मंदिर में जाने से पहले क्यों बजाते हैं घंटी?
सनातन धर्म में जितना महत्व पूजा पाठ का है, उतना ही घंटी बजाने का भी है। चाहे मंदिर हो या घर, किसी भी देवी-देवता की आरती बिना घंटी बजाए नहीं की जाती। हर घर के पूजा घर में भी घंटी जरूर रखी होती है।
वहीं मंदिरों में भी छोटी और बड़ी घंटियां लगी होती हैं। मंदिर के भीतर प्रवेश करते समय सबसे पहले घंटी बजाई जाती है। मंदिर चाहे देश के किसी कोने में हों या फिर विदेश में, वहां घंटियां जरूर लगी होती हैं।
मंदिर में घंटी लगाने की परंपरा नई नहीं बल्कि सदियों पुरानी है। लेकिन मंदिर में जाकर सबसे पहले घंटी ही क्यों बजाई जाती है?
धार्मिक मान्यता के मुताबिक मंदिर में सबसे पहले घंटी बजाने से भगवान की प्रतिमा में चेतना जागने लगती है। इस दौरान पूजा करने से अच्छा फल मिलता है। इसीलिए सबसे पहले घंटी बजाई जाती है।
पुराणों में कहा गया है कि मंदिर में घंटी बजाने से कई जन्मों के पाप खत्म हो जाते हैं। धार्मिक महत्व इसके साथ ही घंटी बजाने के पीछे साइंटिफिक रीजन भी है।
धर्मगुरुओं का मानना है कि घंटी बजाने से शरीर के भीतर चेतना का संचार होने लगता है। मंदिर-मठों में घंटी इसीलिए बजाई जाती है ताकि भगवान की प्रतिमा में भी चेतना जाग उठे। घंटी बजाने से पूरा वातावरण ही चैतन्य हो उठता है। इसीलिए पूजा के समय और मंदिर में प्रवेश करते समय घंटी जरूर बजाई जाती है। घंटी हमेशा फूल और कांसे की बनी होती है.मंदिर हो या घर पूजा में घंटी जरूर बजाई जाती है।
घंटी बजाने के पीछे क्या है साइंटिफिक कारण?
विज्ञान के मुताबिक मंदिर में घंटी बजाने से वहां पर बाइब्रेशन पैदा होने लगती है। इसके दूर-दूर तक फैलने की वजह से आसपास के जीवाणु-विषाणु खत्म हो जाते हैं। इसके कंपन्न मात्र से ही मंदिर के आसपास सब कुछ शुद्ध हो जाता है साथ ही नेगेटिव एनर्जी भी घंटी की आवाज से दूर हो जाती है और सुख-समृद्धि के बीच आने वाली सभी बाधाएं दूर हो जाती हैं. इसीलिए मंदिर में सबसे पहले घंटी बजाई जाती है।
यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है। इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है।