सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- राम सेतु पर केंद्र पीछे क्यों हट रहा है?

BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तमिलनाडु स्थित ऐतिहासिक राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।
 

केंद्र सरकार ने इसका जवाब देने के लिए वक्त मांगा तो सुप्रीम कोर्ट ने आज चार सप्ताह की मोहलत दे दी।

 

BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी ने तमिलनाडु स्थित ऐतिहासिक राम सेतु को राष्ट्रीय विरासत स्मारक घोषित करने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है।

 

केंद्र सरकार ने इसका जवाब देने के लिए वक्त मांगा तो सुप्रीम कोर्ट ने आज चार सप्ताह की मोहलत दे दी।

 

प्रधान न्यायाधीश डी.वाई.चंद्रचूड़ (D.Y. Chandrachud), न्यायाधीश हिमा कोहली (Hima Kohli) और न्यायाधीश जेबी पारदीवाला (J.B. Pardiwala) की पीठ को सुब्रमण्यम स्वामी ने बताया कि यह एक छोटा मामला है जहां केंद्र को इस पर सिर्फ हां या ना कहना है।

 

इस पर केंद्र के वकील ने कहा कि हलफनामा तैयार है। हमें मंत्रालय से निर्देश प्राप्त करना है। वकील ने जब वक्त मांगा तो पीठ ने कहा, 'वे (केंद्र) अपने पैर क्यों खींच रहे हैं?

 

इसके बाद कोर्ट ने जवाब दाखिल करने के लिए चार सप्ताह का वक्त देते हुए कहा कि याचिकाकर्ता स्वामी को एक प्रति दी जाए। इस पर यदि स्वामी को कोई प्रत्यत्तर हो तो वे उसे दो सप्ताह में दाखिल करें। इसके बाद आगे सुनवाई होगी। 

इससे पहले 3 अगस्त को इस PIL पर तत्कालीन CJI एन.वी.रमण (N.V. Ramana) ने कहा था कि वे स्वामी की याचिका को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध करेंगे।

भगवान राम ने किया था निर्माण,Adams Breeze भी कहलाता है राम सेतु


तमिलनाडु में रामेश्वरम के पास समुद्र में स्थित राम सेतु को Adams Breeze भी कहा जाता है। पौराणिक व धार्मिक मान्यता है कि भगवान राम ने श्रीलंका जाने के लिए इस पुल का निर्माण कराया था।

जब रावण माता सीता का अपहरण कर लंका ले गया था, तब वहां पहुंचने के लिए इस पुल का निर्माण किया गया था। इसके अवशेष आज भी वहां नजर आते हैं।

पंबन द्वीप व मन्नार द्वीप को जोड़ता है राम सेतु


राम सेतु तमिलनाडु के दक्षिण-पूर्वी तट पर पंबन द्वीप और श्रीलंका के उत्तर-पश्चिमी तट पर मन्नार द्वीप के बीच चूने के पत्थरों की एक श्रृंखला है।

BJP नेता सुब्रमण्यम स्वामी का कहना है कि वे इस मुकदमे का पहला दौर जीत चुके हैं, जिसमें केंद्र सरकार ने राम सेतु के अस्तित्व को स्वीकार किया था।

उन्होंने कहा कि संबंधित केंद्रीय मंत्री ने उनकी मांग पर विचार करने के लिए 2017 में एक बैठक बुलाई थी, लेकिन बाद में कुछ नहीं हुआ।

UPA-1 सरकार लाई थी सेतुसमुद्रम योजना, सुप्रीम कोर्ट ने लगाई थी रोक


BJP नेता स्वामी ने पूर्ववर्ती UPA-1 सरकार द्वारा शुरू की गई विवादास्पद सेतुसमुद्रम शिप चैनल परियोजना के खिलाफ अपनी जनहित याचिका में भी राम सेतु को राष्ट्रीय स्मारक घोषित करने का मुद्दा उठाया था।

मामला शीर्ष अदालत तक पहुंचा, जिसने 2007 में रामसेतु पर परियोजना के लिए काम पर रोक लगा दी थी।

केंद्र सरकार ने बाद में कहा था कि उसने परियोजना के "सामाजिक-आर्थिक नुकसान" पर विचार किया था और राम सेतु को नुकसान पहुंचाए बिना सेतुसमुद्रम परियोजना के लिए एक और मार्ग तलाशने को तैयार थी।

 UPA सरकार की इस योजना का BJP व सहयोगी संगठनों ने देशभर में कड़ा विरोध किया था। योजना का पर्यावरणविदों व हिंदू संगठनों ने भी विरोध किया था।