वाराणसी: केन्द्रीय विधि एवं न्याय मंत्री किरेन रिजिजू ने काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय संगोष्ठी को किया संबोधित
वाराणसी, 08.09.2022: विधि एवं न्याय मंत्री, भारत सरकार, किरेन निजिजू ने कहा है कि स्वतंत्रता सभी के सामूहिक संघर्ष व बलिदान से प्राप्त होती है न कि कुछ लोगों के प्रयासों से। “स्वतंत्रता संग्राम में जनजातीय नायकों का योगदान” विषय पर राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय द्वारा आयोजित राष्ट्रीय संगोष्ठी को संबोधित करते हुए विधि व न्याय मंत्री ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में भूमिका के लिए लंबे समय तक केवल चुनिंदा हस्तियों के बारे में ही प्रचारित किया गया, तथा महत्वपूर्ण योगदान देने वाले अनेक नायक व नायिकाओं को नज़रअंदाज़ किया गया।
उन्होंने कहा कि देश को विदेशी शासन से आज़ाद कराने में लंबी व महत्वपूर्ण लड़ाइयां लड़ने वाले जनजातीय योद्धाओं की गाथाओं के बारे में चर्चा ही नहीं होती थी। ऐसे में मौजूदा तथा आने वाली पीढ़ियों को इन प्रसंगों व नायकों के बारे में जागरूक करने की अत्यंत आवश्यकता है।
उन्होंने कहा कि आज हम जिस स्वतंत्रता का अनुभव कर रहे हैं, वह इसलिये नहीं है कि सिर्फ कुछ ही लोगों ने इसके लिए संघर्ष किया, बल्कि इसलिए भी है कि अनेक मोर्चों पर जनजातीय योद्धाओं द्वारा अनगिनत लड़ाइयां लड़ी गईं, फिर चाहे वो जंगल हों, गांव हों या फिर दुर्गम इलाके। उन्होंने कहा कि वीरता व बलिदान की ऐसी ही अनेक गाथाओं को जनसामान्य तक पंहुचाने के लिए देश भर के विश्वविद्यालयों में कार्यक्रमों का आयोजन किया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय से बेहतर स्थान हो ही नहीं सकता था क्योंकि बीएचयू अपने आप में एक शहर है, जहां देश के विभिन्न क्षेत्रों से विद्यार्थी पढ़ने आते हैं। किरेन रिजिजू ने कहा कि अकसर ये कहा जाता है कि जनजातीय लोगों को मुख्यधारा में लाया जाए, लेकिन यह कहना उचित नहीं है, क्योंकि जनजातीय लोगों का जीवन व रहन सहन ही मुख्यधारा है। वे अपने आप में अत्यंत समृद्ध विरासत को संजोए हुए हैं।
उन्होंने कहा कि यह विचार उन लोगों द्वारा प्रचारित किया गया था जो स्वयं को दूसरों से बेहतर समझते थे, ख़ासतौर से उन्हें जिनका जीने का तरीका अलग था। विधि मंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में पिछले कुछ वर्षों में काफी सकारात्मक परिवर्तन आए हैं। भारतीय होने पर गर्व की एक विशेष अनुभूति होती है। पिछड़े तबकों से जुड़े लोग सशक्तिकरण की अनुभूति करते हैं।
कार्यक्रम की मेज़बानी करने के लिए काशी हिन्दू विश्वविद्यालय का आभार प्रकट करते हुए केन्द्रीय मंत्री ने कहा कि विद्यार्थियों को इस बात पर गर्व होना चाहिए कि वे बीएचयू में पढ़ाई कर रहे हैं, क्योंकि इस महान संस्थान का योगदान अतुलनीय है।
Koo AppProud Indian Tribals! A Short clip of the momentous event at Banaras Hindu University at Kashi to honor and pay tribute to the brave Tribal freedom fighters as part of the #AzadiKaAmritMahotsav 🇮🇳 Its organised by National Commision for Scheduled Tribes in collaboration with BHU - Kiren Rijiju (@kiren.rijiju) 9 Sep 2022
मुख्य उद्बोधन प्रेषित करते हुए मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के उप सचिव लक्ष्मण सिंह मकराम ने भारत के स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण योगदान देने वाले विभिन्न जनजातीय नायकों की चर्चा की। भगवान बिरसा मुंडा, तिलका मांझी तथा राम जी गोंड के संघर्ष व जीवन का ज़िक्र करते हुए उन्होंने बताया कि कैसे ब्रिटिश शासन के दौरान जनजातीय समुदाय को अपनी मातृभूमि व विरासत की रक्षा के लिए तमाम अत्याचार व क्रूरता झेलनी पड़ी। इसके बावजूद वे बहादुरी के साथ मातृभूमि को बचाने के लिए संघर्ष करते रहे।
विधि व न्याय मंत्रालय, भारत सरकार, में पूर्व सचिव तथा कार्यक्रम में राष्ट्रीय अनुसूचित जनजाति आयोग के प्रतिनिधि श्री पी. के. मल्होत्रा ने शिक्षकों का आह्वान किया कि वे विद्यार्थियों को जनजातीय नायकों की शौर्य गाथाओं से अवगत कराएं। उन्होंने कहा कि ऐसे तमाम योद्धा हैं जिनके बारे में हम में से कई को कभी बताया ही नहीं गया। इन योद्धाओं के योगदान को जनसामान्य के बीच ले जाने के उद्देश्य से ही इन संगोष्ठियों का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अनुसूचित जनजाति के कल्याण के लिए चलाई जा रही विभिन्न योजनाओं व कार्यक्रमों का लाभ लें।
अध्यक्षीय उद्बोधन में कुलपति प्रो, सुधीर कुमार जैन ने कहा कि काशी हिन्दू विश्वविद्यालय एक विशिष्ट व अनूठा संस्थान है, जिसे महामना ने सरकार व पूंजीपतियों से कोई आर्थिक मदद मांगे बिना स्थापित किया था। विश्वविद्यालय का उद्देश्य राष्ट्र निर्माण के लिए ऐसे नागरिक तैयार करना है, जिन्हें आधुनिक शिक्षा तो दी ही जाए, भारतीय ज्ञान परंपरा, संस्कृति व मूल्यों से भी अवगत कराया जाए। कुलपति जी ने कहा कि ऐसा कोई और विश्वविद्यालय शायद ही हो, जहां बीएचयू की तरह इतने विविध शैक्षणिक पाठ्यक्रम उपलब्ध हैं।
उन्होंने कहा कि विविधता रचनात्मकता को प्रोत्साहित करती है और काशी हिन्दू विश्वविद्यालय में यह वातावरण विद्यार्थियों को प्राप्त होता है। उन्होंने कहा कि भारत प्राचीन काल से ही विभिन्न क्षेत्रों में वैश्विक गुरू की भूमिका में रहा है और हमें भारतीय होने पर गर्व होना चाहिए। इसके साथ साथ हमें देश की सेवा के भाव के साथ आगे बढ़ना चाहिए। उन्होंने कहा कि अच्छी व गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देश के विकास व समृद्धि में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, इसलिए विश्वविद्यालयों को चाहिए कि वे अच्छे व मेधावी विद्यार्थी तैयार करें।
स्वतंत्रता भवन में आयोजित इस संगोष्ठी के दौरान भारत की आज़ादी की लड़ाई में भूमिका निभाने वाले जनजातीय नायकों पर एक प्रदर्शनी का आयोजन भी किया गया। विधि एवं न्याय मंत्री किरेन निजिजू तथा कुलपति प्रो. सुधीर कुमार जैन समेत अन्य विशिष्टजनों ने प्रदर्शनी का अवलोकन किया।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रतिमा गोंड ने किया। डॉ. राम शंकर उरावं ने संगोष्ठी के बारे में संक्षिप्त भूमिका रखी। डॉ. राजू मांझी ने धन्यवाद भाषण प्रेषित किया। संयुक्त कुलसचिव डॉ. संजय कुमार कार्यक्रम के प्रशासनिक समन्वयक तथा डॉ. अभय कुमार कार्यक्रम के शैक्षणिक समन्वयक थे। बड़ी संख्या में विद्यार्थियों से कार्यक्रम में प्रतिभागिता की।