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सुनील कुमार झा वैसा ही प्रोड्यूसर हैं, जो क्षेत्र में रहकर, क्षेत्रीय कलाकारों के साथ अपनी मातृभाषा में फ़िल्में बनाते हैं: श्याम भास्कर

सुनील कुमार झा वैसा ही प्रोड्यूसर हैं, जो क्षेत्र में रहकर, क्षेत्रीय कलाकारों के साथ अपनी मातृभाषा में फ़िल्में बनाते हैं: श्याम भास्कर

दोस्तों....


जमाने से आपके बीच नहीं था |मगर सृजनात्मकता से दूर नहीँ था | मेरी अभिव्यक्ति के शुरू से अनेक माध्यम रहे हैं | कभी, पेंटिंग, कभी कविता, कभी कहानी, रेडियो-नाटक , ऑडियो-वीडियो के  अनेक फ़ॉर्मेट... मंचीय नाटक हो या फिल्म और सीरियल का लेखन-निर्देशन - ये सब करते हुए चालीस वर्ष से ज्यादा हो गए.... मैं क्षेत्र में रहा | क्षेत्र में रहकर, परती में फूल खिलाने में लगा रहा | स्थानीय प्रतिभा !  


बहुत पहले से विद्यापति पर काम करना चाहता था | इसी क्रम में मैंने आकाशवाणी दरभंगा के लिए 13 कड़ियों का रेडियो धारावाहिक बनाया | उन दिनों बड़ी संख्या में रेडियो श्रोता फोन-इन-कार्यक्रमों में फरमाइश किया करते थे और अनुरोध भी कि विद्यापति  वीडियो फॉर्म में भी प्रसारित हो | मगर शुरू से ही इसपर कोई टेली-सीरियल बनाने का विचार नहीं रहा |  विद्यापति फिल्म बनाने की योजना मेरे मन में साँसे लेने लगी थी | जैसा मैं विद्यापति को देखता हूँ,  उसपर वैसी ही फिल्म बनाने का मनोरथ था | 


कई लोग आये, जिन्होंने  प्रोडक्शन में दिलचस्पी दिखाई | मगर कई कारणों से मैं उनके साथ  आगे नहीं बढ़ सका  | मैं फिनेंसेर की नहीं, एक परफेक्ट producer की तलाश, अपने घर बैठकर कर रहा था | हमेशा अपने साथ एक ऐसे निर्माता का साथ चाहता रहा, जो सच का producer हो | जो ‘डायरेक्टर’ की भी समझ रखता हो, ‘राइटर’ की भी | जिसे संगीत, आर्ट, डांस, और सबसे बड़ी बात कि साहित्य की समझ हो |.... जो जन्मजात निर्माता हो | प्रोडक्शन से लेकर रिलीजिंग, विज्ञापन और उसकी मार्केटिंग तक की जिम्मेदारी को जानता हो , निभाता हो | सुनील कुमार झा वैसा ही प्रोड्यूसर हैं , जो क्षेत्र में रहकर, क्षेत्रीय कलाकारों के साथ अपनी मातृभाषा में फ़िल्में बनाते हैं!

सुनील को मैं पिछले कई दशकों से जान रहा हूँ | वह मेरे छोटे भाई जैसा है और दोस्त भी | उसके लिए मैंने तरह-तरह के ऑडियो-विजुअल काम किये हैं | ऑडियो कैसेट से उसने अपनी यात्रा शुरू की और आगे चलकर जानकी फिल्म प्रोडक्शन’  नाम से मधुबनी में, उसने अपनी कम्पनी खोली  | यह बिहार की पहली प्रा० लि० फिल्म कंपनी है जो लोकल से ग्लोवल है | यह प्रोडक्शन  हाउस समय के साथ बदलता रहा, नयी टेक्नोलोजी के साथ ढलता रहा |

खुद सुनील पहले एक स्किल्ड टेकनिशियन है | सुनील को  वीडियो प्रोडक्शन करने का भी लम्बा अनुभव है, और इस  कंपनी के कैसेट और सीडी को दूर-दूर तक लोगों ने पसंद किया है | वह मुझसे कहा करता था कि यह प्रोडक्शन इसलिए शुरू हुआ है कि वह चाहता है कि अपनी मिट्टी में कोई प्रोडक्शन हाउस खुले जो सम्पूर्ण मैथिली के लिए हो और  लगातार फ़िल्में बनाती रहे | उसने कहा था कि और अनेक फ़िल्में, अनेक राइटर,डायरेक्टर द्वारा जानकी फिल्म प्रोडक्शन हाउस बनाने जा रहा है | कुछ तो  फ्लोर पर जाने को तैयार है | जानकी फिल्म की पहली प्रस्तुति ‘बबितिया’ का लेखक-निर्देशक भी सुनील ही हैं  | 


पिछले साल अगस्त में,अचानक सुनील का फोन आया – “भाई जी ! कत’ छी ? ...मैं अभी–अभी दरभंगा एअरपोर्ट से बाहर निकल रहा हूँ और आपसे  मिलना जरुरी है |” 


आधे घंटे के अन्दर सुनील द्वारा मेरी फिल्म विद्यापति के लिए मुझे साइन किया जा चुका था | सुनील कंफर्म था | वह निर्णय ले चुका था |  आगामी सारी परियोजनाओं को केंसिल करके वह विद्यापति के निर्माण में लगना  चाहता था | खुद के सर्वश्व को इस सपने को साकार करने में, झोंक देने को, पूरी सामर्थ्य के साथ तैयार था | फिल्म जब  जुनूनी लोगों के लहू-लहू परिश्रम से और  ईमानदारी से बनती है, तो जरुर वह कुछ अलग होनी चाहिए | यह फिल्म क्यों और कैसे अलग है, इसका निर्णय तो आप लोगों को करना  है | अब मेरी भूमिका पूरी हो गयी है | अब आप शुभचिंतकों और मित्रों की भूमिका शुरू होने वाली है | एक लेखक-निर्देशक के नाते आपसे अनुरोध है कि बहुत जल्द प्रदर्शित  होने वाली हमारी यह फिल्म आप जरुर देखें | आपकी प्रतिक्रियायों का हरदम स्वागत है |


 फिलहाल 10 नवम्बर 23 को देखिये इसका ट्रेलर और पोस्टर जो u-tube पर शाम चार बजे जानकी फिल्म के ऑफिसियल चैनल पर रिलीज होगा |

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