Karwa Chauth 2023: आज है करवा चौथ, ना दिखे चांद तो करे ये काम, मिलेगा व्रत-पूजा का पूरा फल

 

देशभर में आज महिलाएं कठिन करवाचौथ का व्रत रख रही हैं. देश में ये व्रत पतियों की लंबी आयु के लिए सदियों से भारतीय महिलाओं द्वारा रखा जाता रहा है

हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को करवा चौथ का त्योहार मनाया जाता है और आज देशभर में करवा चौथ मनाया जा रहा है। करवा चौथ उत्तराखंड उत्तर प्रदेश हरियाणा पंजाब गुजरात हिमाचल प्रदेश राजस्थान और तमाम कई राज्यों में बड़े ही उत्साह से मनाया जाता है।

 

हिंदू धर्म में अखंड सौभाग्य का वरदान दिलाने वाला करवा चौथ का व्रत सुहागिन महिलाएं आज रख रही हैं। इस व्रत का बहुत ज्यादा महत्व माना गया है। करवा चौथ व्रत को करक चतुर्थी भी कहा जाता है। हिंदू मान्यता के अनुसार सुहागन महिलाएं अपने जीवनसाथी की लंबी उम्र के लिए निर्जला व्रत रखती है। करवा चौथ के व्रत में प्रदोष काल में मां गौरी, श्री गणेश और भगवान शिव की पूजा करते हैं। फिर रात में चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण करते हैं। जिस से उसके पति की आयु और सुख-सौभाग्य में बढ़ोत्तरी होती है. इस व्रत में पूरे दिन निराहार और निर्जल रहते हुए शाम को चंद्र देवता को अर्घ्य देने का विधान है। कई बार खराब मौसम या बादलों के चलते चंद्रोदय के बाद भी चंद्रमा दिखाई नहीं देता है. ऐसे में व्रती महिलाओं के सामने करवा चौथ व्रत के पारण को लेकर असमंजस की स्थिति पैदा हो जाती है. इसके लिए ज्‍योतिष में समाधान बताया गया है।

 

चांद न दिखने पर करें ये उपाय

यदि करवा चौथ की रात को आपके शहर में चांद दिखाई न दे तो आप ज्योतिष में बताए गए कुछ उपायों की मदद से अपना व्रत पूरा कर सकती हैं। इसके लिए चंद्रोदय समय पर चांदी के सिक्के या फिर चांदी की गोल प्लेट को चंद्रमा का प्रतिरुप मानकर अर्घ्य दे।. इसके लिए अर्घ्‍य की विधि हूबहू वही रखें जो चांद को अर्घ्‍य देते समय अपनाई जाती है। यदि चांदी का सिक्‍का या प्‍लेट ना हो तो भगवान शिव की तस्‍वीर या मूर्ति के सामने उनके मस्‍तक पर विराजित चंद्रमा को देखकर अर्घ्‍य दें। इससे भी आपको व्रत का पूरा फल मिलेगा।

चंद्रमा की प्रिय धातु है चांदी

अब सवाल यह है कि चंद्रमा को अर्घ्‍य देने के विकल्‍प के तौर पर चांदी के सिक्‍के या चांदी की प्‍लेट का ही चुनाव क्‍यों करें? तो इसका जवाब है कि ज्‍योतिष में चंद्रमा की प्रिय धातु चांदी को बताया गया है। चंद्रमा मन का कारक है, कुंडली में चंद्रमा प्रबल हो तो जातक सुख-समृद्धि और लंबी आयु मिलती है, उसका मन-‍मस्तिष्‍क भी स्थिर रहता है, इसलिए करवा चौथ के दिन चंद्रमा की जगह चांदी के सिक्‍के या प्‍लेट की पूजा करना आपके पति को लंबी आयु और सुख-समृद्धि देगा।

जब न दिखे चांद

कभी-कभी कुछ जगहों पर बारिश, धुंध अन्य कारण से चांद नजर नहीं आता है। ऐसे में आप इस विधि से करवा चौथ व्रत का पारण कर सकती हैं। इसके लिए चांद न दिखने की स्थिति में चंद्रमा जिस दिशा से उदित होता है, उधर दिशा की ओर मुंह करके उनका ध्यान करते हुए व्रत खोला जा सकता है। शिव जी अपने मस्तक पर चंद्र को धारण किए हुए हैं। ऐसे में चांद न दिखने की स्थिति में आप शिव जी के मस्तक पर विराजमान चंद्रदेव के दर्शन करके भी अपने व्रत का पारण कर सकती हैं। साथ ही आप मंदिर जाकर महादेव द्वारा धारित चंद्रमा का दर्शन करके भी करवा चौथ का व्रत खोल सकती हैं।

यदि किसी कारणवश आपका यह व्रत खंडित हो जाए तो आप घबराए नहीं बल्कि नीचे बताए गये उपाय को करें

यदि आज किसी कारण आपका करवा चौथ का व्रत खंडित हो जाए तो आप सबसे पहले अपने स्नान करके स्वच्छ वस्त्र धारण करें और अपने मन को शांत रखें. तन और मन से पवित्र होने के बाद करवा माता का ध्यान करते हुए अपनी भूल के लिए माफी मांंगते हुए अपने सुखी दांपत्य जीवन के लिए आशीर्वाद मांगें।

करवा चौथ के दिन सिर्फ करवा माता ही नहीं बल्कि औढरदानी शिव, शक्ति स्वरूपा माता पार्वती, शुभ और लाभ के देवता भगवान गणेश और सभी संकटों से बचाने वाले भगवान कार्तिकेय की पूजा का विधान है. ऐसे में करवा माता की पूजा और प्रार्थना के बाद शिव परिवार के सामने भी अपनी गलती का पश्चाताप करें।

सनातन पंरपरा में जीवन से जुड़े तमाम तरह के दोषों को दूर करने के लिए दान को उत्तम उपाय बताया गया है. ऐसे में यदि आज करवा चौथ व्रत किसी कारणवश टूट जाए तो आप बिल्कुल भी न घबराएं और स्नान-ध्यान करने के बाद किसी सुहागिन महिला को अपनी क्षमता के अनुसार श्रृंगार का सामान दान करना चाहिए।

यदि आपका किसी कारणवश व्रत खंडित हो जाए। मसलन आप भूलवश पानी पी लें या फिर कुछ खा लें तो बिल्कुल परेशान न हों और अपने ऊपर बताए गये उपायों को करते हुए अपने व्रत को जारी रखें और शाम के समय पूरे विधि-विधान से चंद्र देवता की पूजा करें तथा उन्हें अर्घ्य दें। साथ ही साथ आप चंद्र देवता अपनी इस गलती के लिए माफी मांगे। इसके बाद रुद्राक्ष की माला से चंद्र मंत्र और शिव मंत्र का कम से कम एक-एक माला जप जरूर करें। मान्यता है कि सच्चे मन से इस उपाय और जप को करने पर चंद्र देवता मन, व्रत और जीवन के दोष को दूर करते हैं तो वहीं भगवान शिव सुख-सौभाग्य का वरदान प्रदान करते हैं।

करवा चौथ शुभ योग:

सर्वार्थ सिद्धि योग- 1 नवंबर को सुबह 6 बजकर 33 मिनट से लेकर 2 नवंबर को 4 बजकर 36 मिनट तक रहेगा
अमृत काल- 1 नवंबर को रात 7 बजकर 34 मिनट से लेकर रात 9 बजकर 13 मिनट तक
मृगशिरा नक्षत्र- 1 नवंबर को सुबह 3 बजकर 58 मिनट से लेकर 2 नवंबर को सुबह 4 बजकर 36मिनट तक

(चंद्रोदय के समय में कुछ परिवर्तन भी हो सकता है।)

करवा चौथ की पूजन विधि

सुबह सूर्योदय से पहले उठकर स्नान करें और पूजा घर की सफ़ाई करें. फिर सास द्वारा दिया हुआ भोजन करें और भगवान की पूजा करके निर्जला व्रत का संकल्प लें। यह व्रत सूर्य अस्त होने के बाद चन्द्रमा के दर्शन करके ही खोलना चाहिए और बीच में जल भी नहीं पीना चाहिए। संध्या के समय एक मिट्टी की वेदी पर सभी देवताओं की स्थापना करें। इसमें 10 से 13 करवे (करवा चौथ के लिए ख़ास मिट्टी के कलश) रखें। पूजन-सामग्री में धूप, दीप, चन्दन, रोली, सिन्दूर आदि थाली में रखें।दीपक में पर्याप्त मात्रा में घी रहना चाहिए, जिससे वह पूरे समय तक जलता रहे।

चन्द्रमा निकलने से लगभग एक घंटे पहले पूजा शुरू की जानी चाहिए। अच्छा हो कि परिवार की सभी महिलाएं साथ पूजा करें। पूजा के दौरान करवा चौथ कथा सुनें या सुनाएं. चन्द्र दर्शन छलनी के द्वारा किया जाना चाहिए और साथ ही दर्शन के समय अर्घ्य के साथ चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए। चन्द्र-दर्शन के बाद बहू अपनी सास को थाली में सजाकर मिष्ठान, फल, मेवे, रुपये आदि देकर उनका आशीर्वाद ले और सास उसे अखंड सौभाग्यवती होने का आशीर्वाद दे।