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सरकार का बड़ा ऐलान, अब दफ्तरों में कर्मचारी पी सकेंगे शराब, बदल गई आबकारी नीति

सरकार का बड़ा ऐलान, अब दफ्तरों में कर्मचारी पी सकेंगे शराब, बदल गई आबकारी नीति

Now a Lot of Spilled Jam in the Office: असल में हरियाणा सरकार ने अपनी एक्साइज पॉलिसी में बदलाव किया है, जिसके बाद प्रदेश के बड़े ऑफिस या कॉरपोरेट हाउस को अपने ऑफिस में बीयर, वाइन जैसे लो-कंटेंट वाले अल्कोहॉलिक ड्रिंक बेचने और पीने की इजाजत मिल गई है।

 

 

हरियाणा सरकार ने हाल ही में एक आबकारी नीति में संशोधन किया है जिससे हरियाणा के ऑफिसों में अब कर्मचारियों को बीयर और वाइन जैसी अल्कोहॉलिक ड्रिंक्स की पीने की अनुमति मिली है। यह नया नियम लागू होने के बाद से हरियाणा के कॉरपोरेट और मल्टीनेशनल कंपनियों के ऑफिसों में जमकर जाम छलक रही है।

 

इस नई आबकारी नीति के तहत, हरियाणा सरकार ने अब उन ऑफिसों को एल-10F लाइसेंस प्रदान करने का फैसला किया है, जो कम से कम 1 लाख वर्ग फुट के स्पेस के साथ खुद के या किराए पर ऑफिस स्थापित करते हैं।

इसे प्राप्त करने के लिए कुछ शर्तें पूरी करनी होंगी, जिन्हें पूरा करने के बाद उन्हें ये लाइसेंस प्राप्त होगा।

यह नया नियम न केवल कर्मचारियों को आरामदायक बनाएगा, बल्कि इससे हरियाणा के करोबारियों को भी लाभ पहुंचेगा। शराब कारोबारियों के लिए सरकार ने रेस्टोरेंट, पब और कैफे के लिए बार लाइसेंस की फीस को कम कर दिया है।

हालांकि, इवेंट और शो के दौरान शराब की परोसने के लिए अस्थायी बार लाइसेंस के आवेदन शुल्क में वृद्धि की गई है। सरकार ने इसे 10,000 से बढ़ाकर 50,000 कर दिया है।

यह नई आबकारी नीति हरियाणा के ऑफिसों में और उनके कर्मचारियों में जश्न की भावना को बढ़ाने के साथ-साथ प्रदेश की आर्थिक विकास में भी मददगार साबित होगी।

इसके अलावा, यह फैसला हरियाणा के कॉरपोरेट और मल्टीनेशनल कंपनियों को भी लाभ पहुंचाएगा, जो पहले से ही प्रदेश में अपने ऑफिसों को संचालित कर रहे हैं।

यह नया कदम स्वतंत्रता और आत्मविश्वास के साथ कर्मचारियों को सामरिक और रिक्रिएशनल गतिविधियों का आनंद लेने का मौका देगा।

जो कर्मचारी अपने दिनचर्या के बाद आराम करने की इच्छा रखते हैं, वे अब ऑफिस में दोस्तों के साथ शराब का आनंद ले सकते हैं।

अब हरियाणा के ऑफिसों में छलक रही है जिंदादिली और खुशहाली की बूंदें, जहां कर्मचारी अपने काम के बाद शराब का स्वाद ले सकते हैं। यह नया नियम हरियाणा सरकार की आबकारी नीति में हुए संशोधन के परिणामस्वरूप लागू हुआ है।

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