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छत्तीसगढ़: कोर्ट ने 18 साल बाद सुनाया फैसला, न्याय पाने वाले की 21 माह पहले हो चुकी है मौत

छत्तीसगढ़: कोर्ट ने 18 साल बाद सुनाया फैसला, न्याय पाने वाले की 21 माह पहले हो चुकी है मौत

 बिलासपुर. छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) की बिलासपुर हाई कोर्ट (Bilaspur High Court) ने 18 साल पुराने मामले में हाल ही में फैसला दिया है. इस प्रकरण में फरियादी को न्याय मिला है, लेकिन अपने साथ हुए न्याय को सुनने व देखने के लिए फरियादी जिंदा नहीं है. उसकी मौत कोर्ट के फैसला आने के 21 महीने पहले ही हो चुकी है. मरणोपरांत बिट गार्ड को हाई कोर्ट से न्याय मिला है. हाई कोर्ट ने निचली अदालत से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा (7),(13) के तहत सुनाए गए सजा को निरस्त कर बिट गार्ड को दोषमुक्त कर दिया है. अरविंद सिंह जंघेल की कोर्ट ने मामले में फैसला दिया है.

प्रकरण के मुताबिक शिव प्रसाद जिला दुर्ग में सन 1999 में फारेस्ट बिट गार्ड के पद पर पदस्थ थे. उन्हें लकड़ी चोरी की सूचना मिली. बताये स्थान पर वह लकड़ी जब्ती के लिए पहुंचे. इस दौरान उनके खिलाफ ही एक शिकायत कर दी गई, जिसमें शिकायतकर्ता ने उनपर एक हजार रुपये रिश्वत मांगने का आरोप लगा दिया. शिव प्रसाद का मामला विशेष अदालत में चला, जहां से भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा (7) धारा (13) के तहत उन्हें सजा सुनाई गई.


2003 में हाई कोर्ट में अपील
विशेष न्यायाधीश के द्वारा सुनाये गए सजा के खिलाफ 2003 में शिव प्रसाद ने हाई कोर्ट में अपील प्रस्तुत की. वर्ष 2003 के बाद दिसंबर 2019 में बीच याचिकाकर्ता की मृत्यु हो गई, जिसकी सुनवाई अब 2021 में हुई. लंबे समय से चल रहे न्यायालय प्रक्रिया के दौरान मृतक के परिवार को काफी समस्याओं का सामना भी करना पड़ा. याचिकाकर्ता के अधिवक्ता विवेक शर्मा के तर्क को सुनने के बाद हाई कोर्ट ने मृत याचिकाकर्ता को दोषमुक्त पाया और निचली अदालत के द्वारा सुनाये गए सजा को अपास्त कर दिया, जिससे मृतक को न्याय तो मिल गया पर अब वह मिले इस न्याय को सुनने और देखने जीवित नहीं है. कोर्ट ने अपने फैसले में भ्रष्टाचार के आरोप के कुछ मामलों का जिक्र भी किया है.

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