History of Indian Flag: जानिए भारत के राष्ट्रीय ध्वज का इतिहास, कब-कब बदला झण्डा, कैसे बना trianga, जानिए तिरंगे के बारे में सब-कुछ?

Who made Tiranga first?

How was the Indian flag created?who designedthe national flag of india
5 lines on ournational flag

indianflag before 1947

indianflag colors meaning

  • राष्ट्रीय ध्वज अंगीकरण दिवस
  • राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा
  • महात्मा गांधी
  • असहयोग आंदोलन 
  • लोकमान्य तिलक
 

The history of the national flag of India, know when the flag changed, how was the trianga made?

प्रत्येक स्वतंत्र राष्ट्र का अपना एक ध्वज होता है, जो उस देश के स्वतंत्र देश होने का संकेत है।राष्ट्र ध्वज के संरचना का अपना एक विशेष अर्थ होता है।

 

 

 

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भारत का राष्ट्रीय ध्वज तिरंगा है, जो तीन रंगों केसरिया, सफेद और हरे रंग से बना है और इसके केंद्र में नीले रंग से बना अशोक चक्र है। भारतीय राष्ट्रीय ध्वज की अभिकल्पना पिंगली वैंकैयानंद ने की थी। 

 

 

 

और इसे इसके वर्तमान स्वरूप में 22 जुलाई 1947 को आयोजित भारतीय संविधान सभा की बैठक के दौरान अपनाया गया था। 

 

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 भारत के राष्ट्रीय ध्वज के इतिहास पर यदि हम दृष्टि डालें तो पाएंगे कि भारत के राष्ट्रीय ध्वज की विकास यात्रा में कई महत्वपूर्ण पड़ाव आए हैं। वर्तमान राष्ट्रीय ध्वज के पहले कई ध्वज बदल चुके हैं।

 

 

पहला राष्ट्रीय ध्वज (First National Flag 1906)

भारत के राष्ट्रीय ध्वज की सर्वप्रथम कल्पना सन 1906 में कई गई थी। भारत का पहला गैर आधिकारिक ध्वज 7 अगस्त 1906 को कलकत्ता (अब कोलकाता) के पास बागान चौक (ग्रीन पार्क) में कांग्रेस के अधिवेशन में फहराया गया था।

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यह ध्वज स्वामी विवेकानंद की शिष्या भगिनी निवेदिता द्वारा तैयार किया गया था। इस ध्वज में हरे, पीले व लाल रंग की तीन आड़ी पट्टियाँ थीं।

ऊपर की ओर हरी पट्टी में आठ कमल थे और नीचे की लाल पट्टी में सूरज व चाँद बनाए गए थे। बीच की पीली पट्टी में "वंदे मातरम" लिखा गया था।

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दूसरा राष्ट्रीय ध्वज (Second National Flag 1907 )

इस ध्वज को पेरिस में मैडम कामा और 1907(कुछ के अनुसार 1905 में) में उनके साथ निर्वासित किए गए कुछ क्रांतिकारियों द्वारा फहराया गया था। यह भी पहले ध्वज के समान था,

सिवाय इसके कि इसमें सबसे ऊपरी की पट्टी पर केवल एक कमल था, लेकिन सात तारे सप्तऋषि को दर्शाते हैं। यह ध्वज बर्लिन में हुए समाजवादी सम्मेलन में भी प्रदर्शित किया गया था।

तीसरा राष्ट्रीय ध्वज  (Third National Flag 1917)


    
  
  

तृतीय ध्वज 1917 में आया जब हमारे राजनीतिक संघर्ष ने एक निश्चित मोड़ लिया। डॉ. एनी बेसेंट और लोकमान्य तिलक ने घरेलू शासन आंदोलन के दौरान इसे फहराया।

इस ध्वज में 5 लाल और 4 हरी क्षैतिज पट्टियां एक के बाद एक और सप्तऋषि के अभिविन्यास में इस पर बने सात सितारे थे।

बाईं और ऊपरी किनारे पर (खंभे की ओर) यूनियन जैक था। एक कोने में सफेद अर्धचंद्र और सितारा भी था।


 

चौथा राष्ट्रीय ध्वज (Fourth National Flag 1921)

ये तो बात हुई अलग-अलग समय में अंग्रेजों के खिलाफ फहराए गए अलग-अलग भारतीय झंडों की। लेकिन हम आज जो तिरंगा झंडा देखते हैं, उसके बनने की शुरुआत 1921 से हुई थी।

1921 में मद्रास प्रेसीडेंसी कॉलेज के प्रोफेसर पिंगली वैंकय्या ने महात्मा गांधी को एक झंडे का डिजाइन दिखाया था। इसमें देश के दो प्रमुख धर्मों हिंदुओं के लिए लाल और मुसलमानों के लिए हरे रंग की पट्टियां थीं।

पिंगली 1916 में झंडों की डिजाइन के लिए एक किताब भी छपवा चुके थे। वह इस प्रयास में थे कि बाकी देशों की तरह भारत में भी एक ऐसे प्रतीक की जरूरत है जो सभी धर्मों के लोगों को आपस में जोड़ सके।

गांधी जी को प्रोफेसर पिंगली का विचार पसंद आया। आर्य समाज के लाला हंस राज सोंधी ने पिंगली को सुझाव दिया कि इस झंडे के बीच में चरखा भी होना चाहिए।

उस समय चरखा भारत के लोगों के लिए स्वदेशी कपड़ा बनाकर आत्मनिर्भर होने का संकेत हुआ करता था।

जब बात आगे बढ़ी तो गांधी जी ने इस झंडे में सफेद रंग की पट्टी जोड़ने के लिए कहा था। गांधी ने इसके पीछे तर्क दिया कि ये रंग बाकी धर्मों का प्रतिनिधित्व करेगा। इस तरह इस झंडे में सबसे ऊपर सफेद फिर हरा और नीचे लाल रंग था।

पांचवा राष्ट्रीय ध्वज (Fifth National Flag 1931)

वर्ष 1931 ध्वज के इतिहास में एक यादगार वर्ष है। तिरंगे ध्वज को हमारे राष्ट्रीय ध्वज के रूप में अपनाने के लिए एक प्रस्ताव पारित किया गया।

यह ध्वज जो वर्तमान स्वरूप का पूर्वज है, केसरिया, सफेद और मध्य में गांधी जी के चलते हुए चरखे के साथ था। साथ ही यह स्पष्ट रूप से बताया गया इसका कोई सांप्रदायिक महत्व नहीं था। 


 

 

छठा राष्ट्रीय ध्वज (Sixth National Flag 1947)  

आजादी के बाद तिरंगे से जुड़े कुछ नियम कानून और इसमें हुए बदलावों की कहानी जानते है। आजादी के बाद राष्ट्रीय झंडा तिरंगे से जुड़े दो कानून देश में बनाए गए थे- 

प्रतीक और नाम (अनुचित प्रयोग की रोकथाम) अधिनियम, 1950

राष्ट्रीय सम्मान के अपमान या अनादर की रोकथाम अधिनियम, 1971

25 जनवरी 2002 को देश की आजादी के 55 साल बाद इंडियन फ्लैग कोड में बदलाव किया गया। इसके जरिए 2 अहम बदलाव किए गए…

अब किसी सामान्य दिन में कभी भी भारतीय राष्ट्रीय झंडा घरों, दफ्तरों, फैक्ट्री पर लगाने की छूट दे दी गई। इससे पहले घरों या प्राइवेट संस्थानों में झंडा फहराने की छूट नहीं थी।

 फ्लैग कोड में तिरंगा झंडा के साथ किए जाने वाले किसी भी तरह के अनादर को अपराध माने जाने की बात कही गई है।

जानिए ज्‍योतिष के अनुसार तिरंगे का सही अर्थ? (Know the true meaning of tricolor according to astrology?)


केसरिया 

केसरिया रंग का प्रभाव ही है कि भारत का लोकतंत्र दिन ब दिन और समृद्ध होता जा रहा है। वैसे केसरिया रंग गुरु से भी संबंधित माना जाता है जो धर्म और त्याग का भी सूचक है।

ज्‍योतिष में हर रंग का एक अपना भाव होता है और सभी रंगों का संबंध अलग-अलग ग्रहों से होता है। अलग-अलग ग्रहों से संबंधित होने की वजह से सभी रंगों का हमारे जीवन पर प्रभाव पड़ता है।


केसरिया रंग शक्ति का प्रतीक माना जाता है। वहीं ज्योतिषीय दृष्टि से देखा जाए तो केसरिया रंग ग्रहों के राजा सूर्य का रंग है।

सूर्य को आत्मा, आत्मविश्वास, तेज का कारक भी माना जाता है। इसलिए ज्योतिषीय दृष्टि से केसरिया रंग हमको आत्मनिर्भरता का संदेश देता है।

सफेद रंग


सफेद रंग को शांति का प्रतीक माना जाता है। वैदिक ज्योतिष में चंद्रमा को सफेद रंग का प्रतिनिधि माना गया है। इसके साथ ही शुक्र ग्रह से भी इस रंग का संबंध है।

चंद्रमा मन, माता, ममता, सौम्यता आदि का कारक ग्रह है। वहीं शुक्र सौंदर्य, भौतिकता, कला आदि का कारक ग्रह है।

इसलिए वैदिक ज्योतिष के अनुसार भारत के तिरंगे में सफेद रंग हमें शांति का संदेश तो देता ही है साथ ही यह हमें आपसी प्रेम सद्भाव बनाए रखने का संदेश देता है।

हरा रंग


तिरंगे में मौजूद हरा रंग संपन्नता और हरियाली का प्रतीक है। वहीं वैदिक ज्योतिष में इस रंग को बुध ग्रह से जोड़कर देखा जाता है।

बुध ज्योतिष में तकनीक, तार्किक क्षमता, व्यवसाय, आदि का कारक ग्रह है और एक सफल राष्ट्र के निर्माण के लिए इन चीजों का होना बहुत आवश्यक है।

नीले रंग का अर्थ


इस बात का सूचक देश के तिरंगे के बीच में नीले रंग का एक चक्र है। वैदिक ज्योतिष में नीले रंग को शनि से संबंधित माना गया है।

शनि न्याय का देवता कहा जाता है। शनि जनता का भी कारक ग्रह है।

एक ऐसा राज्य जहां राष्ट्रध्वज फहराना अपराध माना जाता था तिरंगे को जलाया जाता था पीएम मोदी के इस फैसले ने बदली राज्य की तस्वीर...

 केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने शुक्रवार को कहा कि एक समय था, जब कश्मीर घाटी में तिरंगा जलाया जाता था,

लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संविधान के अनुच्छेद 370 को हटाए जाने के बाद से अब कोई भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर के किसी भी कोने में और कभी भी राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है।

युवाओं में देशप्रेम की भावना और गहरी करने के लिये संस्कृति मंत्रालय ने ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत आयोजित युवा केंद्रित भागीदारी कार्यक्रम ‘बढ़े चलो’ का भव्य समापन शुक्रवार को दिल्ली में किया।

इसी समारोह को संबोधित करते हुए ठाकुर ने यह बात की।

उन्होंने कहा, ‘‘उस समय, कश्मीर में राष्ट्रध्वज फहराना अपराध था, लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में संविधान के अनुच्छेद 370 और अनुच्छेद 35ए को हटाए जाने के बाद से अब कोई भी व्यक्ति जम्मू-कश्मीर के किसी भी कोने में और कभी भी राष्ट्रीय ध्वज फहरा सकता है।

उन्होने कहा की, उन्हें और वरिष्ठ नेताओं अरुण जेटली एवं सुषमा स्वराज को 2011 में राज्य के सीमावर्ती इलाके से ‘‘गिरफ्तार’’ किया गया था।

उन्होंने कहा, ‘‘लेकिन, मैं आपको बता दूं कि लाल चौक पर राष्ट्रध्वज फहराने के लिए बड़ी संख्या में युवा अपने प्राणों की आहुति देने के लिए तैयार थे।’’

केंद्रीय संस्कृति और पर्यटन मंत्री जी किशन रेड्डी ने इस अवसर पर कहा, ‘‘हमें एक युवा भारत, नव भारत, सुरक्षित भारत, समृद्ध भारत और शक्तिशाली भारत का निर्माण करना है।’’

मंत्रालय ने कहा कि ‘बढ़े चलो’ का आयोजन पांच अगस्त से किया गया , जिसमें भारत के 70 शहरों में सात दिन तक शानदार कार्यक्रम हुए।