Varanasi News: मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में वाराणसी मंडल के भारतेंदु सभागार कक्ष में आयुर्वेद दिवस मनाई गई

 

Varanasi News: मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव की अध्यक्षता में वाराणसी मंडल के भारतेंदु सभागार कक्ष में आज  10 नवंबर,2023 को प्राचीन चिकित्सा प्रणाली (आयुर्वेद) के जनक एवं  दिव्य चिकित्सक भगवान धन्वंतरि की जयन्ती 8 वें ‘आयुर्वेद दिवस’ के रूप में मनाई गई । इस कार्यक्रम का शुभारम्भ मंडल रेल प्रबंधक द्वारा भगवान धन्वंतरि के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित कर दीप प्रज्ज्वलित किया गया गया । इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि के रूप में अपर मंडल रेल प्रबंधक(इन्फ्रा)श्री रोशन लाल यादव,अपर मंडल रेल प्रबंधक(परिचालन) श्री राजेश कुमार सिंह,वरिष्ठ मंडल इंजीनियर(समन्वय) राकेश रंजन,वरिष्ठ मंडल परिचालन प्रबंधक अजय प्रताप सिंह,वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक श्री शेख रहमान, वरिष्ठ मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर-1 रजत प्रिय , वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर(सामान्य) पंकज केशरवानी,वरिष्ठ मंडल विद्युत इंजीनियर(आपरेशन) अनिल श्रीवास्तव,वरिष्ठ मंडल सिगनल एवं दूरसंचार इंजीनियर-2 श्री यशवीर सिंह, वरिष्ठ मंडल संरक्षा अधिकारी श्री बलेंद्र पाल,मंडल कार्मिक अधिकरी विवेक मिश्रा समेत मंडलीय अधिकारी एवं कर्मचारी उपस्थित थे ।


इस अवसर पर अध्यक्षीय संबोधन में मंडल रेल प्रबंधक विनीत कुमार श्रीवास्तव ने कहा की रेलवे बोर्ड एवं मुख्यालय के निर्देशनुसार हमारे मंडल में आज आयुर्वेद दिवस मनाया जा रहा है । जैसा की हम सभी को पता है कि आयुर्वेद हमारी भारतीय चिकित्सा पद्धति और स्वस्थ मानव जीवन के लिए एक अद्वितीय वरदान है। इसके अर्थानुसार 'आयुर्वेद' अर्थात 'आयु’ और 'वेद', जिसके प्रयोग से एक लम्बी, स्वस्थ और समृद्ध जीवन की प्राप्ति संभव है। वर्तमान परिपेक्ष्य को देखते हुए आयुर्वेद के द्वारा मानव जीवन को चिकित्सा, स्वास्थ्य सम्बन्धी एवं दैनिक आहार तथा दिनचर्या के सम्बन्ध में स्वस्थ जीवन की प्रेरणा मिलती है। इसके अन्तर्गत वैदिक एवं योगिक सूत्रों के द्वारा रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने एवं मानव स्वास्थ्य बनाए रखने, बीमारियों का निदान एवं जनकल्याण हेतु स्वयं में विशाल एवं समृद्ध तंत्र है। आयुर्वेद में हमें विदोष सिद्धांत, पंचकर्म चिकित्सा, और योग का महत्वपूर्ण तथ्यों से भलीभांति अवगत कराया गया है जिसके प्रयोग के सफल रोगमुक्त मानवजीवन की परिकल्पना की जा सकती है क्योंकि यह रोग के कारण नहीं, बल्कि रोग की असली उत्पत्ति के कारण का वैदिक रूप से इलाज करता है।


इस अद्वितीय दिन पर यह याद दिलाते हुए हर्ष हो रहा हैं कि हमारे पूर्वजों ने आयुर्वेद को अपने जीवन का हिस्सा बनाए रखने के लिए इसे मूलरूप में इसे स्वीकार किया था और हमें भी इसे अपने जीवन में शामिल करने का संकल्प लेना चाहिए। हमें आशा ही नहीं बल्कि पूर्ण विश्वास है कि इस आयुर्वेद की रीतियों को आने वाली पीढ़ी के साथ साथ वर्तमान जनमानस व्यापक प्रचार प्रसार करना चाहिए ताकि प्रकृति का यहाँ अद्भुत वरदान सामान्य जनमानस से विलुप्त न होने पाए।


इस अवसर पर आयोजित संगोष्ठी में मुख्य वक्ता एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे आयुर्वेद चिकित्सक (वैध) राजेश कुमार पाण्डेय ने पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के मध्यम से समझाया की आयुर्वेद एक प्राकृतिक चिकित्सा पद्यति है जिसमें प्राकृतिक संसाधनों का प्रयोग किया जाता है जो असाध्य से असाध्य रोगों का उपचार करती है एवं इसका कोई भी दुष्प्रभाव (साइड इफेक्ट) सामान्य मनुष्यों पर नहीं पड़ता । इसके साथ ही अपनी सरल उपचार प्रणाली के कारण आयुर्वेद समान रूप से पशुओं के उपचार में भी कारगर है । इससे यह स्पष्ट है की आयुर्वेद केवल चिकित्सा पद्यति ही नहीं है बल्कि एक जीवन शैली है  जो शारीर को निरोगी रखती है । उन्होंने बताया की हमें मानसिक एवं शारीरिक स्वास्थ्य को ठीक रखने हेतु प्राकृतिक जीवन शैली एवं उपचार पद्यति को अपनाने हेतु प्रोत्साहित करना चाहिए ।

उन्होंने बताया की आयुर्वेद मानव शरीर के मानसिक एवं शारीरिक सन्तुलन को बनाये रखने में बहुत सहायक है । वर्तमान समय में आधुनिक आयुर्वेदिक दवाएँ नामचीन लैबोरेट्री में विभिन्न टेस्टींग के बाद तैयार की जा रहीं है , आप सभी इनका प्रयोग कर अपनी काया को निरोगी रख सकते हैं । उन्होंने बताया की सप्ताह में एक दिन उपवास रखें और इस दौरान केवल जल दूध या फल का सेवन करें, अश्वगंधा चूर्ण १ चम्मच सुबह नाश्ते के बाद या रात में सोते समय दूध या जल से लें ,च्यवनप्राश (शुगर फ्री ) १ चम्मच सुबह नाश्ते के बाद लें,तुलसी, हल्दी, सोंठ, काली मिर्च, पिप्पली, तेजपत्र दालचीनी, इलायची, लौंग इन सभी को बराबर मात्रा में मिलाकर चूर्ण कर के रख लें । १/४ चम्मच चूर्ण चाय में दूध में अथवा ग्रीन टी या १ कप गर्म पानी में डाल कर सुबह शाम पियें | इसमें चीनी ना मिलाए उसके स्थान पर थोड़ा सा गुड़ मिला सकते हैं । यदि सर्दी जुकाम या गले में कोई परेशानी हो तो इसे दिन में तीन चार बार पिए । इसी चूर्ण को गुग्गुल, लोहबान, कपूर या धूप की लकड़ी के साथ मिला कर शाम के समय घर में धूपन करें।


संगोष्ठी का संचालन करते हुए मंडल कार्मिक अधिकारी श्री विवेक मिश्रा ने बताया की  वाराणसी मंडल ने ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ अभियान’ के वैश्विक अभियान से जुड़कर इस अभियान को अपना सहयोग प्रदान कर रहा  है। ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ’ अभियान का जन संदेश, वैश्विक जन भागीदारी के साथ एक अन्तराष्ट्रीय जन आंदोलन बन चुका है। केन्द्रीय मंत्री श्री सर्बानंद सोणोवाल ने 10 अक्टूबर 2023 को दिल्ली से इस वैश्विक अभियान की घोषणा की थी। हर साल धन्वंतरि जयंती के दिन आयुष मंत्रालय की ओर से विश्व आयुर्वेद दिवस का आयोजन किया जाता है। ‘आयुर्वेद फॉर वन हेल्थ’ के जन संदेश के साथ यह अभियान भारत ही नहीं पूरे विश्व में मनाया जा रहा है।