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New Delhi: दिल्ली-NCR जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर

New Delhi: लगातार तीन दिनों तक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के बाद दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में थोड़ा सुधार हुआ और यह शनिवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। 

New Delhi: दिल्ली-NCR जहरीली हवा में सांस लेने को मजबूर

New Delhi: लगातार तीन दिनों तक ‘गंभीर’ श्रेणी में रहने के बाद दिल्ली के वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) में थोड़ा सुधार हुआ और यह शनिवार को ‘बहुत खराब’ श्रेणी में दर्ज किया गया। सिस्टम ऑफ एयर क्वालिटी एंड वेदर फोरकास्टिंग एंड रिसर्च (SAFAR) के मुताबिक शनिवार सुबह 6 बजे दिल्ली का औसत AQI 398 दर्ज किया गया।

सुबह 6 बजे दर्ज किए गए केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़ों के मुताबिक आरके पुरम में एक्यूआई 396, न्यू मोती बाग में 350, आईजीआई एयरपोर्ट इलाके में 465 और नेहरू नगर में 416 दर्ज की गई। दिल्ली का 24 घंटे का औसत AQI हर दिन शाम 4 बजे दर्ज किया जाता है, जो शुक्रवार को 405 था।

गुरुवार को दिल्ली का एक्यूआई 419, बुधवार को 401, मंगलवार को 397, सोमवार को 358 और रविवार को 218 रहा। गौरतलब है कि शून्य और 50 के बीच एक AQI को अच्छा, 51 और 100 के बीच संतोषजनक, 101 और 200 के बीच मध्यम, 201 और 300 के बीच खराब, 301 और 400 के बीच बहुत खराब, 401 और 450 के बीच गंभीर और 450 से ऊपर बहुत ज्यादा गंभीर माना जाता है। 

इस बीच दिल्ली में तापमान में गिरावट शुरू हो गई है, शुक्रवार को न्यूनतम तापमान 12 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया। नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल (NGT) ने हवा की गुणवत्ता में सुधार की कमी का हवाला देते हुए शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर में अधिकारियों को वायु गुणवत्ता सूचकांक को सुधारने के लिए ‘कड़े उपाय’ लागू करने का सख्त निर्देश जारी किया। 

एनजीटी के आदेश में कहा गया कि पहले बताए गए उपायों से विभिन्न राज्यों में वायु गुणवत्ता में महत्वपूर्ण सुधार नहीं हुआ। ट्रिब्यूनल ने संबंधित अधिकारियों से रणनीतियों का फिर से मूल्यांकन करने को कहा। ट्रिब्यूनल के निर्देशों के मुताबिक 20 नवंबर तक ताजा कार्रवाई रिपोर्ट आने की उम्मीद है।

वहीं दिल्ली के लिए वायु गुणवत्ता प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली ने 18 नवंबर से 20 नवंबर तक वायु गुणवत्ता ‘बहुत खराब’ रहने का अनुमान लगाया है। भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान के मुताबिक शुक्रवार को पीएम 2.5 के स्तर में पराली जलाने का योगदान लगभग 3.45 फीसदी होने का अनुमान लगाया गया था, जो पिछले दिन के 5.85 फीसदी से मामूली कमी है। 

इस सीजन में पराली जलाने का सबसे अधिक असर 3 नवंबर को 35.43 फीसदी दर्ज किया गया था। आईआईटी कानपुर के एक वास्तविक समय स्रोत विभाजन अध्ययन ने शुक्रवार को वाहनों को पीएम 2.5 के स्तर में प्रमुख योगदानकर्ता बताया, जो 44 फीसदी प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है। अध्ययन से पता चला कि वाहन उत्सर्जन सुबह 9 बजे PM 2.5 के 90 फीसदी के स्तर पर पहुंच गया और दोपहर 3 बजे तक लगभग 47 फीसदी तक घट गया।

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