सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय नहीं रखा इन बातों का ध्यान, तो जाना पड़ सकता है जेल
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आज के समय में हर कोई सोशल मीडिया पर एक्टिव रहता है और यूजर्स कई बार अनजाने में कुछ ऐसे पोस्ट कर देते हैं जिनसे उनके जेल जाने की नौबत आ सकती है।
अगर आप भी सोशल मीडिया पर बिना जाने कुछ पोस्ट करते हैं तो आप पर भी क़ानूनी कार्रवाई की जा सकती हैं।
सोशल मीडिया पर गलत पोस्ट के लिए देश में काफी सख्त कानून भी है।
हालांकि, भारत में लोगों को बोलने की आजादी है। लेकिन, आपको ध्यान रखना होगा कि इससे दूसरे की भावनाओं को ठेस ना पहुंचे। आपके बोलने से किसी के धर्म का भी अपमान नहीं होना चाहिए।
यहां पर आपको वैसी चीजें के बारे बता रहे हैं जिनको आप कभी भी सोशल मीडिया पर पोस्ट ना करें।
भारत में सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर है काफी साफ कानून
सोशल मीडिया में फेसबुक, ट्विटर, इंस्टाग्राम और दूसरे प्लेटफॉर्म्स शामिल हैं। भारत में करोड़ों लोग इन प्लेटफॉर्म्स का इस्तेमाल करते हैं। हाल ही में ऐसी कई घटनाएं सामने आई हैं जहां पर सोशल मीडिया पोस्ट की वजह से लोगों पर कानूनी कार्रवाई हुई है।
ऐसे में आपको पोस्ट किए गए कंटेंट को लेकर सावधान रहने की जरूरत है। एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत में सोशल मीडिया पोस्ट को लेकर काफी साफ कानून है।
अगर आप आपत्तिजनक पोस्ट करते हैं तो आपको दोषी ठहराया जा सकता है। ऐसे में सवाल उठता है कि आपत्तिजनक पोस्ट क्या है?
इन चीजों को ध्यान में रखकर सोशल मीडिया पर करें पोस्ट
आपको भूल कर भी नफरत फैलाने वाले पोस्ट नहीं करने चाहिए। इसके अलावा आपको धार्मिक भावनाएं भड़काने वाले पोस्ट से भी बचना चाहिए।
कभी भी दो धर्मों के बीच नफरत फैलाले वाले पोस्ट को शेयर ना करें। भड़काऊ कंटेंट या हिंसा फैलाने वाले कंटेंट को भी शेयर करने से आपको बचना चाहिए।
आपको सोशल मीडिया पर पोस्ट करते समय अपनी भाषा का भी ध्यान रखना होगा। किसी के लिए भी आपत्तिजनक भाषा का इस्तेमाल करने से बचें।
इसके अलावा देश की एकता और अखंडता का नुकसान पहुंचाने वाले पोस्ट पर भी कानूनी कार्रवाई की जा सकती है।
ऐसे कंटेंट पोस्ट करने के लिए अगर कोई दोषी पाया जाता है तो उसे जुर्माने के साथ जेल की भी हवा खानी पड़ सकती है।
सोशल मीडिया पर भड़काऊ पोस्ट डालने पर कौन सी धारा लगती है, कितनी सजा हो सकती है?
देश में सोशल मीडिया पर ऐसी अफवाह फैलाना, जिससे किसी भी धर्म या जाति की भावनाओं को ठेस पहुंचे या दंगा भड़के, साइबर अपराध माना जाता है।
ऐसे में दोषी को आईटी एक्ट 2008 के तहत आजीवन कारावास तक की सजा हो सकती है।
कानून के जानकार ये भी बताते हैं कि अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ आईपीसी के तहत केस दर्ज कर उन्हें गिरफ्तार किया जा सकता है।
अगर कोई शख्स दो समूह, धर्म, नस्ल, जन्म स्थान, रिहायश या भाषा के नाम पर नफरत फैलाता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-153ए के तहत मुकदमा दर्ज किया जा सकता है।
सजा के साथ लग सकता है जुर्माना
अगर कोई व्यक्ति बोलकर, लिखकर या इशारे से या फिर किसी दूसरे तरीके से सांप्रदायिक सौहार्द्र बिगाड़ने की कोशिश करता है तो उसके खिलाफ केस दर्ज किया जा सकता है।
ऐसे लोगों के खिलाफ आईपीसी और आईटी एक्ट के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।
गैरजमानती अपराध होने के कारण पुलिस द्वारा आरोपी को तुरंत गिरफ्तार करने की छूट होती है। इस मामले में दोषी पाए जाने पर तीन साल तक कैद की सजा हो सकती है। साथ ही कोर्ट दोषी पर जुर्माना भी लगा सकता है।
अपराध को रोकने के लिए बनाया गया एक्ट
अफवाह फैलाने वालों के खिलाफ आईपीसी की धारा-505 के तहत भी केस दर्ज किया जा सकता है।
अगर कोई शख्स दो समूहों या वर्गों के बीच नफरत फैलाने के लिए कोई रिपोर्ट या स्टेटमेंट जारी करता है तो उसके खिलाफ आईपीसी की धारा-505 के तहत केस दर्ज किया जा सकता है।
इस मामले में भी दोषी पाए जाने पर 3 साल तक की सजा का प्रावधान है। सोशल मीडिया की मदद से होने वाले अपराध को रोकने के लिए साल 2000 में इनफॉर्मेशन एक्ट बनाया गया था।
इनफॉर्मेशन टेक्नोलॉजी एक्ट-2000 की धारा-67 के तहत अगर आप सोशल मीडिया पर आपत्तिजनक, भड़काऊ या अलग-अलग समुदायों के बीच नफरत पैदा करने वाला पोस्ट, वीडियो या तस्वीर शेयर करते हैं, तो आपको जेल जाना पड़ सकता है। साथ ही जुर्माना देना पड़ सकता है।
आईटी एक्ट-2000 की धारा 67 के तहत अगर कोई पहली बार सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने का दोषी पाया जाता है, तो उसे तीन साल की जेल हो सकती है।
साथ ही 5 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है। अगर यही अपराध दोहराया तो दोषी को 5 साल की जेल और 10 लाख रुपये तक का जुर्माना देना पड़ सकता है।
किसी भी धर्म के भगवान की तस्वीरें गलत तरीके से वायरल करना या उनके बारे में कोई झूठ फैलाना भी साइबर क्राइम माना जाएगा।
झूठी जानकारी वाले ईमेल या मैसेज भी आपको जेल पहुंचा सकते हैं। कानून के तहत सांप्रदायिक हिंसा भड़काने वाले पोस्ट डालने और दंगा भड़कने के बाद किसी व्यक्ति की मौत होती है, तो दोषी को पूरा जीवन जेल में काटना होगा।
सोशल मीडिया के जरिये अफवाह फैलाने पर तोड़फोड़ होती है और सार्वजनिक संपत्ति का नुकसान होता है तो नुकसान की वसूली अफवाह फैलाने वाले से की जाएगी।
आपको बता दें कि कंप्यूटर, इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस, वर्ल्ड वाइड वेब, मोबाइल या अन्य किसी इलेक्ट्रॉनिक माध्यम की मदद से अपराध करना दंडनीय है।
साइबर क्राइम के मामले में कार्रवाई करने के लिए आईटी (संशोधन) एक्ट 2008 बनाया गया है। साइबर क्राइम के मामले में मामूली सजा से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा का प्रावधान किया गया है।