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सत्येंद्र जैन और मनीष सिसोदिया ने छोड़ा पद, केजरीवाल ने मंजूर किया इस्तीफा!

Manish Sisodia and Satyendra Jain left the post: मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने छोड़ा पद, केजरीवाल ने मंजूर किया इस्तीफा, दोनों हैं जेल में

Manish Sisodia and Satyendra Jain left the post: सीएम केजरीवाल ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है।

 

Manish Sisodia and Satyendra Jain left the post: दिल्ली सरकार के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन अलग अलग मामलो में जेल पहुँच चुके है।

 

 

दिल्ली सीएम को  उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और स्वास्थ्य मंत्री सत्येंद्र जैन दोनों ने अपने पदों से इस्तीफ़ा दे दिया हैं। सीएम केजरीवाल ने उनका इस्तीफ़ा स्वीकार कर लिया है।

 

 

 


 

 ऐसे में अब सवाल उठने लगा है कि आखिर मनीष सिसोदिया से गिरफ्तारी के दो दिन के भीतर जबकि सत्येंद्र जैन से नौ महीने बाद क्यों इस्तीफा लिया गया?

इसके पीछे मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल की क्या सियासत है? केजरीवाल सरकार का आगे क्या होगा? सिसोदिया के विभाग किसके पास जाएंगे? आइये जानते हैं…
 

नई शराब नीति के लिए कारोबारियों को फायदा पहुंचाने के मामले में दिल्ली के उप-मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया को सीबीआई ने रविवार को गिरफ्तार किया था। सोमवार को कोर्ट में पेश कर पांच दिन की रिमांड हासिल कर ली थी।

सीबीआई की इस कार्रवाई के खिलाफ मंगलवार को सिसोदिया सुप्रीम कोर्ट पहुंचे लेकिन वहां से उन्हें राहत नहीं मिली।

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कोर्ट ने उन्हें हाईकोर्ट जाने की सलाह दे दी। इसके बाद शाम को अचानक से सिसोदिया ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को अपना इस्तीफा भेज दिया। 



उधर, मनी लॉन्ड्रिंग केस में पिछले नौ महीने से तिहाड़ जेल में बंद सत्येंद्र जैन ने भी इस्तीफा दे दिया। जैन ने लंबे समय तक जेल से ही स्वास्थ्य मंत्री का भी कामकाज संभाला था। हालांकि, बाद में उनसे स्वास्थ्य विभाग लेकर मनीष सिसोदिया को दे दिया गया था।

सिसोदिया के पास दिल्ली के 33 में से 18 विभाग थे। अब चूंकि सिसोदिया खुद कानून के शिकंजे में फंसे हुए हैं। ऐसे में दोनों को मंत्री पद छोड़ना पड़ा। 

 

सिसोदिया का इस्तीफा दो दिन के अंदर, जैन के मामले में नौ महीने क्यों लग गए? 


इसे समझने के लिए हमने राजनीतिक विश्लेषक प्रो. अजय कुमार सिंह से बात की। उन्होंने इसके पीछे दो अहम कारण बताए...



 सत्येंद्र जैन के पास स्वास्थ्य के साथ-साथ पांच अन्य विभाग भी थे। इनमें पीडब्ल्यूडी, बिजली, इंडस्ट्री, शहरी विकास और जल विभाग शामिल है। जैन को जब ईडी ने जेल भेजा तो लंबे समय तक वह इन विभागों के मंत्री बने रहे। तब अफसर जेल में जाकर फाइलों पर हस्ताक्षर लेते थे। जेल से ही जैन मंत्रालय चलाते थे। हालांकि, बाद में जब दिक्कतें बढ़ने लगीं और विरोध शुरू हो गया तो जैन से सारे विभाग ले लिए गए।

इनमें से स्वास्थ्य विभाग मनीष सिसोदिया को दे दिया गया जबकि अन्य विभाग दूसरे मंत्रियों में बांट दिया गया। लेकिन सिसोदिया के मामले में बात अलग है। सिसोदिया के पास कुल 18 विभाग थे। ऐसे में सरकार का कामकाज प्रभावित होना लाजिम था।

यही कारण है कि सिसोदिया से तुरंत सारे विभाग लेकर दूसरे मंत्रियों में बांट दिए गए। अभी अगर केवल सिसोदिया से इस्तीफा लिया जाता तो भी  कई तरह के सवाल उठते। ऐसे में जैन से भी केजरीवाल सरकार ने इस्तीफा ले लिया। 

 

पहले से ही अरविंद केजरीवाल सरकार कई तरह के विवादों में घिरी हुई है। सरकार के मंत्रियों पर कई गंभीर आरोप लगे हैं। ऐसे में अगर सिसोदिया और जैन से इस्तीफा नहीं लिया जाता तो विपक्ष का विरोध और बढ़ जाता। जनता के बीच भी बदनाम होने का डर केजरीवाल सरकार को सता रहा था।  
 


पिछले कई महीनों से सत्येंद्र जैन तिहाड़ जेल में बंद होने के बावजूद मंत्री बने हुए थे। ऐसे में सवाल ये भी उठता है कि सिसोदिया के साथ भी ऐसा किया जा सकता था। मतलब सिसोदिया से भी उनके सारे विभाग ले लिए जाते और उन्हें बिना विभाग के मंत्री बने रहने दिया जाता। 



इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, अरविंद केजरीवाल और उनकी पार्टी हमेशा से कहती आ रही है कि वह पद और सत्ता का लालच कभी नहीं करते। वह खुद को आम आदमी समझते हैं।

वीआईपी कल्चर खत्म करने का दावा करते हैं। ऐसे में अगर वह जैन के साथ-साथ सिसोदिया को भी बिना विभाग वाला मंत्री बने रहने देते तो जनता के बीच भी गलत संदेश जाता। सवाल उठता कि आखिर पद से केजरीवाल के लोगों को इतना मोह क्यों है?

यहां दिक्कत ये भी थी कि अगर किसी के पास मंत्री पद छोड़ देते और दूसरे से ले लेते तो भी नाराजगी बढ़ती। इसलिए सिसोदिया के साथ-साथ जैन से भी इस्तीफा ले लिया गया। 
 


मनीष सिसोदिया के पास फिलहाल 18 विभाग थे। दिल्ली सरकार के कुल 33 विभागों में से आधे से ज्यादा सिसोदिया के पास थे। सरकार का रोजमर्रा का कामकाज प्रभावित होना तय था। ऐसे में केजरीवाल ने दोनों मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया। मनीष सिसोदिया के सभी 18 विभाग दिल्ली सरकार के मंत्री कैलाश गहलोत व राजकुमार आनंद के बीच बांट दिए गए हैं।

दिल्ली सरकार को बजट पेश करना है इसके मद्देनजर कैलाश गहलोत को वित्त विभाग की जिम्मेदारी सौंपी गई है। अब विधानसभा में वही बजट पेश करेंगे।

इसके अलावा उन्हें गृह, जल और पीडब्ल्यू विभाग भी सौंपा गया है। वहीं राजकुमार आनंद को शिक्षा मंत्रालय के अलावा सिसोदिया के 10 विभागों का जिम्मा सौंपा गया है। 

 

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