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क्यों मनाई जाती है नवरात्रि, पहले दिन इस मंत्र का करें जाप

क्यों मनाई जाती है नवरात्रि, पहले दिन इस मंत्र का करें जाप

शारदीय नवरात्रि 2021: आज से शक्ति की आराधना का पर्व शुरू हो गया है, जो 15 अक्टूबर को दशहरे पर खत्म होगा। इस बार तिथियों की घट-बढ़ होने से नवरात्रि 8 दिनों की ही रहेगी। इस बार गुरुवार से नवरात्रि शुरू होने पर देवी झूले पर बैठकर आएंगी और शुक्रवार को दशहरा पर देवी के जाते वक्त वाहन हाथी होगा। मां दुर्गा के स्वरूप को लेकर कई तरह की कहानियां पुराणों में हैं। दसमहाविद्या, तीन महादेवियां जैसे कई स्वरूपों की कहानियां हैं। पहली बार दुनिया ने मां दुर्गा का स्वरूप कब और कैसे देखा, इसकी कहानी देवी भागवत और देवी पुराण में है।

नवरात्र के पहले ही द‍िन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है। इनको पर्वतराज ह‍िमालय की बेटी माना गया है। मां शैलपुत्री बैल की सवारी करती हैं और इनके माथे पर चंद्रमा सुशोभ‍ित होता है। मां को सफेद रंग से लगाव है। उनकी पूजा में सफेद फूल और मिष्‍ठान रखे जाते हैं। वहीं उनकी पूजा में पीले वस्‍त्र धारण क‍िए जाते हैं। मां को देवी सती और पार्वती के नाम से भी जाना जाता है। नवरात्र की पूजा में व्रत कथा पढ़ने का भी व‍िधान है। 

माता शैलपुत्री की पौराणिक कथा

पौराणिक कथाओं के अनुसार एक बार राजा दक्ष ने अपने घर पर एक बड़े यज्ञ का आयोजन करवाया। इस यज्ञ में उन्होंने सभी देवी देवताओं और ऋषि मुनियों को आमंत्रित किया, लेकिन माता सती के पति यानि अपने दामाद भोलेनाथ को आमंत्रित नहीं किया। माता सती ने भगवान शिव से अपने पिता द्वारा आयोजित यज्ञ में जाने की अनुमति मांगी, माता सती की आग्रह पर भोलेनाथ ने उन्हें यज्ञ में जाने की अनुमति दे दी। जब माता सती यज्ञ में पहुंची तो उन्होंने देखा कि राजा दक्ष भगवान शिव के बारे में अपशब्द कह रहे थे। पति के इस अपमान को होते देख माता सती ने यज्ञ में कूदकर अपने प्राण त्याग दिए। यह समाचार सुन भगवान शिव ने अपने गणों को भेजकर दक्ष का यज्ञ पूरी तरह से विध्वंस करा दिया। इसके बाद सती ने शैलपुत्री के रूप में अगला जन्म पर्वतराज हिमालय के घर लिया।

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मां शैलपुत्री पूजा विधि

मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन माता को सफेद वस्त्र, सफेद फूल चढ़ाना चाहिए। साथ ही सफेद रंग की मिठाई का भोग लगाना चाहिए। इस दिन मां शैलपुत्री की पूजा अर्चना करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं और विशेष फल की प्राप्ति होती है। मां शैलपुत्री की पूजा करते समय उनके चरणों में गाय का घी अर्पित करना शुभ माना जाता है। मान्यता है कि ऐसा करने से मां शैलपुत्री सुख समृद्धि का वरदान देती हैं। तथा मनोवांक्षित फल की प्राप्ति के लिए इन मंत्रों का जाप करना चाहिए।


इन मंत्रों का करें जाप

  • वन्दे वांक्षितलाभाय चंद्रार्धकृतशेखराम।

  • वृशारूढ़ां शूलधरां, शैलपुत्रीं यशस्विनीम।

मां शैलपुत्री की आरती

  • शैलपुत्री मां बैल सवार, करें देवता जय जयकार।

  • शिव शंकर की प्रिय भवानी। तेरी महिमा किसी ने ना जानी।

  • पार्वती तू उमा कहलावे। जो तुझे सिमरे सो सुख पावे।

  • ऋद्धि सिद्धि परवान करे तू। दया करे धनवान करे तू।

  • सोमवार को शिव संग प्यारी। आरती जिसने तेरी उतारी।

  • उसकी सगरी आस जगा दो। सगरे दुख तकलीफ मिटा दो।

  • घी का सुंदर दीप जला के। गोला गरी का भोग लगा के।

  • श्रृद्धा भाव से मंत्र गाएं। प्रेम सहित शीश झुकाएं।

  • जय गिरिराज किशोरी। शिव मुख चंद चकोरी अंबे।

  • मनोकामना पूर्ण कर दो। भक्त सदा सुख संपत्ति भर दो।

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