Nag Panchami 2023: जानिए कब है नागपंचमी, इस साल नागपंचमी पर बन रहा अद्भुत संयोग, वाराणसी के नागकूप में मिलती है कालसर्प दोष से मुक्ति
Nag Panchami 2023: इस बार शुभ योग के साथ सोमवार (21 अगस्त) को नागपंचमी पड़ने से फलदायी होगा। 12 घंटे और 18 मिनट का शुभ योग रहेगा। पंचमी के स्वामी नागदेवता हैं। इसलिए इस दिन नागदेवता की पूजा होती है। वहीं, नागलोक की देवी मां मनसा हैं। इसलिए इस दिन इनकी पूजा का भी विधान है। वाराणसी के जैतपुरा स्थित नागेश्वर महादेव मंदिर परिसर में नागकूप की विशेष पूजा होती है।
धार्मिक मान्यता है कि इस नागकूप का दर्शन करते मात्र से ही कालसर्प समेत सभी दोष दूर हो जाते हैं। वैसे तो प्रतिदिन यहां दर्शन करने को लोग आते हैं लेकिन नागपंचमी के पर्व पर नागकूप का दर्शन करना विशेष फलदायी होता है। कालसर्प दोष निवारण में प्रधान कुंड होने के कारण यहां देश ही नहीं विदेशों से भी लोग आते हैं।
क्या है नागपंचमी का शुभ योग व मुहुर्त
ज्योतिष विमल जैन ने बताया कि श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी तिथि 20 अगस्त को रात 12.23 बजे से लगेगी जो 21 अगस्त को रात 2.01 बजे तक रहेगी। वहीं, शुभ योग का अनुपम संयोग भी बन रहा है, जो 20 अगस्त को रात 9.58 बजे से अगले दिन रात 10.20 बजे तक रहेगा। आचार्य दैवज्ञ कृष्ण शास्त्री ने बताया कि 2019 के बाद इस बार नागपंचमी सोमवार को पड़ रहा है और ये दुर्लभ संयोग है।
नागपंचमी पर घरों व शिवालयों में नागदेवता की पूजा करनी चाहिए। घरों की दीवारों व दरवाजों पर नाग देवता के चित्र लगाकर या गोबर से नाग देव का चित्र बनाकर पूजा की जाती है। दूध, लावा, चावल, हल्दी, चीनी, फूल और रोली अर्पित कर पूजा की जाती है। नागपंचमी के दिन गांव व कस्बों में कुश्ती का आयोजन होता है।
कैसे मिलेगी कालसर्प दोष से मुक्ति
नागदेवता की पूजा से कालसर्प दोष से मुक्ति मिलती है। शिव मंदिर में वैदिक विद्वानों से अनुष्ठान करवाना चाहिए। कालसर्प दोष के निवारण का सामान्य उपाय ये है कि चांदी या तांबे के बने नाग-नागिन के जोड़े को शिवलिंग पर चढ़ाकर पूजा करने के बाद इस जोड़े को शुद्ध जल, नदी या गंगा में प्रवाहित कर देना चाहिए। साथ ही दान-पुण्य और काले कुत्ते को गुड़ व रोटी खिलाना चाहिए। स्वर्ण, रजत या पंचधातु की सर्पाकार अंगूठी दाहिने हाथ की मध्यमा अंगुली में धारण करनी चाहिए।