एंग्जायटी ,चिंता से मिलेगी मुक्ति, बस करें ये काम… , इस मंत्र के जाप से मिलेगी मानसिक शांति

You will get freedom from anxiety, worry, just do this work…, by chanting this mantra, you will get mental peace

 

चिंता एक ऐसा शब्द है जो हर किसी के जीवन में होता ही है। हर एक शख्स चिंता मुक्त होकर जीनी चाहता है। जिसके लिए वह बहुत कुछ करता है। अपना स्ट्रेस रिलीज करने के लिए कई लोग ध्यान करते है, कुछ लोग जिम जाते याफिर योगा करते है। कई लोगों को घूमना और नए लोगों से मिलना पसंद होता है।

 

 

इस भागदौड़ भरी जिंदगी में सभी को किसी न किसी चीज की चिंता जरूर सताती है। इसमें कोई आयुवर्ग के लोग नहीं है। चिंता एक ऐसी चीज है जो हर आयुवर्ग के लोगों को होती है। चिंता को भले ही हम रोग न माने लेकिन इसके लक्ष्ण कुछ ऐसे होते है जो एक रोगी की तरह दखाई पड़ते है।

 

 

 

लेकिन चिंता को दूर करने के लिए भक्ति मार्ग भी एक साधन है। वैदिक ज्योतिष के अनुसार चिंता का दाता मन को संचालित करने वाला ग्रह चंद्रमा और व्यक्ति की जन्मकुंडली में तृतीय स्थान को माना जाता है। चंद्रमा के प्रत्यक्ष प्रभाव को आप सभी महसूस करते हैं जब ज्वार-भाठा या पूर्णिमा अमावस्या आती है।

चंद्रमा का पूर्ण संबंध हमारे मानसिक क्रियाकलापों से है अगर चंद्रमा या तृतीयेष नीच राशि में स्थिति हो या विपरीत हो या राहु केतु जैसे ग्रहों से पापाक्रांत हो तो व्यक्ति में तनाव जन्मजात गुण होता है।

 चंद्रमा या तृतीयेष का अष्टमस्थ या द्वादषस्थ होना भी लगातार तनाव का कारण देता रहता है। विषेशकर इन ग्रह या इनसे संबंधित ग्रहों की गोचर में व्यक्ति पर मानसिक असंतुलन दिखाई देती है।

चिंता से मुक्ति हेतु चंद्रमा को मजबूत करने तथा शिव पूजा करने, शिव मंत्र ॐ का निरंतर जाप करने और चन्द्र की शांति के लिए स्वेत वस्तु का दान करना चाहिए। इससे आपका चंद्रमा मजबूत होता है जिससे आपको चिंता से मुक्ती मिलती है।

चंद्रमा को मजबूत बनाने के लिए इस मंत्र का जाप ध्यान लगाकर करना चाहिए। शिवलिंग या शिव जी की प्रतिमा के सामने बैठकर मंत्र जप करें  इससे मानसिक शांति का अनुभव होने के साथ आपके आर्थिक और सामाजिक पक्ष को भी बल मिलता है। इस मंत्र के जाप से परिस्थितियों में तालमेल बैठाने के लिए व्यक्ति का मन प्रबल होता है। इसके साथ ही स्मरण शक्ति भी मजबूत होती है।

ये मंत्र इस प्रकार से है...


 

श्वेतः श्वेताम्बरधरः श्वेताश्वः श्वेतवाहनः।

गदापाणि द्विर्बाहुश्च कर्तव्योः वरदः शशिः।।

मंत्र विधि-

इस मंत्र को प्रातः ब्रह्म मुहूर्त और प्रदोषकाल में करना चाहिए इससे अधिक लाभ प्राप्त होता है। 

इस मंत्र का जाप भगवान शिव की प्रतिमा के समक्ष ध्यान करना श्रेष्ठकर रहता है। 

जिस दिन आपको मंत्र जाप करना हो उस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर मंत्र का जाप करें। 

यदि प्रतिदिन जाप नहीं कर सकते हैं तो सोमवार का दिन इसके लिए सही रहता है।

मंत्र जाप के लाभ-

चंद्रमा के इस मंत्र का जाप करने से मानसिक शांति प्राप्ति होती है जिससे आपको तनाव से छुटकारा मिलता है। विद्यार्थियों के लिए यह मंत्र बहुत लाभकारी है। जिन विद्यार्थियों की स्मरण शक्ति कमजोर हो उन्हें इस मंत्र का जाप करना चाहिए। इससे स्मरण शक्ति मजबूत होती है।