कोलकाता में पहली बार एकलव्य की गुरु भक्ति का भव्य मंचन, गुरु भक्ति ही राष्ट्र और मानवता का आधार
कोलकाता। अवधूत देवीदास सेवा संस्थान द्वारा गुरु–शिष्य परंपरा की गरिमा और आध्यात्मिक संस्कृति को समर्पित भव्य नाट्य प्रस्तुति “एकलव्य की गुरु भक्ति” का कोलकाता के नजरुल तीर्थ, न्यू टाउन में पहली बार शानदार आयोजन किया गया। आध्यात्मिक सौंदर्य, नृत्याभिनय और भावपूर्ण संवादों से सजी यह प्रस्तुति दर्शकों को प्रेरित करने वाली साबित हुई। मंचन कल्पना जैन एंड ग्रुप द्वारा किया गया, जिसने अपने कला प्रदर्शन से सभागार में उपस्थित दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया।

कार्यक्रम में आशीर्वचन देते हुए गुरुदेव लक्ष्मीनारायण, IPS, जो इस नाट्य रचना के मूल लेखक भी हैं, ने कहा कि इस नृत्य-नाट्य का केंद्र “गुरु शक्ति” है। उन्होंने स्पष्ट किया कि गुरु कोई व्यक्ति नहीं, बल्कि एक शक्ति है—वह शक्ति जो ब्रह्मांड और प्रकृति को संचालित करती है। यह किसी धर्म, जाति या भाषा की सीमा से परे है और सभी के लिए उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि जब साधक सच्ची श्रद्धा और समर्पण के साथ गुरु शक्ति से जुड़ता है, तो गुरु का सूक्ष्म शरीर उसके जीवन को सही दिशा देता है। गुरुदेव ने आगे कहा कि एकलव्य की कथा यह संदेश देती है कि गुरु शक्ति हर व्यक्ति के भीतर विद्यमान है, और उसे जागृत करने के लिए निष्ठा, अनुशासन और आत्मसमर्पण सबसे बड़े साधन हैं।

गुरुदेव लक्ष्मीनारायण ने विश्वास व्यक्त किया कि यह नाट्य प्रस्तुति जनमानस को गुरु शक्ति के वास्तविक स्वरूप से परिचित कराएगी और उनमें श्रद्धा तथा गुरु भक्ति के प्रति और अधिक आस्था उत्पन्न करेगी।
कार्यक्रम के समापन पर संस्थान ने बताया कि अवधूत देवीदास सेवा संस्थान शिक्षा, स्वास्थ्य, मानव सेवा, सांस्कृतिक संरक्षण और मानव धर्म शास्त्र के प्रचार-प्रसार में लंबे समय से कार्यरत है। संस्थान का उद्देश्य गुरु परंपरा और मानव धर्म के आदर्शों को अधिक से अधिक लोगों तक पहुँचाना है।

यह नाट्य मंचन कला, अध्यात्म और भारतीय संस्कृति का ऐसा संगम साबित हुआ जिसने दर्शकों को भाव-विभोर कर दिया।
