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काशी में द्वादश ज्‍योतिर्लिंगों की मौजूदगी की मान्‍यता, जानिए शहर में कहां मौजूद हैं यह मंदिर

काशी में द्वादश ज्‍योतिर्लिंगों की मौजूदगी की मान्‍यता, जानिए शहर में कहां मौजूद हैं यह मंदिर

वाराणसी । भारतीय संस्कृति की सनातन धर्म एवं 33 कोटि देवी देवताओं में भगवान शिव ही देवाधिदेव महादेव की उपमा से अलंकृत माने गए हैं। श्रावण मास भूतभावन भगवान शिव जी को समर्पित है। भगवान शिव की अर्चना के लिए श्रावण मास अति विशिष्ट माना गया है। ज्योतिषाचार्य विमल जैन के अनुसार श्रावण मास का शुभारंभ 25 जुलाई रविवार से हो रहा है। इस बार 29 दिन की श्रावण मास में चार सोमवार भी पड़ रहा है जिसमें भगवान शिवजी की आराधना विशेष फलित होती है। शिवालय सर्वत्र प्रतिष्ठित हैं जिनके दर्शन मात्र से ही आलोक एक शांति की प्राप्ति होती है। मगर काशी में बाबा काशी विश्‍वनाथ के साथ ही बारहों शिव के स्‍वरूपों के ज्‍योतिर्लिंग विद्यमान माने गए हैं।

बारहों ज्‍योतिर्लिंग का काशी में मान
काशी में शिव भक्त द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन पूजा से लाभान्वित होते हैं।  मान्यता है कि 12 ज्योतिर्लिंग यहां काशी में साक्षात मूल स्‍वरूप में ही मौजूद हैं। इनमें पहले स्थान पर सोमनाथ महादेव मान मंदिर, दूसरे स्थान पर मल्लिकार्जुन महादेव सिगरा, तीसरे स्थान पर महाकालेश्वर महादेव दारानगर, चौथे स्थान पर केदारनाथ महादेव केदार घाट, पांचवें स्थान पर भीमशंकर महादेव नेपाली खपड़ा, छठवें स्थान पर विश्वेश्वर महादेव विश्वनाथ गली, सातवें स्थान पर त्रंबकेश्वर महादेव हौज कटोरा बांस फाटक, आठवें स्थान पर बैजनाथ महादेव बैजनत्‍था, नौवें स्थान पर नागेश्वर महादेव पठानी टोला, दसवें स्थान पर रामेश्वरम महादेव रामकुंड, 11वें स्थान पर घुश्‍मेश्‍वर महादेव कमच्‍छा और 12वें स्थान पर ओंकारेश्वर महादेव छित्‍तनपुर में मौजूद हैं।

2021 का सावन मास
इस बार समस्त में चार सोमवार पढ़ रहे हैं। प्रथम सोमवार 26 जुलाई, द्वितीय सोमवार दो अगस्त, तृतीय सोमवार नौ अगस्त एवं चतुर्थ सोमवार 16 अगस्त को पड़ रहा है। नाग पंचमी (मरुधर व बंगाल में) 28 जुलाई बुधवार को पड़ रहा है। शिवजी की प्रसन्नता के लिए किए जाने वाला प्रदोष व्रत पांच अगस्त को गुरुवार तथा 20 अगस्त शुक्रवार को रखा जाएगा। मास शिवरात्रि व्रत छह अगस्त शुक्रवार, हरियाली अमावस्या आठ अगस्त रविवार तथा नाग पंचमी समस्त भारतवर्ष में 13 अगस्त शुक्रवार को मनाई जाएगी। इन दिनों शिव भक्त भगवान शिव का विशेष पूजन अर्चन कर व्रत रखकर मनोवांछित फल प्राप्त कर पुण्य के भागी बनते हैं। वहीं इस माह का प्रमुख पर्व रक्षाबंधन 22 अगस्त रविवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा।

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काशी में अन्‍य शिवालयों की मान्‍यता
काशी में 50 से अधिक शिव मंदिर या शिवालय सिद्ध माने गए हैं। जिनमें ओम्कारेश्वर पठानी टोला, त्रिलोचनेश्वर- त्रिलोचन, आदि महादेव-त्रिलोचन महादेव के पीछे, कृतिवासेश्‍वर महादवेव-हर तीरथ, रत्नेश्वर महादेव- वृद्ध काल, चंदेश्वर-सिद्धेश्वरी, केदारेश्वर-केदार घाट, धर्मेश्वर मीरघाट, वीरेश्वर सिंधिया घाट के ऊपर, कामेश्वर-त्रिलोचन के उत्तर, विश्वकर्मेश्वर-गोलगड्डा, मणि कर्णेश्‍वर-गोमठ आश्रम, अविमुक्तेश्वर- धर्मशाला विश्वनाथ मंदिर परिक्षेत्र, विश्‍वेश्‍वर- विश्व प्रसिद्ध विश्वनाथ मंदिर, अमृतेश्वर-नीलकंठ महादेव, तारकेश्वर ज्ञानवापी के पूर्व गौरीशंकर मढ़ी के नीचे, ज्ञानेश्वर-लाहौरी टोला, करुणेश्वर-ललिता घाट के ऊपर, मोक्षद्वारेश्‍वर - करुणेश्वर के समीप, स्वर्गद्वारेश्वर-ब्रह्मनाल के समीप, ब्रह्मेश्वर-खालिसपुर बंगाली टोला, लांगलीश्‍वर-खोवा बाजार, वृद्धकालेश्वर- महामृत्युंजय परिसर दारानगर, वृषेश्‍वर- गोरखनाथ टीला मैदागिन, चंडीश्वर- सदर बाजार चंडी देवी के समीप, नंदिकेश्वर- ज्ञानवापी पर लुप्‍त, महेश्वर-मणिकार्णिका कुंड के पूर्वी तट पर, ज्योति रूपेश्‍वर-गोमठ, शैलेश्वर -मढियाघाट शैलपुत्री, संगमेश्वर - आदिकेशव वरुणा में, स्‍वर्लीनेश्‍वर- नया महादेव, प्रहलाद घाट, मध्यमेश्वर-दारानगर, हिरण्यगर्भेश्‍वर-त्रिलोचन त्रिलोचन घाट, ईशानेश्‍वर बांस फाटक,  गोप्रेक्षेश्वर-लालघाट, वृषभेश्वर-कपिलधारा, उपशांतेश्वर-पठानी टोला, ज्‍येष्‍ठेश्‍वर- काशीपुरा, निवासेश्वर-भूत भैरव के पास काशीपुरा, शुक्रेश्वर-कालिका गली, व्याघ्रेश्वर-भूत भैरव, जंबुकेश्वर-बड़ा गणेश, महामृत्युंजय- मध्‍यमेश्‍वर दारानगर, नए विश्वनाथ-मीर घाट, नए विश्वनाथ-बीएचयू परिसर, बैजनाथ-बैजनत्‍था, जंगम-जंगम बाड़ी मठ, मल्लिकार्जुन-सिगरा, भीमशंकर-नेपाली खपड़ा, त्र्यंबकेश्‍वर- हौज कटोरा बांस फाटक, नागेश्वर-पठानी टोला, रामेश्वरम-रामकुंड, घुश्मेश्वर- कमच्‍छा, ओमकारेश्वर- छित्‍तनपुर और इसके अतिरिक्त पंचक्रोशी मार्ग में पड़ने वाले अनेक शिव मंदिर की महत्ता मानी गई है।

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