चंदौली में बसपा प्रत्याशी रहे उपेंद्र सिंह सहित दो अपराधियों को किया गया जिलाबदर

 
संवाददाता - मनीष द्विवेदी

चंदौली। जिले में पूर्व जिला पंचायत सदस्य और ब्लॉक प्रमुख पति उपेंद्र सिंह गुड्डू को गुंडा नियंत्रण अधिनियम 1970 के तहत छह महीने के लिए जिला बदर करने का फैसला प्रशासन द्वारा किया गया है। यह कार्रवाई उनके खिलाफ दर्ज विभिन्न आपराधिक मामलों और उनके कथित आतंक को आधार बनाकर की गई।

 

 

उपेंद्र सिंह के खिलाफ विभिन्न धाराओं के तहत गंभीर मामले दर्ज हैं, जिनमें 2001 में धारा 307 (हत्या का प्रयास) और 2005 में धारा 120बी (आपराधिक साजिश) जैसे आरोप शामिल हैं। हाल ही में बलुआ थाने में अपराध संख्या 91/2024 के तहत धारा 352, 351(2), और 127(2) के अंतर्गत मामला दर्ज किया गया। उन्हें "शातिर अपराधी" करार दिया गया है, और उनके डर से लोग गवाही देने या शिकायत करने से कतराते हैं।

पुलिस और बलुआ थाना प्रभारी की रिपोर्ट के आधार पर अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) ने उपेंद्र सिंह को जिला बदर करने का आदेश दिया। नोटिस का जवाब न देने और अदालत में अपनी पैरवी न करने के कारण यह निर्णय उनके खिलाफ गया।

उपेंद्र सिंह को 24 घंटे के भीतर जिले की सीमा छोड़नी होगी। जिला बदर की अवधि के दौरान जिस जिले में रहेंगे, वहां हर हफ्ते स्थानीय थाने में उपस्थित होकर हस्ताक्षर करना अनिवार्य होगा। चंदौली की अदालत में किसी मुकदमे में पेशी के लिए आने पर सुनवाई से 24 घंटे पहले प्रवेश और 24 घंटे बाद वापसी करना होगा।

उन्होंने इस कार्रवाई को राजनीतिक प्रतिशोध करार दिया और आरोप लगाया कि यह बीजेपी विधायक सुशील सिंह के इशारे पर की गई है। उन्होंने कहा कि जनता उनसे भयभीत नहीं है, बल्कि राजनीतिक व्यक्तियों ने उनके खिलाफ साजिश रची है।

इस मामले में प्रशासनिक निर्णय उनके आपराधिक इतिहास और लोक व्यवस्था के खतरे को ध्यान में रखते हुए लिया गया है। हालांकि, उनके द्वारा लगाए गए राजनीतिक प्रतिशोध के आरोपों ने मामले को एक अलग रंग दे दिया है, जो स्थानीय राजनीति में चर्चा का विषय बन सकता है।