सौतेली मां की कठोर वचनों को सुनकर बालक ध्रुव के मन को बहुत पीड़ा हुई-पं. रामाकांत
सहजनवा गोरखपुर। कहते हैं कि बालक का मन बहुत सच्चा और स्वच्छ होता है । अपने पिता की गोद में बैठे बालक ध्रुव को देखकर उनकी सौतेली मां सुरूचि बहुत भड़क गई । उसने कहा कि तुझे राजा की गोद में बैठना था, तो तूं मेरी कोख से पैदा हुआ होता । अपमानित करते हुए,गाल पर एक चांटा मार कर भगा दिया । घटना के चश्मदीद रहे पिता को खामोश देखकर बालक ध्रुव फूट कर रोने लगा ।
उक्त बातें- वृंदावन धाम से पधारे पंडित रमाकांत जी महाराज ने कही । उन्होंने कहा कि पुराणों में वर्णित आर्यावर्त के महान राजा उत्तानपाद की दो धार्म पत्नियां थीं । एक का नाम सुनीति तथा दूसरी का नाम सुरूचि था ।
कथा व्यास ने कहा कि नाम के अनुसार उन दोनों का स्वभाव और गुण भी अलग-अलग था । पहली रानी सुनीति का आचार-विचार उत्तम तथा नीति सम्मत था । वहीं दूसरी छोटी रानी सुरुचि का स्वभाव मन माना आचरण करने वाला था । उन्हें अपने सौंदर्य पर बहुत था ।
बालक ध्रुव सुनीति के पुत्र थे,जो स्वभाव से सुंदर आज्ञाकारी तथा मीठे वचन बोलने वाले थे । छोटी माता से अपमानित होकर ध्रुव जब अपनी मां के पास पहुंचे, तो उन्होंने कहा मां मैं छोटी माता के व्यवहार से दुखी नहीं हूं । सब कुछ देखने के बाद पिता जी पूरी तरह खामोश थे, क्या वह हमारे पिता नहीं है ? पुत्र की बात को सुनकर बेटे को हृदय से लगा लिया। रोते हुए कहा कि बेटा,सबके पिता ईश्वर ही होते हैं । आगे चल कर ध्रुव भगवान के परम भक्त हुए । उक्त अवसर पर मुख्य यजमान पंडित लक्ष्मी नारायण पांडे, देवी पांडे, आचार्य नितिन शुक्ला, आदित्य वैदिक, वेद प्रकाश पांडे, रोहित, ध्रुव पांडे, धनपत समेत कई लोग मौजूद थे ।