“अतुलनीय विजयगाथा : कारगिल विजय दिवस”

 

सुरक्षा प्रहरी, अदम्य साहस के है वो स्त्रोत।
 
मातृभक्ति और देशप्रेम से कितने है ओत-प्रोत॥

नव-चेतना समर्पण से विजयगाथा का परचम लहराया।

अपनी ऊर्जाशक्ति से माँ भारती का अभिमान बढ़ाया॥

शौर्य और विश्वास के सशक्त प्रतीक।

दृढ़निश्चय के साथ लड़े प्रत्येक क्षण निर्भीक।।

शूरवीर, कर्मयोद्धा ओज से देदीप्यमान हो।

शत्रु के विध्वंसक तुम दीपशिखा की शान हो।।

युवा शक्ति के तुम हो अद्वितीय पुंज।

जिसने प्रबल की चहुँ ओर माँ भारती की गूँज॥

भारत को विश्व में दिया आलोक का स्वर्णिम संसार।

हर भारतवासी करता तुम्हारा हृदयतल से आभार।।

26 जुलाई को तुमने विजयश्री का रचा कीर्तिमान।

कालांतर तक देश करेगा तुम्हारी यश-कीर्ति का सम्मान॥

चीते सी गर्जना और आक्रोश के साथ कारगिल विजय का ऐलान।

डॉ. रीना कहती, भारतवासी न जाने देंगे व्यर्थ यह बलिदान॥

डॉ. रीना रवि मालपानी (कवयित्री एवं लेखिका)