चंदौली में मनरेगा के नाम पर भ्रष्टाचार का बड़ा खेल, केवल कागजी पन्नो में चल रहा मनरेगा का काम

 
संवाददाता - मनीष द्विवेदी

चंदौली। सकलडीहा विकासखंड में मनरेगा योजन के नाम पर रोजगार सेवकों और  मेठो की मिली भगत से सरकारी धन की लूट मची हुई है। जरूरतमंद मजदूरों को रोजगार देने की इस योजना में फर्जीवाड़ा और भ्रष्टाचार का ऐसा खेल खेला जा रहा है की वास्तविक मजदूर तो मौके पर दिखाई ही नहीं देते। लेकिन मास्टर रोल में दर्ज नाम के जरिए सरकारी खजाने पर डाका डाला जा रहा है।


मनरेगा योजन मे लागु की गई NMMS प्रणाली जिसे प्रदर्शित लाने के लिए डिजाइन किया गया था अब भ्रष्टाचार का उपकरण बन चुकी है। रोजगार सेवक और मेठों मजदूरों की फर्जी अटेंडेंस दिखाने के लिए एक ही फोटो का बार-बार इस्तेमाल कर कई जगहों पर मास्टर रोल में मजदूरों की संख्या तो दिखाई जाती है लेकिन मौके पर एक भी मजदूर काम करता हुआ नहीं मिलता। यह भ्रष्टाचार का सीधा संकेत है कि मनरेगा का उद्देश्य मात्र कागजों तक सीमित रह गया है। सकलडीहा विकासखंड के तारापुर गांव मैं चल रहे मनरेगा जो कार्यों का हाल यह है कि एक ही मजदूर की फोटो से कई दिनों का अटेंडेंस तैयार किया जा रहा है।

 

विकासखंड क्षेत्र के कई गावों मे कार्य के दौरान मजदूरों की संख्या कागजो मे दर्ज है लेकिन मौके पर न तो मजदूर है नहीं तो कोई कार्य दिखता है। रोजगार और सेवक मेठ सरकारी धन का बंदरबाट मे लगे है। सकलडीहा विकासखंड मैं चल रहे इस व्यापक भ्रष्टाचार पर जिम्मेदार अधिकारी मूक दर्शक बने हुए हैं। जब वीडियो सकलडीहा को जानकारी दी गई तो उन्होंने केवल जांच करने और कार्य आईडी शून्य करने की बात कह कर पल्ला झाड़ लिया। सवाल यह उठता है कि क्या जांच और आईडी सुनिश्चित करना ही इस भ्रष्टाचार को रोकने का उपाय है या फिर अधिकारियों और कर्मचारियों की मिली भगत को उजागर कर सख्त कार्रवाई की जाएगी।

 

मनरेगा योजना का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण को रोजगार उपलब्ध कराना था। लेकिन भ्रष्टाचार के इस खेल में इसे गरीबों के हक की लूट में बदल दिया है रोजगार सेवक मेठ संबंधित अधिकारी इस भ्रष्टाचार में शामिल होकर जनता की मेहनत की कमाई को डकार रहे हैं। सूत्रों की माने तो यह मामला केवल सकलडीहा विकासखंड क्षेत्र का ही नहीं बल्कि कमोवेश जिले लगभग हर विकासखंड के अंतर्गत गांव का है।

अगर समय रहते ही इस भ्रष्टाचार पर अंकुश नहीं लगाया गया तो यह योजना पूरी तरह विफल हो जाएगी। जरूरत है की दूसरी पोशाक कर कार्यवाही की जाए और मनरेगा को भ्रष्टाचार के दलदल से बाहर निकाला जाए। जनता इस भ्रष्टाचार से त्रस्त हो चुकी है और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग कर रही है। सरकारी धन के दुरुपयोग को रोकने और मनरेगा को सही दिशा में लाने के लिए ठोस कदम उठाने होंगे। सिर्फ आश्वासन देने से भ्रष्टाचार खत्म नहीं होगा। इसके लिए जवाब देही और पारदर्शिता सुनिश्चित करनी होगी।