PM Modi ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की ‘डिस्प्ले’ पर आखिर क्यों लगाई ये तस्वीर?
Why did PM Modi put this picture on the 'display' of his social media account?
नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपने सोशल मीडिया अकाउंट की ‘डिस्प्ले’ तस्वीर पर मंगलवार को ‘तिरंगा’ लगाया और लोगों से भी ऐसा करने का आग्रह किया।
प्रधानमंत्री मोदी ने रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में कहा था कि ‘आजादी का अमृत महोत्वस’ जन आंदोलन में बदल रहा है और उन्होंने लोगों से दो अगस्त से 15 अगस्त के बीच अपने सोशल मीडिया खातों पर प्रोफाइल तस्वीर के रूप में ‘तिरंगा’ लगाने को कहा था।
मोदी ने मंगलवार सुबह ट्वीट किया, ‘‘दो अगस्त का आज का दिन खास है। जब हम आजादी का अमृत महोत्सव मना रहे हैं, तो ऐसे में हमारा देश तिरंगे का सम्मान करने की सामूहिक मुहिम के तहत ‘हर घर तिरंगा’ के लिए तैयार है।
It is a special 2nd August today! At a time when we are marking Azadi Ka Amrit Mahotsav, our nation is all set for #HarGharTiranga, a collective movement to celebrate our Tricolour. I have changed the DP on my social media pages and urge you all to do the same. pic.twitter.com/y9ljGmtZMk
— Narendra Modi (@narendramodi) August 2, 2022
मैंने मेरे सोशल मीडिया पेज पर डीपी (डिस्प्ले तस्वीर) बदल दी है और मैं आप से भी ऐसा करने का आग्रह करता हूं।’’
मोदी ने तिरंगे का डिजाइन तैयार करने वाले पिंगली वेंकैया की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
I pay homage to the great Pingali Venkayya on his birth anniversary. Our nation will forever be indebted to him for his efforts of giving us the Tricolour, which we are very proud of. Taking strength and inspiration from the Tricolour, may we keep working for national progress.
— Narendra Modi (@narendramodi) August 2, 2022
मोदी ने कहा, ‘‘ हमारा देश हमें तिरंगा देने के उनके प्रयासों के लिए हमेशा उनका ऋणी रहेगा। हमें अपने तिरंगे पर बहुत गर्व है।
मैं कामना करता हूं कि तिरंगे से ताकत एवं प्रेरणा लेते हुए हम राष्ट्र की प्रगति के लिए काम करते रहें।’’
https://pagead2.googlesyndication.com/pagead/js/adsbygoogle.js?client=ca-pub-2953008738960898" crossorigin="anonymous">कौन हैं पिंगली वेंकैया? (Who is Pingali Venkaiah?)
दो अगस्त 1876 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टम में एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में जन्मे पिंगली वेंकैया का नाम भले ही आज हर कोई न पहचानता हो, लेकिन यह वही शख्स हैं,
जिन्होंने हमारे देश को उसका राष्ट्रीय ध्वज यानी तिरंगा दिया था। वेंकैया ने ही भारत का राष्ट्रीय ध्वज बनाया था। बलिदान, समृद्धि और शांति के प्रतीक इस तिरंगे को राष्ट्रीय ध्वज का दर्जा दिलाने के लिए वेंकैया ने लंबी लड़ाई लड़ी थी।
कई भाषा और खेती में अच्छा ज्ञान रखने वाले पिंगली ने अपने जीवन का ज्यादातर समय देश सेवा में ही गुज़ारा। उनके पिता का नाम हनुमंतरायुडु और माता का नाम वेंकटरत्नम्मा था।
मद्रास से हाई स्कूल पास करने के बाद, वह ग्रेजुएशन की पढ़ाई के लिए कैंब्रिज यूनिवर्सिटी चले गए थे।
वहाँ से लौटने पर उन्होंने एक रेलवे गार्ड के रूप में काम किया। इसके बाद, वह लखनऊ में एक सरकारी कर्मचारी के रूप में भी कार्यरत रहे और बाद में वह एंग्लो वैदिक महाविद्यालय में उर्दू और जापानी भाषा की पढ़ाई करने लाहौर चले गए।
यह वह दौर था, जब पढ़े-लिखे भारतीय युवा ब्रिटिश सेना में भर्ती हुआ करते थे। 19 साल की उम्र में पिंगली, ब्रिटिश आर्मी में सेना नायक बन गए।
ब्रिटिश सेना में काम करते हुए दक्षिण अफ्रिका में एंग्लो-बोअर युद्ध के दौरान, पिंगली की मुलाकात महात्मा गांधी से हुई।
पिंगली, महात्मा गांधी से इतना प्रेरित हुए कि वह उनके साथ ही हमेशा के लिए भारत लौट आए। भारत लौटने के बाद वह स्वतंत्रता संग्राम सेनानी बन गए।
देश के लिए कुछ भी कर गुज़रने का जूनून रखने वाले वेंकैया का हमेशा से मानना था कि भारत का भी अपना एक राष्ट्रीय ध्वज होना चाहिए।
उन्होंने ही खुद आगे बढ़कर गाँधीजी को देश का खुद का झंडा बनाने की सलाह दी थी, जिसके बाद गांधीजी ने उन्हें ही इसका दायित्व सौंप दिया था। इसके बाद, वेंकैया ने कई देशों के ध्वजों के बारे में जानना शुरू किया।
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वह अपने देश के लिए एक ऐसा झंडा बनाना चाहते थे, जो यहां के इतिहास को दर्शाए।
उन्होंने, 1916 से 1921 तक दुनिया भर के झंडों के अध्ययन में अपने आप को समर्पित कर दिया। 1921 में विजयवाड़ा में आयोजित भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अधिवेशन में पिंगली,
महात्मा गांधी से मिले और उन्हें लाल और हरे रंग से बनाया हुआ झंडे का डिज़ाइन दिखाया। उस समय गांधीजी के सुझाव पर पिंगली वेंकैया ने शांति के प्रतीक सफेद रंग को भी राष्ट्रीय ध्वज में शामिल किया।
मृत्यु के बाद ही मिल सकी पिंगली को पहचान
विजयवाड़ा मे कांग्रेस मीटिंग में महात्मा गांधी की मंजूरी मिलने के बाद, 1931 में तिरंगे को अपनाने का प्रस्ताव पारित किया गया। इस प्रस्ताव में कुछ संशोधन किए गए और लाल रंग हटाकर झंडे में केसरिया रंग जोड़ दिया गया।
इस तरह केसरिया, सफेद और हरे रंग के साथ, सफेद पट्टी पर चरखे वाला तिरंगा झंडा तैयार हुआ।
डाक टिकट22 जुलाई 1947 को संविधान सभा में पिंगली के बनाए झंडे को ही राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाया गया। इसके कुछ समय बाद ही एक बार फिर संशोधन किया गया,
जिसमें चरखे को हटाकर सम्राट अशोक के धर्मचक्र को तिरंगे में शामिल किया गया।
तीन रंग के जिस झंडे को देश की पहचान बनाने का सपना पिंगली ने देखा था, वह आखिरकार साकार हो ही गया। हालांकि, सालों तक पिंगली, विजयवाड़ा में एक सामान्य जीवन ही जी रहे थे।
1963 में, विजयवाड़ा की एक झोपड़ी में ही पिंगली वैंकैया का देहांत हो गया।
उस समय तक पिंगली के बारे में बहुत गिने-चुने लोग ही जानते थे। लेकिन साल 2009 में पिंगली के काम को एक नया सम्मान तब मिला, जब उनके नाम से भारतीय डाक विभाग ने एक डाक टिकट जारी किया।
इसके बाद ही कई लोगों को हमारे तिरंगे के रचनाकार के बारे में पता चला। तो अब जब भी आप अपने तिरंगे को देखें, तो पिंगली वैंकैया को याद करना न भूलें।