अगर आपके पास भी है 500 और 1000 के पुराने नोट, तो फिर मिल रहा बदलने का मौका? पढ़िये पूरी ख़बर...

Old 500-1000 Rupee Notes : If you also have old notes of 500 and 1000, then getting a chance to change them? Read the full news...


 


नई दिल्ली।  क्या पुराने 500 और 1,000 रुपये के नोटों को बदलाने का मौका फिर से मिल सकता है? हो सकता है यह सवाल आपको हैरान करे। आप सोचेंगे कि नोटबंदी (Demonetisation) के छह साल बाद यह कैसे संभव होगा।

 

 

लेकिन सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) की सुनवाई को देखें, तो यह असंभव नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को नोटबंदी को चुनौती देने वाली याचिकाओं की सुनवाई के दौरान एक बयान दिया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा, 'भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) को उन व्यक्तियों द्वारा किए गए वास्तविक आवेदनों पर विचार करना चाहिए, जो पुराने करेंसी नोटों को बदलवाने की समय सीमा से चूक गए हैं।'

 

 

पांच जजों जस्टिस एस. अब्दुल नजीर, बी.आर. गवई, ए.एस. बोपन्ना, वी. रामासुब्रमण्यन और बी.वी. नागरत्ना की बेंच 500 और 1,000 रुपये के नोटों को विमुद्रीकृत करने के 8 नवंबर के फैसले की वैधता पर विचार कर रहे हैं।

लाइव लॉ की एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत के अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने कहा, 'विमुद्रीकृत नोटों को बदलने की तारीखों का विस्तार नहीं किया जा सकता। लेकिन रिजर्व बैंक आवेदकों द्वारा आवश्यक शर्तों को पूरा करने और केंद्रीय बैंक की संतुष्टि वाले कुछ व्यक्तिगत मामलों पर विचार करेगा।' वेंकटरमणि आरबीआई के पास आए 700 आवेदनों के बारे में बात कर रहे थे।

अटॉर्नी जनरल ने कोर्ट में नोटबंदी की अधिसूचना का बचाव किया। उन्होंने कहा कि नोटबंदी को जाली नोटों की समस्या, काला धन और आतंकवाद की समस्या को रोकने के लिए लागू किया गया था। सरकार का कहना है कि नोटबंदी को रिजर्व बैक कानून 1934 के नियमों के तहत लागू किया गया था।

सरकार का कहना है कि छह साल बाद याचिकाओं पर विचार करना एक शैक्षणिक कवायद है, इसका कोई मतलब नहीं रह गया है।


 

सुप्रीम कोर्ट नोटबंदी को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं पर सुनवाई कर रहा है। इनमें कहा गया है कि उनके पास पुराने नोट पड़े हैं। एक याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके पास एक करोड़ रुपये से ज्यादा के पुराने नोट रखे हैं।

इस पर कोर्ट ने कहा कि आप इन्हें संभाल कर रखिए। एक याचिकाकर्ता ने कहा कि वे नोटबंदी के समय विदेश में थे। नोट बदलवाने की तारीख मार्च से पहले बंद हो चुकी थी। जबकि कहा गया था कि विंडो मार्च के आखिर तक खुली रहेगी।

इसी तरह एक याचिकाकर्ता ने कहा कि उसके जब्त किये गए लाखों रुपये कोर्ट में जमा हैं, लेकिन नोटबंदी के बाद वे सब बेकार हो गए।