अवैध स्वास्थ्य संचालक के हौसले बुलंद, धड़ल्ले से संचालित कर रहे फर्जी स्वास्थ्य संस्थाएं

 

गोरखपुर। मुख्यमंत्री के गृह जनपद गोरखपुर के सहजनवा तहसील क्षेत्र नगर पंचायत घघसरा बाजार स्थित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली ठर्रा  के  अगल-बगल व कुछ ही दूरियों पर वर्षों से अवैध रूप से धड़ल्ले से संचालित हो रहा पैथोलॉजी, प्राइवेट अस्पताल, व अल्ट्रासाउंड सेंटर, सबसे बड़ी बात वही अवैध फर्जी अवैध प्राइवेट अस्पताल के  खिलाफ़ ऑनलाइन शिकायत पर कुछ हफ्ते पूर्व में सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र घघसरा बाजार पाली ठर्रा पर के अधीक्षक डॉक्टर सतीश सिंह द्वारा  जांच कर फर्जी रिपोर्ट लगाई गई, इतना ही नहीं अधीक्षक साहब के सहयोग से एक अवैध रूप से संचालित हो रहे नेशनल हॉस्पिटल को भी सील किया गया था लेकिन वही दबंग की दबंगई इस तरह खुल के सामने आई की सील अस्पताल के सरकारी ताले तोड़ने का भी जरा से भी डर नहीं रहा। और सील ताला तोड़कर सारा सील किया गया।

सामान को भी उठा ले गए जिसकी जानकारी स्वास्थ्य विभाग के मुख्य चिकित्सा अधिकारी,व एडिशनल डायरेक्टर गोरखपुर को भी है, लेकिन अभी तक कार्रवाई के नाम पर सिर्फ जांच का आश्वासन मिला, आपको बता ते चले बीते कुछ महीने पहले एक प्राइवेट अस्पताल में एक महिला के डिलीवरी के ऑपरेशन के नाम पर यम रूपी डॉक्टरों द्वारा  लाखों रुपए की धन उगाही कर ली गई। इतना ही नहीं बल्कि जब बुजुर्ग व्यक्ति के द्वारा अपने बहू के प्रसव के ऑपरेशन के लिए सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पाली ठर्रा पार ला गया वहां पर कुछ घंटे भी जाने के बाद जब सरकारी सुविधा उन्हें नहीं मिली तो आशा की मदद से उस महिला को एक प्राइवेट अस्पताल में ले जाया गया जहां पर महिला का परिवार इन ठगो के ठगी का शिकार बन गए। के सवाल सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के जिम्मेदारों के ऊपर भी उठेगा क्यों प्रसव के लिए गई महिला को लगभग कुछ घंटों तक एडमिट होने के बावजूद क्यों नहीं मिली कोई सरकारी सुविधा इतना ही नहीं स्वास्थ्य केंद्र के अंदर बैठे सरकारी डॉक्टर के हौसलों का दाज देना पड़ेगा।

यह सब कुछ जानते हुए भी अवैध पैथोलॉजी व प्राइवेट अस्पताल, व अल्ट्रासाउंड सेंटरो का आसपास कुकुरमुत्तों की तरह भरमार है। जहां पर नौसीखिए द्वारा मरीज का जांच कर रिपोर्ट पर पैथोलॉजिस्ट रेडियोलॉजिस्ट, का फर्जी साइन कर भारी रकम मरीजों को रिपोर्ट देकर वसूले जाते हैं। जब इनकी कमियों को वरिष्ठ पत्रकारों द्वारा अपने प्रतिष्ठित अखबारों में प्रमुखता से स्वास्थ्य विभाग के झोलाछाप डॉक्टरों की हकीकत को बिना डरे निडर होकर प्रमुखता से प्रकाशित किया जाता है


ताकि स्वास्थ्य विभाग के जिम्मेदार इन पर कठोर से कठोर कार्रवाई कर इनके फर्जी संस्थाओं को सील कर सके लेकिन यहां पर कहानी कुछ अलग ही है। सील और कार्रवाई की बात तो अलग है। वहीं सूत्रों के द्वारा मिली जानकारी के अनुसार कुछ ऐसे भी पैथोलॉजी अल्ट्रासाउंड सेंटर के  संचालक है जो स्वास्थ्य व्यापार को बढ़ाने के लिए 50% कमीशन का लालच देकर हॉस्पिटल के इर्द-गिर्द  गिद्धों की तरह आए हुए मरीजों को अपने सेंटरों पर लाने के फिराक लगे रहते हैं।


जैसे कोई मरीज इनके चंगुल में फसता है। उसके बाद जांच के नाम पर अच्छा खासा उनका शोषण करते हैं। और अवैध स्वास्थ्य कारोबारी स्वास्थ्य विभाग के आंखों में सरेआम धूल झोंक कर पीसीपीएनडीटी एक्ट 1994 का खुला उल्लंघन भी करते हैं। अगर देखा जाए सहजनवा तहसील क्षेत्र के नगर पंचायत घघसरा बाजार में  कुछ ही रजिस्टर्ड मिलेगी और बाकी जितना भी धड़ल्ले से संचालित हो रहा है। वह मानक विहीन है।

बात करें अवैध अल्ट्रासाउंड पैथोलॉजी लैब की और प्राइवेट अस्पतालों का तो हैरानी वाली बात यह है की इन्हें स्वास्थ्य विभाग  के नियमों का उल्लंघन करने में जरा सा भी  डर नहीं लगता आखिरकार किनके संरक्षण के द्वारा इनका हौसला इतना बुलंद है। की किसके सह पर फर्जी पैथोलॉजी, प्राइवेट अस्पताल, पैथोलॉजी अल्ट्रासाउंड सेंटर चलाने में सफल दिखाई देते हैं।

उक्त संदर्भ में एडिशनल गोरखपुर ने कहा टिम गठित कर दी गई है जल्द ही भेज की कार्रवाई की जाएगी।