वाराणसी दोषीपुरा क्षेत्र में चल रहा फर्जी मदरसा, महिला इमामबाड़े को बना दिया मदरसा

 

वाराणसी। 1.  आ०नं0 98/1 मौजा अलईपुरा, देहातअमानत, तहसील व जिला वाराणसी जिसपर नगर निगम वाराणसी द्वारा म०नं० जे.15/65-डी-3 मुहल्ला दोषीपुरा, वार्ड जैतपुरा शहर व जिला वाराणसी कायम किया गया है, रकबा 0.313 हे0 के मालिक व काबिज दखील मौलाना अता हुसैन पुत्र मजाहिर हुसैन थे जो दिनांक 30.12.2004 ई0 को देव संयोग से स्वर्गवासी हो गये।

2.  यह कि स्व० मौलाना अता हुसैन ने अपने जीवनकाल में अपनी अन्य जायदादों को विक्रय करके आ०नं0 98/1 रकबा 75 डि० पर अपना स्वयं का रूपया खर्च करके मदरसा का निर्माण कराया तथा शिया बच्चों के तालीम की व्यवस्था किया तथा स्वयं मदरसा का संचालन करने लगे तथा मदरसा का नाम उन्होने जामिया अलविया ऐजूकेशनल सोसाईटी दोषीपुरा वाराणसी रखा।

3.  यह कि मदरसा संचालन के दौरान स्व० मौलाना अता हुसैन को मदरसा को चिट फण्ड कार्यालय में रजिस्ट्रेशन कराने की आवश्यकता दरपेश हुयी तो उन्होने वर्ष 1995 ई० में दिनांक 15.12.1995 ई0 को बकायदा उक्त मदरसे का बाईलाज बनाकर चिट फण्ड कार्यालय में पंजीकृत कराया तथा जिसका नम्बर V-18342 चिट फण्ड कार्यालय से कायम हुआ।

4.  यह कि उक्त बाइलाज में स्व० मौलाना अता हुसैन ने स्पष्ट रूप से यह लिखा कि जब तक वह जीवित रहेंगे तब तक उक्त मदरसे का संचालन कमेटी व इंतजाम वे स्वयं करेंगे तथा उनके देहान्त के उपरान्त उक्त मदरसे का संचालन नस्लन दर नस्लन उनकी औलादें करेगी, यदि किसी पुश्त में लड़का न हुआ तो बड़ी लड़की उक्त मदरसे का संचालन इन्तेजाम व इन्सेराम करेगी और यह सिलसिला आगामी नस्ल दर नस्ल चलता रहेगा। यही बाते स्व० मौलाना अता हुसैन ने वर्ष 1996 ई० की संशोधित नियमावली में भी लिखा।


5.  यह कि मौलाना अता हुसैन का दिनांक 30.12.2004 ई० को देहान्त हो गया और उनकी वसीयत के अनुसार उनको मदरसे के प्रांगड़ में दफन कर दिया गया तथा उनका एक मात्र पुत्र मोहम्मद नुरुल्ला अपरिहार्य कारणों से कत्ल के झूठे प्रकरण में दिनांक 08.07.2005 ई० को जिला कारागार वाराणसी में निरूद्ध हो गया।

6.  यह कि नुरुल्ला के जेल चले जाने के उपरान्त एक व्यक्ति सैय्यद प्यारे अली जो पूर्व से स्व० मौलाना अता हुसैन को जानता था जो अल्प संख्यक कल्याण अधिकारी विकास भवन वाराणसी में बाबू के पद पर कार्यरत था, वह मदरसा जामिया अलविया आया तथा मोहम्मद नुरुल्ला के बहनोई स्व० नसीम हैदर के माध्यम से नुरुल्ला की माता हमीदा बानों से मिला तथा उनको झूठा आश्वासन इस बात का दिया कि मैं सरकारी नौकरी विकास भवन में करता हूँ, मुझे मदरसा संचालन का अनुभव है तथा मैं मुहम्मद नुरुल्ला की जमानत भी करा दूँगा तथा मदरसा का भी संचालन करूँगा।

7.  यह कि स्व० माता हमीदा बानों जो अपने दामाद नसीम हैदर के उपर काफी विश्वास रखती थी उन्होने नसीम हैदर से राय मशविरा करने के उपरान्त तथा पुत्र मोह में आकर मदरसे का संचालन हेतु अनुमति सैय्यद प्यारे अली को दे दिया, चूँकि स्व० मौलाना अता हुसैन को मात्र एक पुत्र मोहम्मद नुरुल्ला था जिससे हमीदा बानों काफी लगाव एवं प्यार करती थी इसलिए सैय्यद प्यारे अली की बातों पर यकीन करके उन्होने मदरसा संचालन हेतु अनुमति दे दिया।

8.  यह कि सैय्यद प्यारे अली की नियत शुरू से मदरसा को लेकर बद रही है, लिहाजा मौका पाते ही उसने वर्ष 2006 ई० में मदरसा के बाइलाज में संशोधन करना प्रारम्भ किया तथा नस्लन दर नस्लन मदरसा का संचालन के कालम को बदलकर यह तहरीर लिया कि हम मदरसा का सद्र बजरिए चुनाव होगा और दीगर बातें भी अपनी मर्जी से लिखवाकर बाइलाज में संशोधन कर दिया।

9.  यह कि जब मोहम्मद नुरुल्ला की माता स्व० हमीदा बानों को इस बात का आभास हुआ कि सैय्यद प्यारे अली मदरसा जामिया अलविया को चलाना नही बल्कि हथियाना चाहता है तो उन्होने इस बात का प्रार्थना
पत्र उच्च अधिकारियों के अलावा तत्कालीन मंत्री आजम खाँ व वसीम रिजवी आदि को भी दिया, जहाँ से जांच हेतु निर्देश तत्कालीन जिलाधिकारी वाराणसी को दिया गया, परन्तु सैय्यद प्यारे अली जो जिलाधिकारी वाराणसी के मातहत अल्प संख्यक कार्यालय में बाबू के पद पर तैनात होने की वजह से जांच नहीं होने दिया तथा प्रकरण को दबाकर ठंडे बस्ते में बंद करता गया।

10.  यह कि इतना ही नही सैय्यद प्यारे अली ने मदरसा को हथियाने व उसे एडेड कराने के क्रम में वर्ष 2008 ई० में दिनांक 06.11.2008 ई० को मोहम्मद नुरुल्ला जब जेल में थे, उनका गलत एवं फर्जी तरीके से शपथपत्र बनवाकर बजरिए संचिका संख्या-298 सन् 2008 मोहम्मद नुरूल्ला के पुश्तैनी रिहाइशी मकान जे. 15/76 मोहल्ला दोषीपुरा को मदरसा जामिया अलविया दर्ज करा लिया, जब कि उक्त भवन मात्र 700 वर्गफीट का है, जहाँ मदरसा संचालित नही होता है, उसी भवन को मदरसा दिखाकर एडेड करा लिया तथा वहीं पर उसी पते पर तमाम शिक्षको की नियुक्ति करके लगभग 15 शिक्षक एवं स्टाफ की तनख्वाह मंगवाकर बंदर बाट किया जा रहा है तथा सरकारी धन का दुरूपयोग हो रहा है। मदरसा में जितने भी लोग कथित फर्जी कमेटी के मेम्बर है सभी लोगो की पत्निया, रिश्तेदार मदरसे में टीचर के पद तैनात है।

11.  यह कि जब मोहम्मद नुरुल्ला की माता को इस बात की जानकारी हुयी तो उन्होने के उक्त नगर निगम के आदेश दिनांक 17.01.2009 ई० जो बजरिए संचिका संख्या 298/2008 के बाबत पारित किया गया या, उक्त आदेश की नगर निगम अपील संख्या 13 सन् 2009 ई० दाखिल अदालत किया गया तथा उक्त अपील में यह कहा गया कि सैय्यद प्यारे अली द्वारा जे. 15/76 पर दर्ज मदरसा जामिया अलविया निरस्त किया जाय, आगे चलकर वर्ष 2011 ई० में हमीदा बानों की मृत्यु हो गयी तथा अपील अदम पैरवी में वर्ष 2019 ई० में खारिज हो गयी।

12.  यह कि वर्ष 2011 में हमीदा बानों की मृत्यु के बाद मदरसे की पैरवी करने वाला कोई व्यक्ति नही था, लिहाजा सैय्यद प्यारे अली ने मनमाने तरीके से स्व० नसीम हैदर को मिलाकर अपने मन से मदरसा संचालित कर रहा था, जब कभी खानदान के लोग उक्त मदरसे के सम्बन्ध में ज्यादा दबाव बनाते थे तो सैय्यद प्यारे अली द्वारा यह कहा जाता था कि जब मोहम्मद नुरुल्ला जेल से वापस आयेंगे तो मदरसा उन्हे वापस सौप दिया जायेगा। इस बाबत उनके द्वारा एक तहरीर बसक्ल शपथपत्र भी वर्ष 2015 ई० में लिखकर दिया गया, परन्तु वर्ष 2023 ई० में जेल से आने के उपरान्त भी आज तक मोहम्मद नुरुल्ला के मदरसे को उन्होने नही सौपा तथा फर्जी शिक्षकों की नियुक्ति पैसा लेकर नियुक्त करके सरकारी धन की उगाही करते चले आ रहे हैं।

13.  यह कि मदरसा जामिया अलविया में जितने भी शिक्षक नियुक्त हैं वे सब मदरसे की फर्जी कमेटी में जिन लोगों का नाम है या तो उनकी पत्निया है या उनके रिश्तेदार हैं, जबकि सर्विस रूल के अनुसार जो व्यक्ति कमेटी के संगठन में है, उसका कोई रिश्तेदार या पत्नी शिक्षक या लिपिक के रूप में उक्त मदरसे में नियुक्त नही हो सकता है।

14.  यह कि उक्त मदरसे को स्व० मौलाना अता हुसैन कभी भी वक्फ बोर्ड में दर्ज कराना नहीं चाहते हैं, बावजूद इसके मदरसे की कमेटी में से सैय्यद जिशान हुसैन ने स्व० मौलाना अता हुसैन का फर्जी शपथपत्र व फर्जी वक्फनामा बनाकर वर्ष 2019 ई० में यह कहते हुए वक्फ बोर्ड में प्रार्थना पत्र दिया कि स्व० मौलाना अता हुसैन ने उक्त मदरसे को वर्ष 1997 ई० में 75 डि० का वक्फ कर दिया, लिहाजा मदरसा को वक्फ बोर्ड में दर्ज कर लिया जाय, जानकारी प्राप्त होने पर मोहम्मद नुरुल्ला का पुत्र कायम मेंहदी दिनांक 10.01.2020 ई० को उक्त प्रार्थना पत्र के विरूद्ध आपत्ति दाखिल किया तथा कहा कि प्रार्थना पत्र जिशान हुसैन फर्जी है तथा उसे खारिज कर दिया जाय। इस दौरान मार्च 2020 ई० में कोरोना लग गया तथा पुनः 2021 ई० में कोरोना के कारण शिया वक्फ बोर्ड में पेन्डिंग रहा एवं 2022 ई० में सैय्यद प्यारे अली व जिशान हुसैन व कमेटी के अन्य सदस्यों द्वारा नाजायज धन खर्चा करके आपत्ति के बाबत कायम मेंहदी के फर्जी शपथपत्र का इस्तेमाल करके शिया वक्फ बोर्ड में मदरसा को दर्ज कराते हुए सनदे तौलियत पंजीयन संख्या आई.2977 निर्गत करा दिया जिसके सम्बन्ध में वक्फ न्यायाधीकरण लखनऊ उत्तर प्रदेश में वाद संख्या 107 सन् 2023 लम्बित है।

15.  यह कि वक्फ बोर्ड द्वारा दर्ज किया गया मदरसा पूरी तरह फर्जी हैं क्योंकि मौलाना अता हुसैन ने कभी वक्फ नही किया, वक्फ सम्पत्तियों में मस्जिद, इमामबाड़ा, दरगाह आदि धार्मिक स्थान का किया जा सकता है, मदरसा कोई धार्मिक स्थान नहीं होता, लिहाजा मदरसे को किस कानून के तहत वक्फ किया गया, यह समझ के परे है।

16.  यह कि स्वर्गीय मौलाना अता हुसैन ने अपने जीवनकाल में कभी भी मदरसा के रकबा 75 डि० को वक्फ नही किया, फर्जी कागजात बनाकर तथा उसका इस्तेमाल करके मदरसा को वक्फ कराया गया है, यदि मौलाना अता हुसैन मदरसा को वक्फ करते तो पुनः वह क्यो मदरसे के बाबत मुख्तारनामा आम मोहम्मद नुरुल्ला को क्यों करते।

17.  यह कि फर्जी वक्फनामा के आधार पर सैय्यद जिशान हुसैन द्वारा पूर्व में बजरिए पत्र मदरसे में नाम चढ़‌वाने का प्रार्थना पत्र सदर तहसील वाराणसी में प्रेषित किया गया, जिसे तहसील के कर्मचारियों द्वारा रिपोर्ट लगाकर समाप्त कर दिया गया तो उनके द्वारा आगे चलकर मुकदमा अन्तर्गत धारा 34 एल.आर एक्ट जामिया अलविया बनाम् अता हुसैन के नाम से दाखिल किया गया जो बजरिए आदेश दिनांक 08.08.2024 ई० को माननीय न्यायालय द्वारा खारिज कर दिया गया।

18.  यह कि उपरोक्त बातों से यह पूरी तरह जाहिर व साबित है कि मदरसा जामिया अलविया माफिया व भूमाफिया सैय्यद प्यारे अली व सैय्यद जिशान हुसैन, सैय्यद फकरे मेंहदी व मेंहदी हसन व सैय्यद अबुनसर व सैय्यद मुशर्रफ हुसैन तमाम लोग प्रार्थी के मदरसे के सम्पत्ति को हड़पने के प्रयास में लगे हुए हैं।