के लिए अच्छी खबर है। अब महज 14 दिनों में आप भी सीखें फर्राटेदार संस्कृत बोल सकतें है। इसके लिए वाराणसी में अनोखा पाठशाला चलाया जा रहा है। 

 

 

इस अनोखे पाठशालें में रहना खाना सब कुछ फ्री मिलता है। संस्कृत भारती न्यास के इस संवादशाला में देसी ही नहीं बल्कि विदेशी भी देव भाषा संस्कृत को सीखने आते हैं।

 

 

संस्कृत भारती से जुड़े अनुज तिवारी ने बताया कि इस संवादशाला में एक महीने में दो सत्र चलाए जाते हैं। यहां एडमिशन के बाद कैंपस में 14 दिनों के क्लास के दौरान मोबाइल फोन का इस्तेमाल पूरी तरीके से बैन होता है।

 

 

 इसके अलावा एडमिशन लेने वाले छात्रों को इस अनोखे विद्यालय के नियमों का पालन करना होता है।

 

संस्कृत 2 लाख लोग सीख चुकें है


इस पाठशाला में सभी शिक्षक और कर्मचारी बातचीत के लिए संस्कृत भाषा का ही इस्तेमाल करते है। छात्रों को भी यहां रहने के दौरान इस नियम का पालन करना होता है। 

 

 

पहले दिन से ही उन्हें संस्कृत में बातचीत की सामान्य बातों को सिखाया जाता है। बताते चलें कि इस अनोखे पाठशाला में अब तक 2 लाख से ज्यादा लोग संस्कृत बोलना सीख चुकें है।

https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2953008738960898" crossorigin="anonymous">

रहना- खाना फ्री


यज्ञ नारायण पांडेय ने बताया कि इस संवादशाला में भारतीयों के लिए 1,000 रुपये फीस ली जाती है जबकि विदेशियों से 25,00 रुपये का फीस निर्धारित है। इसमें परीक्षा शुल्क भी शामिल है जबकि रहने और खाने की व्यवस्था पूरी तरह से फ्री है।

शहर के करौंदी क्षेत्र के पार्श्वनाथ विद्यापीठ में ये अनोखा विद्यालय साल 2013 से चल रहा है।

हर घर में संस्कृत में हो बातचीत


संस्कृत भारती के इस अनोखे प्रयास के पीछे मकसद ये है कि ज्यादा से ज्यादा लोगों को देव भाषा संस्कृत की जानकारी दी जा सकें और हर घर में हिंदी, अंग्रेजी के साथ लोग संस्कृत भी बातचीत करें।

Share this story