National Lok Adalat: कल लगेगी राष्ट्रीय लोक अदालत, अगर आपका भी ज्यादा कटा है चालान तो हो जाएगा माफ, जानिए क्या होती हैं लोक अदालत?

National Lok Adalat will be held tomorrow, if your challan is cut too much, then you will be forgiven, know what is Lok Adalat?

 

अधिकतम पहुंच सुनिश्चित करने और उपभोक्ताओं को लाभान्वित करने के लिए विभाग एसएमएस तथा ईमेल के माध्यम से उपभोक्ताओं,

कंपनियों एवं संगठनों तक संदेश पहुंचा रहा है। विभाग के पास 3 लाख पार्टियों के फोन नंबर और ईमेल उपलब्ध हैं, जिनके मामले आयोग में लंबित पड़े हैं।

 विभाग ने उपभोक्ता आयोगों के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिये संवाद किया है, इसमें 200 से अधिक मामले के लंबित होने की जानकारी मिली है।

प्रौद्योगिकी की मदद से सभी हितधारकों के बीच एक अलग लिंक बनाया गया है और इस संबंध में संदेश भी प्रसारित किया जा रहा है, जिसमें कोई भी व्यक्ति अपना लंबित केस नंबर और अधिकार पत्र की सूचना दर्ज कर सकता है।

 इसके आधार पर लंबित मामले मामले को आसानी से लोक अदालत में भेजा जा सकता है। आवश्यक लिंक ईमेल और एसएमएस के माध्यम से प्रसारित किया जाएगा।

डेटा एनालिटिक्स के माध्यम से लंबित मामलों की क्षेत्रवार पहचान की गई है। कुल लंबित मामलों में 71379 बैंकिंग के, 168827 बीमा संबंधी, 1247 ई-कॉमर्स से जुड़े हुए,

33919 मामले बिजली के और 2316 रेलवे के मामले निपटाने के प्रयास किए जा रहे हैं।

 ऐसे उपभोक्ता मामलों को प्राथमिकता के आधार पर निपटाने की दिशा में कार्य किया गया है।

उपभोक्ता मामले विभाग उपभोक्ता आयोगों में मामलों के निपटान की लगातार निगरानी कर रहा है और आगामी राष्ट्रीय लोक अदालत के माध्यम से निपटाए जाने वाले लंबित उपभोक्ता मामलों को शामिल करने के लिए राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (एनएएलएसए) के साथ सहयोग करने की प्रक्रिया में है, जहां दोनों पक्ष आपसी समझौते पर सहमत हैं। इस संबंध में एनएएलएसए को पहले ही संचार किया जा चुका है।

उपभोक्ता अपने लंबित मामले को लोक अदालत में भेजने के लिए अधिक जानकारी और सहायता हेतु, http://cms.nic.in/ncdrcusersWeb/lad.do?method=lalp लिंक पर जा सकते हैं। इसके माध्यम से वे लोक अदालत के संदर्भ के लिए अपने मामले दर्ज कर सकते हैं या फिर राष्ट्रीय उपभोक्ता हेल्पलाइन 1915 पर कॉल कर सकते हैं, जो इस प्रक्रिया में उनकी सहायता करेगा।

 साथ ही उपभोक्ता आयोग उपरोक्त लिंक के माध्यम से संदर्भित मामलों की अद्यतन सूची को पोर्टल पर अपलोड कर सकते हैं।

राष्ट्रीय लोक अदालतें नियमित अंतराल पर आयोजित की जाती हैं,जहां पर एक ही दिन में पूरे देश में उच्चतम न्यायालय से लेकर जिला स्तर तक सभी अदालतों में लोक अदालतें आयोजित की जाती हैं और बड़ी संख्या में मामलों का निपटारा किया जाता है।

उपभोक्ता कार्य विभाग का मिशन प्रगतिशील कानून के माध्यम से उपभोक्ता संरक्षण एवं सुरक्षा को मजबूत करना,जागरूकता तथा शिक्षा के माध्यम से उपभोक्ताओं को सशक्त बनाना और उचित और कुशल शिकायत निवारण तंत्र तक पहुंच प्रदान करना है। राष्ट्रीय कानूनी सेवा प्राधिकरण (नालसा)

अन्य कानूनी सेवा संस्थानों के साथ लोक अदालतों का आयोजन करता है। यह वैकल्पिक विवाद निवारण तंत्रों में से एक है, और एक ऐसा मंच है जहां अदालतों/आयोगों में लंबित विवादों/मामलों को सौहार्दपूर्ण ढंग से निपटाया/समझौता किया जाता है।

देश में करीब 6,07,996 उपभोक्ता मामले लंबित हैं। एनसीडीआरसी में करीब 22250 मामले विचाराधीन हैं। 28318 मामलों के साथ उत्तर प्रदेश जैसे प्रमुख राज्य, 18093 लंबित मामलों के साथ महाराष्ट्र, 15450 लंबित मामलों के साथ दिल्ली, 10319 के साथ मध्य प्रदेश, और 9615

लंबित मामलों के साथ कर्नाटक कुछ ऐसे राज्य हैं जहां सबसे अधिक लंबित मामले हैं। सबसे अधिक विचाराधीन मामलों वाले जिलों में मुजफ्फरपुर (बिहार) में 1853 मामले लंबित हैं, सीवान (बिहार) में 1046, पटना (बिहार) में 4849, रांची (झारखंड) में 1044, खोरधा (उड़ीसा) में 2308, पुरी ( उड़ीसा) 1884, बर्दवान (पश्चिम बंगाल) 1324, उत्तर 24 परगना (पश्चिम बंगाल) 1195, हावड़ा 9 पश्चिम बंगाल) 1253,

राजारहाट (पश्चिम बंगाल) 1148, हिसार (हरियाणा) 2693, रोहतक (हरियाणा) के साथ 2038, 1811 के साथ गुड़गांव (हरियाणा), 1125 के साथ शिमला (हिमाचल प्रदेश), 2688 के साथ संगरूर (पंजाब), 1755 के साथ एसएएस नगर मोहाली (पंजाब), 1675 अमृतसर (पंजाब), 4640 के साथ चुरू (राजस्थान), अलवर (राजस्थान) 4180, भरतपुर (राजस्थान) 1605, अजमेर (राजस्थान) 1977,

मेरठ (यूपी) 2461, गाजियाबाद (यूपी) 2442, कानपुर नगर (यूपी) 3789, इलाहाबाद (यूपी) 3299, झांसी (यूपी) 2070, गोरखपुर (यूपी) 3067 के साथ, बलिया (यूपी) 2372 के साथ, बस्ती (यूपी) 1947 के साथ, देहरादून (उत्तराखंड) 1225 के साथ, त्रिशूर (केरल) 6391 के साथ, 2951 इरनाकुलम (केरल), 1782 तिरुवनंतपुरम (केरल), 2221 बेलगाम (कर्नाटक), 1242 तिरुनेलवेली (तमिलनाडु),

2079 वडोदरा (गुजरात), 2585 सूरत (गुजरात), 1708 आनंद (गुजरात), 2020 जलगांव (महाराष्ट्र), 2337 नागपुर (महाराष्ट्र), 5488 नांदेड़ (महाराष्ट्र), 3636 ठाणे (महाराष्ट्र), 2834 मुंबई (उपनगरीय) (महाराष्ट्र), 2652 इंदौर (एमपी), जबलपुर (एमपी) 2463, भोपाल (मध्यप्रदेश) 2160 के साथ, दुर्ग (छ.ग.) 2593, रायपुर (छ.ग.) 3329, करीमनगर (तेलंगाना) 1338 मामले हैं।

 

 

विधिक सेवा प्राधिकरण, प्रतापगढ़ के अध्यक्ष महेन्द्र सिंह सिसोदिया, जिला एवं सेशन न्यायाधीश की अध्यक्षता, अध्यक्ष, ताल्लुका विधिक सेवा समिति छोटीसादड़ी महेश सिंह मीणा के निर्देशानुसार न्यायालय परिसर में उपखंड क्षेत्र से संबंधित प्रकरणों में रविवार को डोर स्टेप काउंसलिंग का आयोजन किया।

लोक अदालत में राजीनामे से अधिक से अधिक प्रकरणों का निस्तारण किया जाकर लोक अदालत को सफल बनाने के उद्देश्य से पक्षकारों से वन-टू-वन वार्ता कर प्रकरण को लोक अदालत के माध्यम से आपसी सहमति से निस्तारण किए जाने के लिए प्री-काउंसलिंग की।

इसमें कई मामलों में लोक अदालत में निस्तारण पर सहमति बनी। प्री-काउंसलिंग में अधिवक्ता प्रकाशचन्द्र साहू, दीपक, राजेंद्र मालवीय ने 12 नवंबर को होने वाली राष्ट्रीय लोक अदालत में राजीनामा काबिल अधिकाधिक प्रकरणों के निस्तारण के लिए पक्षकारों को प्रेरित किया। अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्टेट, महेश सिंह मीणा ने बताया कि 12 नवंबर को छोटीसादड़ी स्थित अतिरिक्त मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट न्यायालय में राष्ट्रीय लोक अदालत हाेगी।

राष्ट्रीय लोक अदालत क्या है?

उपभोक्ताओं से संबंधित विचाराधीन मामलों को निपटाने के लिए देश भर में 12 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा। लोक अदालत व्यवस्था के लाभों और पार्टियों के बीच आपसी समाधान एवं समझौते को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में उपभोक्ता मामलों के निपटारे की उम्मीद है।

लोक अदालत कितने प्रकार के होते हैं?

विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम 1987 के अनुसार लोक अदालत मुख्यतः दो प्रकार की होती है एक स्थायी लोक अदालत और एक अस्थायी लोक अदालत जिसका आयोजन समय-समय पर राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण सर्वोच्च न्यायालय से लेकर तहसील स्तर तक करवाता है।

लोक अदालत क्या है और लोक अदालत द्वारा किस प्रकार के मामले निपटाये जाते हैं?

वस्तुतः लोक अदालत एक ऐसी अदालत है जिसमें मामलों (विवादों) का निपटारा पक्षकारों की पारस्परिक सहमति से किया जाता है। इसमें न किसी पक्षकार की जीत होती है और न हार। दोनों पक्षों में पुनः स्नेह, सौहार्द्र एवं बंधुत्व का भाव उत्पन्न हो जाता है। शीघ्र एवं सस्ते न्याय का स्रोत हैं।

लोक अदालत में क्या किया जाता है?

यह एक ऐसा मंच है, जहां न्‍यायालयों में लंबित वाद-विवाद/मुकदमे या प्री-लिटिगेशन चरण के मामलों का सौहार्दपूर्ण निपटारा किया जाता है। लोक अदालतों को विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987(Legal Services Authorities Act, 1987) के तहत वैधानिक दर्जा दिया गया है।

मैं लोक अदालत में कैसे भाग ले सकता हूं?

विवाद के लिए कोई भी या अधिक पक्ष उस अदालत के समक्ष आवेदन कर सकते हैं जहां उनका मामला लंबित है, या यहां तक ​​कि पूर्व-मुकदमेबाजी के बिंदु पर, लोक अदालत में जहां लोक अदालत की पीठ ने विवाद को हल करने का प्रयास करने के लिए स्थापित किया है। एक सौहार्दपूर्ण समाधान तक पहुँचने में पक्षों की सहायता करना । 

2022 में लोक अदालत कब है?

Lok Adalat: उपभोक्ताओं से संबंधित विचाराधीन मामलों को निपटाने के लिए देश भर में 12 नवंबर 2022 को राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन किया जाएगा।  लोक अदालत व्यवस्था के लाभों और पार्टियों के बीच आपसी समाधान और समझौते को ध्यान में रखते हुए बड़ी संख्या में उपभोक्ता मामलों के निपटारे की उम्मीद है। 

लोक अदालत के फायदे क्या है? लोक अदालतों के लाभ | Benefits of Lok Adalats

लोक अदालत उन मामलों में निर्णय ले सकती है जहां कानून व्यक्तियों के बीच समझौता या समझौता करने की अनुमति देता है। यह पूर्व-मुकदमेबाजी के मामलों के साथ-साथ वर्तमान अदालती मुद्दों पर भी विचार कर सकता है।